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जैसलमेर। विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान रखती है स्वर्णनगरी जैसलमेर। इसकी स्थापना यदुकुल कृष्णवंशी भाटी राजपूत राजा जैसल ने 12वीं शताब्दी में की थी। इससे पहले भाटियों का राज्य लौद्रवा था जिसे मोहम्मद गोरी की सेना ने राजा भोजदेव के भतीजे जैसल के सहयोग से उजाड़ दिया था। वक्त ने करवट बदली और स्वर्ग सा सुन्दर जैसलमेर आज की स्थापत्य कला की विरासत सपना बन देश विदेश के कला अनुरागी मरूस्थल सैलानियों की पहली पसंद बन गया है।
रेत के समंदर के बीच सोने सा चमकता जैसलमेर
विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान लिये हुए स्वर्णनगरी जैसलमेर का नाम जेहन मे आते ही सुनहरे पत्थर से बनेकिले व हवेलियों के साथ अथाह दूर तक फैला रेत का समंदर अपने आप ही जेहन में आ जाता है। देश विदेश के पर्यटकों की पहली पसंद बन रहे जैसलमेर में लाखों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष भ्रमण के लिये आते हैं।
रेत के समंदर के बीच सोने सा चमकता जैसलमेर
विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान लिये हुए स्वर्णनगरी जैसलमेर का नाम जेहन मे आते ही सुनहरे पत्थर से बनेकिले व हवेलियों के साथ अथाह दूर तक फैला रेत का समंदर अपने आप ही जेहन में आ जाता है। देश विदेश के पर्यटकों की पहली पसंद बन रहे जैसलमेर में लाखों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष भ्रमण के लिये आते हैं।
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