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नई दिल्ली-वाराणसी के बीच 25 दिसंबर को लॉन्च हो सकती है ट्रेन-18
कोटा (ट्रेन-18 से)। कोटा जंक्शन और कुरलासी स्टेशन के बीच रविवार को परीक्षण के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली पहली स्वदेशी डिजाइन ट्रेन 18 नई दिल्ली और वाराणसी के बीच 25 दिसंबर को लॉन्च हो सकती है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, ‘‘क्रिसमस के दिन दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन भी होता है और अगर उस दिन हम ट्रेन को लॉन्च करने में सफल रहते हैं तो यह देश के महान राजनेता को श्रद्धांजलि होगी।’’
चूंकि 100 करोड़ रुपये की ट्रेन की निवेश लागत अधिक है, इसलिए किराया भी सामान्य से ज्यादा होगा। हालांकि, अधिकारी ने कहा कि इसकी लॉन्च की तारीख और किराए पर निर्णय अभी तक लिया जाना बाकी है क्योंकि परीक्षण अभी तक पूरा नहीं हुआ है। प्रयोगात्मक योजना के मुताबिक, ट्रेन नई दिल्ली स्टेशन से सुबह छह बजे शुरू होगी और इसके दोपहर दो बजे तक वाराणसी पहुंचने की उम्मीद है।
वापसी यात्रा के लिए ट्रेन वाराणसी से 2.30 बजे प्रस्थान करेगी और रात 10.30 बजे राष्ट्रीय राजधानी पहुंच जाएगी। ट्रेन ने परीक्षण को दौरान रविवार को जब 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति को पार किया तो ट्रेन में लड्डू बांटे गए और सबसे पहले लड्डू लोको पायलट पद्म सिंह गुर्जर और उनके सहयोगी ओंकार यादव को दिया गया।
पद्म सिंह ने आईएएनएस को बताया, ‘‘हम इस महान अवसर का हिस्सा बनने पर रोमांचित हैं।’’ यादव ने कहा, ‘‘मुझे इस ऐतिहासिक परीक्षण का हिस्सा बनने पर गर्व है।’’ ट्रेन की दिशा से मेल खाने के लिए घुमावदार सीटों पर बैठे लोगों के लिए यह एक सहज यात्रा थी। ट्रेन की परीक्षण यात्रा कोटा से सुबह 9.30 बजे शुरू हुई और कई नदियों, पुलों और मोड़ों को पार करने के बाद शाम छह बजे जंक्शन पर लौट आई। ट्रेनसेट को इंजन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह मेट्रो ट्रेनों जैसे इलेक्ट्रिक कर्षण पर स्वचालित है।
अब ट्रेनसेट को लंबे समय तक इसकी यात्रा करने की क्षमता की पुष्टि करने वाली जांच से गुजरना है और वाणिज्यिक संचालन के लिए आयुक्त, रेलवे सुरक्षा (सीआरएस) से मंजूरी मिलने से पहले इसकी आपातकालीन ब्रेकिंग दूरी का परीक्षण भी होना है।
चूंकि 100 करोड़ रुपये की ट्रेन की निवेश लागत अधिक है, इसलिए किराया भी सामान्य से ज्यादा होगा। हालांकि, अधिकारी ने कहा कि इसकी लॉन्च की तारीख और किराए पर निर्णय अभी तक लिया जाना बाकी है क्योंकि परीक्षण अभी तक पूरा नहीं हुआ है। प्रयोगात्मक योजना के मुताबिक, ट्रेन नई दिल्ली स्टेशन से सुबह छह बजे शुरू होगी और इसके दोपहर दो बजे तक वाराणसी पहुंचने की उम्मीद है।
वापसी यात्रा के लिए ट्रेन वाराणसी से 2.30 बजे प्रस्थान करेगी और रात 10.30 बजे राष्ट्रीय राजधानी पहुंच जाएगी। ट्रेन ने परीक्षण को दौरान रविवार को जब 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति को पार किया तो ट्रेन में लड्डू बांटे गए और सबसे पहले लड्डू लोको पायलट पद्म सिंह गुर्जर और उनके सहयोगी ओंकार यादव को दिया गया।
पद्म सिंह ने आईएएनएस को बताया, ‘‘हम इस महान अवसर का हिस्सा बनने पर रोमांचित हैं।’’ यादव ने कहा, ‘‘मुझे इस ऐतिहासिक परीक्षण का हिस्सा बनने पर गर्व है।’’ ट्रेन की दिशा से मेल खाने के लिए घुमावदार सीटों पर बैठे लोगों के लिए यह एक सहज यात्रा थी। ट्रेन की परीक्षण यात्रा कोटा से सुबह 9.30 बजे शुरू हुई और कई नदियों, पुलों और मोड़ों को पार करने के बाद शाम छह बजे जंक्शन पर लौट आई। ट्रेनसेट को इंजन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह मेट्रो ट्रेनों जैसे इलेक्ट्रिक कर्षण पर स्वचालित है।
अब ट्रेनसेट को लंबे समय तक इसकी यात्रा करने की क्षमता की पुष्टि करने वाली जांच से गुजरना है और वाणिज्यिक संचालन के लिए आयुक्त, रेलवे सुरक्षा (सीआरएस) से मंजूरी मिलने से पहले इसकी आपातकालीन ब्रेकिंग दूरी का परीक्षण भी होना है।
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