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आगरा में गंगा जल परियोजना का उद्घाटन फिर टला
आगरा । ताजनगरी में जल आपूर्ति की स्थिति को आसान बनाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी गंगा जल परियोजना का औपचारिक उद्घाटन एक बार फिर अगस्त के लिए टाल दिया गया है। बुलंदशहर में गंगा के पलरा झाल नहर से 130 किमी लंबी पाइपलाइन की शुरुआत बीते साल नवंबर में की जानी थी।
लेकिन इसे उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा कुछ पेड़ों के काटने से इनकार किए जाने के बाद टाल दिया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति के सदस्यों ने मार्च में मौका स्थल का दौरा किया था और जानने की कोशिश की थी कि कैसे नुकसान हुए हरित क्षेत्र की भरपाई की जाएगी। फिरोजाबाद जिले में एक खाली पड़े भू-भाग की पहचान की गई है, जहां अगले महीने से पौधरोपण कार्य शुरू किया जाएगा।
आगरा के 20 लाख निवासियों को दो जलकल विभागों से पानी की आपूर्ति की जाती है। इसमें 500 एमएलडी के मुकाबले मुश्किल से 300 एमएलडी की आपूर्ति की जाती है। इस कमी को नई गंगा जल पाइपलाइन से पूरा किए जाने की उम्मीद है, जिसके तहत गंगा के पानी को आगरा लाया जाएगा।
जल निगम के अधिकारियों के मुताबिक, वर्तमान में सबमर्सिबल पम्प, ट्यूबवेल व हैंड पम्प के जरिए अतिरिक्त पानी की मांग पूरी की जा रही है।
चूंकि यमुना का पानी हथिनी कुंड, वजीराबाद, ओखला से गोकुल तक ऊपरी बैराज में संग्रहित होता है, ऐसे में यमुना में पानी के नाम पर मैदानी भाग का औद्योगिक कचरा व घरेलू कचरा व सीवर बहता है।
--आईएएनएस
लेकिन इसे उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा कुछ पेड़ों के काटने से इनकार किए जाने के बाद टाल दिया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति के सदस्यों ने मार्च में मौका स्थल का दौरा किया था और जानने की कोशिश की थी कि कैसे नुकसान हुए हरित क्षेत्र की भरपाई की जाएगी। फिरोजाबाद जिले में एक खाली पड़े भू-भाग की पहचान की गई है, जहां अगले महीने से पौधरोपण कार्य शुरू किया जाएगा।
आगरा के 20 लाख निवासियों को दो जलकल विभागों से पानी की आपूर्ति की जाती है। इसमें 500 एमएलडी के मुकाबले मुश्किल से 300 एमएलडी की आपूर्ति की जाती है। इस कमी को नई गंगा जल पाइपलाइन से पूरा किए जाने की उम्मीद है, जिसके तहत गंगा के पानी को आगरा लाया जाएगा।
जल निगम के अधिकारियों के मुताबिक, वर्तमान में सबमर्सिबल पम्प, ट्यूबवेल व हैंड पम्प के जरिए अतिरिक्त पानी की मांग पूरी की जा रही है।
चूंकि यमुना का पानी हथिनी कुंड, वजीराबाद, ओखला से गोकुल तक ऊपरी बैराज में संग्रहित होता है, ऐसे में यमुना में पानी के नाम पर मैदानी भाग का औद्योगिक कचरा व घरेलू कचरा व सीवर बहता है।
--आईएएनएस
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