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हिंसा होने पर इंदिरा गांधी ने JNU को 46 दिनों के लिए किया था बंद, क्या PM मोदी भी ऐसा करेंगे?

नई दिल्ली। अगर विरोध प्रदर्शन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पहचान है तो विश्वविद्यालय के साथ हिंसा का आंतरिक संबंध है। हालांकि अनेक लोगों का मानना है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर सरकार के कड़े रुख के कारण अचानक पैदा हुआ यह भावना का ज्वार है जो विचलित होकर उपद्रव करने पर उतारू हो गया है, लेकिन अतीत में जेएनयू में इससे भी ज्यादा हिंसा हुई, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इसे 46 दिनों के लिए बंद करने पर बाध्य होना पड़ा।
दो विरोधी वामपंथी संगठन इस मसले पर आमने-सामने हैं। घटनाओं का इतिहास बताता है कि अगर, पेरियार हॉस्टल के भीतर 2019 में हुई हिंसा खौफनाक थी तो 1980 जैसा बवाल पहले कभी नहीं देखा गया था। इसकी स्थापना के 12 साल बाद इंदिरा को इसे 16 नवंबर 1980 से लेकर तीन जनवरी 1981 तक बंद करना पड़ा था।
हालात पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए जेएनयू स्टूडेंट यूनियन (जेएनयूएसयू) प्रेसीडेंट राजन जी. जेम्स को हिरासत में लेना पड़ा था। राजीव गांधी के जीवनी लेखक मिन्हाज मर्चेट कहते हैं, जेएनयू का वामपंथ द्वारा उकसाई हिंसा का लंबा इतिहास है। इसे नवंबर 1980 से लेकर जनवरी 1981 के दौरान भी छात्रों की हिंसा के कारण बंद कर दिया गया था।
दो विरोधी वामपंथी संगठन इस मसले पर आमने-सामने हैं। घटनाओं का इतिहास बताता है कि अगर, पेरियार हॉस्टल के भीतर 2019 में हुई हिंसा खौफनाक थी तो 1980 जैसा बवाल पहले कभी नहीं देखा गया था। इसकी स्थापना के 12 साल बाद इंदिरा को इसे 16 नवंबर 1980 से लेकर तीन जनवरी 1981 तक बंद करना पड़ा था।
हालात पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए जेएनयू स्टूडेंट यूनियन (जेएनयूएसयू) प्रेसीडेंट राजन जी. जेम्स को हिरासत में लेना पड़ा था। राजीव गांधी के जीवनी लेखक मिन्हाज मर्चेट कहते हैं, जेएनयू का वामपंथ द्वारा उकसाई हिंसा का लंबा इतिहास है। इसे नवंबर 1980 से लेकर जनवरी 1981 के दौरान भी छात्रों की हिंसा के कारण बंद कर दिया गया था।
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