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जेट एयरवेज संकट में, 119 विमानों का बेड़ा, मात्र 41 एयरक्राफ्ट ही भर रहे उड़ान
नई दिल्ली। वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के परिचालन पर इसका बहुत ही बुरा असर दिख रहा है। डॉरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) यानी नागर विमानन महानिदेशायल ने मंगलवार को बताया कि अभी जेट एयरवेज के सिर्फ 41 एयरक्राफ्ट ही उड़ रहे हैं जो उसके बेड़े की मूल क्षमता 119 विमानों का सिर्फ एक तिहाई है। कर्ज के बोझ तले दबी यह एयरलाइन अभी कर्जदाताओं और अपने बड़े साझेदार एतिहाद एयरवेज के साथ रेस्क्यू डील की कोशिश कर रही है।
नगर विमानन मंत्रालय पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए
जेट एयरवेज की गिरती माली हालत पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार ने एक इमरजेंसी बैठक बुलाई है। नगर विमानन मंत्रालय जेट एयरवेज की स्थिति पर पूरी तरह से नजर रखे हुए हैं। नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने मंत्रालय के सचिव को जेट एयरवेज के विमानों के खड़ा होने से यात्रियों को होने वाली संभावित परेशानी का हल निकालने के कहा है। इस बैठक में विमानों के खड़ा होने से एडवांस बुकिंग, टिकट रद्दीकरण, रिफंड और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बातचीत होगी।
तीन महीने से वेतन नहीं मिला
जेट एयरवेज का अपने विमानों को उड़ान भरने से रोकने और उड़ानों को रद्द करने का सिलसिला जारी है। इसी बीच कंपनी के विमान रखरखाव इंजीनियरों के संघ ने विमानन क्षेत्र के नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को मंगलवार को सूचना दी कि उन्हें तीन माह से पगार नहीं मिली है और उड़ानों की सुरक्षा जोखिम में है।
विमान इंजीनियरों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर बुरा प्रभाव
जेट एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन (जेएएमईडब्ल्यूए) ने डीजीसीए को एक पत्र में लिखा है, ‘हमारे लिए अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। इसके परिणामस्वरूप विमान इंजीनियरों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है और यह उनके काम को भी प्रभावित करता है। और ऐसे में देश और विदेश में उड़ान भरने वाले जेट एयरवेज के विमानों की सुरक्षा जोखिम पर है।’
पत्र के अनुसार, ‘‘जहां वरिष्ठ प्रबंधन कारोबार में समाधान के तौर-तरीके खोज रहे हैं। हम इंजीनियर पिछले सात माह से समय से वेतन नहीं मिलने से बहुत दबाव में हैं और विशेष तौर पर तीन महीने से तो हमें वेतन मिला ही नहीं है। हम विमानों की जांच करते हैं, उनकी मरम्मत करते हैं और यह प्रमाणित करते हैं कि विमान उड़ने लायक है या नहीं।’’
नगर विमानन मंत्रालय पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए
जेट एयरवेज की गिरती माली हालत पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार ने एक इमरजेंसी बैठक बुलाई है। नगर विमानन मंत्रालय जेट एयरवेज की स्थिति पर पूरी तरह से नजर रखे हुए हैं। नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने मंत्रालय के सचिव को जेट एयरवेज के विमानों के खड़ा होने से यात्रियों को होने वाली संभावित परेशानी का हल निकालने के कहा है। इस बैठक में विमानों के खड़ा होने से एडवांस बुकिंग, टिकट रद्दीकरण, रिफंड और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बातचीत होगी।
तीन महीने से वेतन नहीं मिला
जेट एयरवेज का अपने विमानों को उड़ान भरने से रोकने और उड़ानों को रद्द करने का सिलसिला जारी है। इसी बीच कंपनी के विमान रखरखाव इंजीनियरों के संघ ने विमानन क्षेत्र के नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को मंगलवार को सूचना दी कि उन्हें तीन माह से पगार नहीं मिली है और उड़ानों की सुरक्षा जोखिम में है।
विमान इंजीनियरों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर बुरा प्रभाव
जेट एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन (जेएएमईडब्ल्यूए) ने डीजीसीए को एक पत्र में लिखा है, ‘हमारे लिए अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। इसके परिणामस्वरूप विमान इंजीनियरों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है और यह उनके काम को भी प्रभावित करता है। और ऐसे में देश और विदेश में उड़ान भरने वाले जेट एयरवेज के विमानों की सुरक्षा जोखिम पर है।’
पत्र के अनुसार, ‘‘जहां वरिष्ठ प्रबंधन कारोबार में समाधान के तौर-तरीके खोज रहे हैं। हम इंजीनियर पिछले सात माह से समय से वेतन नहीं मिलने से बहुत दबाव में हैं और विशेष तौर पर तीन महीने से तो हमें वेतन मिला ही नहीं है। हम विमानों की जांच करते हैं, उनकी मरम्मत करते हैं और यह प्रमाणित करते हैं कि विमान उड़ने लायक है या नहीं।’’
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