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सड़क दुर्घटना में युवक की मौत, अस्पताल पर लापरवाही का आऱोप, हंगामा किया
कुरुक्षेत्र।
सड़क दुर्घटना में घायल युवक की मौत पर परिजनों ने निजी अस्पताल पर
लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल के बाहर जमकर बवाल काटा। परिजनों का
आरोप लगाया कि युवक को जब निजी अस्पताल में दाखिल किया गया तो उसकी मौत हो
चुकी थी, अस्पताल प्रशासन ने पैसा वसूलने के लिए उसे दाखिल रखा। बाद में
पीजीआइ के लिए रेफर कर दिया।
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझा बुझाकर शांत कराया। वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि युवक के परिजनों को पहले ही स्थिति से अवगत करा दिया गया था, लेकिन परिजन उसे पीजीआइ ले जाना चाहते थे और रास्ते में बच्चे की मौत हुई है।
सिरसमा निवासी धर्मपाल ने बताया कि बुधवार दोपहर को गांव के ही नजदीक उनके पुत्र कमल एक वाहन की चपेट में आ गया था, जिसके बाद वे उसे एलएनजेपी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां उनके पुत्र की हालत को देखते हुए पीजीआइ रेफर कर दिया गया, लेकिन कमल की हालत ज्यादा खराब होने के चलते उन्होंने सरकारी अस्पताल के ही नजदीक एक निजी अस्पताल में दाखिल कराना ठीक समझा। यहां चिकित्सकों ने उसके पुत्र का इलाज शुरू कर दिया। धर्मपाल का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन थोड़ी थोड़ी देर बाद उनसे दवाई या फिर पैसों की मांग करता रहा। उन्होंने अपने पुत्र की सलामती के लिए अस्पताल में 50 हजार रुपये जमा करा दिए। चिकित्सकों ने उन्हें सांस देने वाली मशीन पर रख दिया। सायं तक भी जब चिकित्सकों ने कमल की हालत के बारे में कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया तो उन्होंने उसे पीजीआइ ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन से एंबुलेंस की मांग की। इसके लिए भी अस्पताल प्रशासन ने उनसे 14 हजार रुपये ले लिए, लेकिन जब वे अस्पताल से कुछ ही दूरी पर पहुंचे तो कमल का शरीर ठंडा हो गया उन्होंने ध्यान से देखा तो वह सांस नहीं ले रहा था।
धर्मपाल का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें अंधेरे में रखकर अपनी जेब गर्म करने के लिए इतनी देर तक उनके बेटे की लाश को अस्पताल में रखा। इस बात को लेकर गांव के कई लोग शव को अस्पताल में लेकर पहुंच गए और अस्पताल के द्वार पर शव को रखकर बवाल काटा। मामले की सूचना मिलते ही केयूके थाना प्रभारी छोटू राम मौके पर पहुंचे और उन्होंने परिजनों को शांत कराया।
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझा बुझाकर शांत कराया। वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि युवक के परिजनों को पहले ही स्थिति से अवगत करा दिया गया था, लेकिन परिजन उसे पीजीआइ ले जाना चाहते थे और रास्ते में बच्चे की मौत हुई है।
सिरसमा निवासी धर्मपाल ने बताया कि बुधवार दोपहर को गांव के ही नजदीक उनके पुत्र कमल एक वाहन की चपेट में आ गया था, जिसके बाद वे उसे एलएनजेपी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां उनके पुत्र की हालत को देखते हुए पीजीआइ रेफर कर दिया गया, लेकिन कमल की हालत ज्यादा खराब होने के चलते उन्होंने सरकारी अस्पताल के ही नजदीक एक निजी अस्पताल में दाखिल कराना ठीक समझा। यहां चिकित्सकों ने उसके पुत्र का इलाज शुरू कर दिया। धर्मपाल का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन थोड़ी थोड़ी देर बाद उनसे दवाई या फिर पैसों की मांग करता रहा। उन्होंने अपने पुत्र की सलामती के लिए अस्पताल में 50 हजार रुपये जमा करा दिए। चिकित्सकों ने उन्हें सांस देने वाली मशीन पर रख दिया। सायं तक भी जब चिकित्सकों ने कमल की हालत के बारे में कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया तो उन्होंने उसे पीजीआइ ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन से एंबुलेंस की मांग की। इसके लिए भी अस्पताल प्रशासन ने उनसे 14 हजार रुपये ले लिए, लेकिन जब वे अस्पताल से कुछ ही दूरी पर पहुंचे तो कमल का शरीर ठंडा हो गया उन्होंने ध्यान से देखा तो वह सांस नहीं ले रहा था।
धर्मपाल का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें अंधेरे में रखकर अपनी जेब गर्म करने के लिए इतनी देर तक उनके बेटे की लाश को अस्पताल में रखा। इस बात को लेकर गांव के कई लोग शव को अस्पताल में लेकर पहुंच गए और अस्पताल के द्वार पर शव को रखकर बवाल काटा। मामले की सूचना मिलते ही केयूके थाना प्रभारी छोटू राम मौके पर पहुंचे और उन्होंने परिजनों को शांत कराया।
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