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पंजाब : चुनावी मौसम में डेरों का रुतबा बढ़ा

khaskhabar.com : सोमवार, 08 अप्रैल 2019 12:11 PM (IST)
पंजाब : चुनावी मौसम में डेरों का रुतबा बढ़ा
चंडीगढ़। इस चुनावी मौसम पंजाब में डेरा या पंथ बहुत अधिक महत्व रखते हैं। प्रत्येक डेरा बड़ी संख्या में उन मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता रखता है, जो उसके अनुयायी हैं। राजनीतिक दलों और नेताओं के पास चुनावों के दौरान इन पर ध्यान देने के बजाय कोई और विकल्प नहीं बचता है।

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पिछले सप्ताह अमृतसर के समीप ब्यास कस्बे के राधा स्वामी डेरा मुख्यालय का दौरा किया, जिसे स्पष्ट रूप से पंथ को लुभाने के प्रयास में देखा जा रहा है।

कांग्रेस की पंजाब इकाई केअध्यक्ष व गुरदासपुर से सांसद सुनील कुमार जाखड़ और पार्टी की पंजाब प्रभारी आशा कुमारी के साथ पहुंचे अमरिंदर ने संप्रदाय प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों के साथ करीब दो घंटे का वक्त बिताया।

अपनी धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध राधा स्वामी संप्रदाय के पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों में लाखों अनुयायी हैं।

अमरिंदर और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले दिसंबर, 2016 में पंथ प्रमुख से मुलाकात की थी। कांग्रेस ने 117 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 77 सीटें जीती थीं।

अमरिंदर की पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर को डेरों में जाना गलत नहीं लगता। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे हम अन्य लोगों के पास जाते हैं, वैसे ही हम डेरों में भी जाते हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है।’’

पंजाब में अनुमानित डेरों की संख्या लगभग 9,000 हैं, जिसमें बड़े और छोटे दोनों ही प्रकार के डेरे शामिल हैं। इन डेरों के कुछ लोग धर्म और समुदायों के अनुयायी हैं, जबकि कुछ विशेष समुदायों से संबंधित हैं।

जालंधर जिले के एक सिख धर्म प्रचारक अमरीक सिंह ने आईएएनएस को बताया, ‘‘पंजाब का सामाजिक और धार्मिक तानाबाना कई क्षेत्रों में डेरों से प्रभावित हैं। इनमें से कुछ डेरे विशेष रूप से चुनाव के समय काफी प्रभावशाली हैं। हालांकि, क्षेत्र में डेरों की अवधारणा सदियों पुरानी है, जबकि कुछ विवादास्पद हैं और उनके स्वयंभू अब राजनीतिक परि²श्य पर भी हावी होना शुरू हो चुके हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गुरमीत राम रहीम सिंह के डेरा सच्चा सौदा पंथ जैसे कुछ हाल के वर्षों में विवादों में चल रहे हैं।’’

राधा स्वामी पंथ के अलावा पंजाब केअन्य प्रमुख डेरों में जालंधर के समीप बल्लन गांव स्थित ‘डेरा सच्चा खंड’ पंथ भी शामिल है। पंथ प्रमुख निरंजन दास और उपप्रमुख रामानंद सहित इसके दो शीर्ष पदाधिकारियों पर मई 2009 में ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना स्थित एक गुरुद्वारे पर हमला किया गया था। हमले में रामानंद की मौत हो गई थी और इस घटना से 2009 में पंजाब के दोआब बेल्ट में हिंसा और तनाव भडक़ गया था।

इससे पहले 2007 में डेरा सच्चा सौदा पंथ भी अप्रैल-मई 2007 में सिख समुदाय के साथ हिंसक झड़प का गवाह बना था। पंथ प्रमुख ने अप्रैल 2007 में एक समारोह के दौरान 10वें सिख गुरु गोबिंद सिंह की तर्ज पर वस्त्र पहने थे। उनके कृत्यों पर सिख समुदाय ने कड़ी आपत्ति जताई थी, जिसके बाद पंजाब, हरियाणा, जम्मू और अन्य स्थानों पर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी।

अगस्त, 2017 में महिला शिष्यों से दुष्कर्म के दोषी पाए जाने पर उन्हें 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई गई, जिससे पहले पंजाब और हरियाणा के कई बड़े राजनेता डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के सामने कई वर्षों तक लाइन लगाते थे।

राज्य के अन्य विवादास्पद पंथों में जालंधर के निकट नूरमहल स्थित (दिवंगत) स्वयंभू आशुतोष महाराज के नेतृत्व वाला ‘दिव्य ज्योति जागरण संस्थान’ (डीजेजेएस) भी शामिल हैं। महाराज के पार्थिव शरीर को उनके अनुयायियों और संप्रदाय प्रबंधन ने जनवरी 2014 के बाद डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद से रखा हुआ है।

इसके अलावा बाबा पैरा सिंह भानियारेवाला के नेतृत्व वाला ‘भानियारेवाला डेरा’ भी विवादित डेरों में शामिल है। संप्रदाय के प्रमुख पर सिख कट्टरपंथियों द्वारा हमले के बाद उन्हें ‘जेड श्रेणी’ की सुरक्षा प्राप्त है। यह रोपड़ जिले के धामियाना गांव में स्थित है। उनके ज्यादातर अनुयायी दलित सिख समुदाय से हैं।

भानियारेवाला, खुद की तुलना सिख गुरुओं से करने को लेकर सिख समुदाय के साथ विभिन्न विवादों में शामिल रहा है। उन पर और उनके अनुयायियों पर हाल के वर्षों में सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरुग्रंथ साहिब को जलाने का आरोप है।
(आईएएनएस)

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