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लोक परंपरा को जीवित रखने वाली विभूतियों का हुआ सम्मान

khaskhabar.com : मंगलवार, 12 जून 2018 2:57 PM (IST)
लोक परंपरा को जीवित रखने वाली विभूतियों का हुआ सम्मान
बीकानेर। लोक परम्पराओं को जीवित रखने वाली विभूतियों के मान-सम्मान को समर्पित संस्था म्यूजिकल इमोशन ग्रुप और परम्परा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए परम्परा के डॉ.श्रीलाल जोशी ने कहा लोक परम्परा को जीवित रखने के लिए यह संस्था कृत संकल्प है आज का यह कार्यक्रम उसी परम्परा को समर्पित है। आज जिन पांच गायक कलाकारों को सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने लोक परम्परा को अपने गायन, वादन से जीवित कर रखा है । मुख्य अतिथि प्रौढ शिक्षण समिति के सचिव ओम कुबेरा ने कहा कि दोनों संस्थाओं का साधुवाद जिन्होंने लोक परम्परा को बनाए रखने के लिए यह उत्साही कार्यक्रम आयोजित किया । सम्मानित सभी विभूतियों ने इस परम्परा को कायम रखा है।

कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती, विमला मोहता और सिद्धांत के चित्र पर पुष्प अर्पित कर, दीप प्रज्ज्वलन कर किया। स्वागत उद्बोधन देते हुए संस्था के अहमद बशीर ने कहा हमारा म्यूजिकल वाट्स एप्प क्लासिकल संगीत को समर्पित है। इस ग्रुप में केवल पौराणिक संगीत पर ही चर्चा होती है । लोपा मुद्रा आचार्य ने गणपति वन्दना से कार्यक्रम की शुरुआत की। लोपामुद्रा आचार्य ने राग देश में छोटा खयाल- मेहा रे बन बन डार डार, भजन-तुम बिन मोरी कौन खबर ले गोवरधन गिरधारी, दुष्यंतकुमार की गजल- ये जुबां हमसे सी नहीं जाती और नीरज का एक गीत प्रस्तुत किया । तबले पर संगत भास्कर आचार्य ने की । कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार का लिखा क्लासिकल गीत –यह धरा नहीं है साधारण यह भूमि पवित्र हमारी है युवा गायक गौरीशंकर सोनी ने गाया । हारमोनियम पर ज्ञानेश्वर सोनी और तबले पर डॉ.मुरारी शर्मा ने संगत की।

कार्यक्रम में पांच विभूतियों डॉ.मुरारी शर्मा, जनार्दन स्वामी, अशोक शर्मा, आसकरण सांखला और दीपा पंत को माला, शॉल, सम्मान-पत्र, स्मृति चिन्ह, श्रीफल अर्पित कर सम्मानित किया गया। अहमद बशीर, चन्द्रशेखर सांवरिया और राज भारती शर्मा ने सम्मानित होने वाली विभूतियों का परिचय दिया।

मंच के साथ सखा संगम के अध्यक्ष एन.डी.रंगा, वरिष्ठ चित्रकार मुरलीमनोहर के.माथुर, डॉ.एम.एल. व्यास, हनुमान कच्छावा, समाजसेवी ऋषिकुमार अग्रवाल, सपन भक्ता ने सभी विभूतियों का सम्मान किया । कार्यक्रम में साहित्यकार नन्दकिशोर आचार्य, ब्रजरतन जोशी, सुमन औझा जोशी, अक्षयकुमार, मोहित सुथार, नरेन्द्रसिंह आदि की साक्षी रही। लोक गायक राकेश बिस्सा ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन राजाराम स्वर्णकार ने किया।

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