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जेकेके में नाटक टीन टप्पर में दर्शकों ने देखी गरीब और महनतकशों की दास्तां

जयपुर । जवाहर कला केंद्र (जेकेके) के रंगायन में सोमवार शाम को नाटक 'टीन टप्पर' के मंचन के साथ ही 'गहन नाट्य कार्यशाला' का समापन हुआ। यह कार्यशाला जेकेके और सार्थक थियेटर ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी। नाग बोडस द्वारा लिखित नाटक 'टीन टप्पर' का निर्देशन वरिष्ठ नाट्य निर्देशक साबिर खान द्वारा किया गया था। इस नाटक में कार्यशाला में प्रशिक्षित करीब 18 युवा रंगकर्मियों ने प्रस्तुति दी। प्रस्तुति देने वाले कलाकारों में हर्ष जे. कौशिक, नवीन यादव, भानुष वर्मा, नुपूर वर्मा, याशिका डोलवानी, प्रियाजंली हाड़ा, ऐश्वर्या सिंह, अभिज्ञा कुमावत, विकास अटल, संजय गांधी, तन्मय जैन, संदीप स्वामी, एम.दक्ष धवन, विश्वजीत सिंह राठौड़, प्रदीप, रजत स्वामी, प्रियांशु भार्गव, सुशील स्वामी शामिल थे।वहीं प्रकाश व्यवस्था उज्जवल मिश्रा द्वारा, ध्वनि नवीन डाबी ने और वस्त्र सज्जा रोशन आरा द्वारा की गई।
नाटक टीन-टप्पर ने उन गरीबों और महनतकशों की दास्तां को बयान किया, जो थोड़े से ज़मीन के टुकड़े पर मिटटी की दीवारों पर घास-फूंस व टीन की छत डालकर उसके नीचे अपनी रातें गुजारते हैं। अचानक एक दिन इनकी ये हंसी-खुशी आंसुओं और चीख पुकार में तब्दील हो जाती है, जब उन्हें पता चलता है की उनके टीन-टप्परों को तहस नहस कर और उन्हें बेदखल करके वहां पर एक बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी जायेगी। यह नाटक ऐसे ही करोड़ों लोगों का एक दस्तावेज़ है।
नाटक टीन-टप्पर ने उन गरीबों और महनतकशों की दास्तां को बयान किया, जो थोड़े से ज़मीन के टुकड़े पर मिटटी की दीवारों पर घास-फूंस व टीन की छत डालकर उसके नीचे अपनी रातें गुजारते हैं। अचानक एक दिन इनकी ये हंसी-खुशी आंसुओं और चीख पुकार में तब्दील हो जाती है, जब उन्हें पता चलता है की उनके टीन-टप्परों को तहस नहस कर और उन्हें बेदखल करके वहां पर एक बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी जायेगी। यह नाटक ऐसे ही करोड़ों लोगों का एक दस्तावेज़ है।
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