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यहां दशहरा ओर मोहर्रम के पर्व पर हिन्दू मुस्लिम कारीगर करते है साम्प्रदायिक एकता की मिसाल
बारां। अलग अलग समुदाय से तालुक रखने वाले कारीगर हिन्दू ओर मुस्लिम
समाज के धार्मिक कार्यक्रमो में साम्प्रदायिक एकता की मिसाल कायम कर रहे है। यहां मुस्लिम समाज के नदिम लखारा दशहरा पर्व पर रावण का पुतला तैयार
करता है तो वही हिन्दू समाज का कारीगर मोहर्रम के पर्व पर मोहर्रम तैयार
करते हैं। ये दोनों कारीगर आपसी भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए आपस में
मिलकर दोनो समुदाय के कार्यक्रमो में भागीदार बनते है।
नदीम लखारा का परिवार पिछले 80 सालों से दशहरा के पर्व पर होने वाले रावण दहन के लिए पुतले का निर्माण करता है .. 30 साल पूर्व नदीम के पिता दशहरा पर्व पर रावन का पुतला बनाते थे वो बताते है कि जब उनके पिता रावण का पुतला बनाते थे तब वो काफी नजदीक से उन्हें देखा करते थे ..आज वो उनके पिता के बाद अपने शोक से हिन्दू समाज के इस धार्मिक कार्यक्रम के लिए रावण का पुतला तैयार करते है ..नदीम जब रावण के पुतले को तैयार करते है तो उनके बच्चे उन्हें इस काम को करते देख काफी नजदीक से देखते है ..नदीम लखारा को इस काम को करते देख हिन्दू समाज का एक कारिगर भी उनकी मदद करने के लिए आतुर हो जाता है ।
दूसरी तरफ मोहर्रम पर्व पर ये दोनो कारीगर मिलकर मोहर्रम तैयार करते है। इसी कारीगर में आपसी सहयोग के चलते आज दोनो कारीगर आपस मे घनिष्ठ दोस्त बन चुके है।
नदीम लखारा का परिवार पिछले 80 सालों से दशहरा के पर्व पर होने वाले रावण दहन के लिए पुतले का निर्माण करता है .. 30 साल पूर्व नदीम के पिता दशहरा पर्व पर रावन का पुतला बनाते थे वो बताते है कि जब उनके पिता रावण का पुतला बनाते थे तब वो काफी नजदीक से उन्हें देखा करते थे ..आज वो उनके पिता के बाद अपने शोक से हिन्दू समाज के इस धार्मिक कार्यक्रम के लिए रावण का पुतला तैयार करते है ..नदीम जब रावण के पुतले को तैयार करते है तो उनके बच्चे उन्हें इस काम को करते देख काफी नजदीक से देखते है ..नदीम लखारा को इस काम को करते देख हिन्दू समाज का एक कारिगर भी उनकी मदद करने के लिए आतुर हो जाता है ।
दूसरी तरफ मोहर्रम पर्व पर ये दोनो कारीगर मिलकर मोहर्रम तैयार करते है। इसी कारीगर में आपसी सहयोग के चलते आज दोनो कारीगर आपस मे घनिष्ठ दोस्त बन चुके है।
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