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राज्य में पेयजल समस्या के स्थाई समाधान के लिए केंद्रीय हिस्सेदारी बढ़ाए: बी.डी. कल्ला
उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक 37126.90 करोड़ रुपए की लागत से
127 वृहद पेयजल परियोजनाएं स्वीकृत की गई है। डॉ. कल्ला ने बताया कि राज्य
में जल उपलब्धता की विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जनस्वास्थ्य
एवं अभियांत्रिकी विभाग ने राजस्थान नदी बेसिन प्राधिकरण के साथ मिलकर वर्ष
2051 तक सभी क्षेत्रों में जल की मांग व उपलब्धता के उपयुक्त उपयोग के लिए
राजस्थान राज्य जल ग्रिड की परिकल्पना के तहत 9 हजार 997 ग्राम पंचायतों
को चरणबद्ध रूप से सतही भूजल उपलब्धता के लिए प्लानिंग की गई है।
डॉ. कल्ला ने जोधपुर बाड़मेर जिले के लिए आरजेएलसी तृतीय चरण परियोजना, अलवर के लिए चम्बल अलवर डीएमआईसी ट्रांसमिशन परियोजना व झालावाड़-बारां-कोटा जिले के लिए परवन पेयजल परियोजना की क्रियान्वति के लिए 8 हजार 172 करोड़ रुपए की विशेष सहायता उपलब्ध करवाने की बात कही। साथ ही कहा कि पश्चिम राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर, नर्मदा नहर आधारित योजनाओं के संवर्धन एवं विस्तार द्वारा पेयजल उपलब्ध करवाने, बीसलपुर जयपुर परियोजना के दूसरे चरण तथा गुणवता प्रभावित ढाणियों में सतही पेयजल योजना या तकनीक आधारित उपायों के लिए भी केन्द्र सरकार से सहयोग अपेक्षित है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य को सतही स्रोत आधारित परियोजनाओं में सम्पूर्ण परियोजना लागत का 4 प्रतिशत राशि ही प्राप्त हो सकेगी। उन्होंने राज्य सरकार वितीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता के मद्देनजर केन्द्र सरकार द्वारा मरूस्थलीय जिलों में पेयजल योजना लागत राशि में शत प्रतिशत व गैर मरूस्थलीय जिलों में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी की मांग की।
जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री ने बताया कि खारेपन से प्रभावित देश की कुल ढाणियों व गांवों में से अकेले राजस्थान में 92 प्रतिशत स्थित है। इसके मद्देनजर राष्ट्रीय पेयजल ग्रामीण कार्यक्रम के तहत आर. ओ. प्लांट लगाने की वितीय स्वीकृति दी जानी चाहिए। डॉ. कल्ला ने प्रदेश में सौर उर्जा से संचालित नलकूप लगाने की वितीय स्वीकृति तथा पुराने डीफ्लोरिडेशन संयंत्र बदलने के लिए वितीय स्वीकृति की अनुमति देने की बात भी कही। बैठक में राजस्थान के पंचायतराज आयुक्त पी सी किशन भी मौजूद थे।
डॉ. कल्ला ने जोधपुर बाड़मेर जिले के लिए आरजेएलसी तृतीय चरण परियोजना, अलवर के लिए चम्बल अलवर डीएमआईसी ट्रांसमिशन परियोजना व झालावाड़-बारां-कोटा जिले के लिए परवन पेयजल परियोजना की क्रियान्वति के लिए 8 हजार 172 करोड़ रुपए की विशेष सहायता उपलब्ध करवाने की बात कही। साथ ही कहा कि पश्चिम राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर, नर्मदा नहर आधारित योजनाओं के संवर्धन एवं विस्तार द्वारा पेयजल उपलब्ध करवाने, बीसलपुर जयपुर परियोजना के दूसरे चरण तथा गुणवता प्रभावित ढाणियों में सतही पेयजल योजना या तकनीक आधारित उपायों के लिए भी केन्द्र सरकार से सहयोग अपेक्षित है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य को सतही स्रोत आधारित परियोजनाओं में सम्पूर्ण परियोजना लागत का 4 प्रतिशत राशि ही प्राप्त हो सकेगी। उन्होंने राज्य सरकार वितीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता के मद्देनजर केन्द्र सरकार द्वारा मरूस्थलीय जिलों में पेयजल योजना लागत राशि में शत प्रतिशत व गैर मरूस्थलीय जिलों में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी की मांग की।
जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री ने बताया कि खारेपन से प्रभावित देश की कुल ढाणियों व गांवों में से अकेले राजस्थान में 92 प्रतिशत स्थित है। इसके मद्देनजर राष्ट्रीय पेयजल ग्रामीण कार्यक्रम के तहत आर. ओ. प्लांट लगाने की वितीय स्वीकृति दी जानी चाहिए। डॉ. कल्ला ने प्रदेश में सौर उर्जा से संचालित नलकूप लगाने की वितीय स्वीकृति तथा पुराने डीफ्लोरिडेशन संयंत्र बदलने के लिए वितीय स्वीकृति की अनुमति देने की बात भी कही। बैठक में राजस्थान के पंचायतराज आयुक्त पी सी किशन भी मौजूद थे।
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