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प्राकृतिक कृषि राज्य बनकर उभरेगा हिमाचल : राज्यपाल
धर्मशाला। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों राज्य शीघ्र ही प्राकृतिक कृषि प्रदेश बनकर उभरेगा और दूसरे राज्यों के लिए भी एक आदर्श स्थापित करेगा। राज्यपाल बुधवार को चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर में कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि राज्य में पिछले तीन वर्ष पूर्व प्राकृतिक खेती को लेकर जो चर्चा आरम्भ हुई थी और जिसे मैंने अभियान के रूप में प्रदेश में आरम्भ किया था आज वह कृषि पद्धति फलीभूत होते नजर आ रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बधाई देते हुए कहा कि सरकार इस कार्यक्रम में पूरी रुचि लेते हुए इसे मिशन के रूप में लिया है।
उन्होंने किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने का आह्वान किया तथा कहा कि इसे मिशन के रूप में अपनाकर कृषि क्षेत्र में यह पहाड़ी प्रदेश देश के लिए आदर्श स्थापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारणों में 40 प्रतिशत वर्तमान कृषि पद्धति और कृषि उपकरण शामिल है। उन्होंने कहा कि किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं, जिससे फसल उत्पादन में किसी प्रकार की कमी नही आती बल्कि फसल की उत्पादन लागत लगभग शून्य हो जाती है और किसानों को उत्पादों के मूल्य भी अन्य उत्पादों से अधिक मिलते हैं।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि राज्य में पिछले तीन वर्ष पूर्व प्राकृतिक खेती को लेकर जो चर्चा आरम्भ हुई थी और जिसे मैंने अभियान के रूप में प्रदेश में आरम्भ किया था आज वह कृषि पद्धति फलीभूत होते नजर आ रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बधाई देते हुए कहा कि सरकार इस कार्यक्रम में पूरी रुचि लेते हुए इसे मिशन के रूप में लिया है।
उन्होंने किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने का आह्वान किया तथा कहा कि इसे मिशन के रूप में अपनाकर कृषि क्षेत्र में यह पहाड़ी प्रदेश देश के लिए आदर्श स्थापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारणों में 40 प्रतिशत वर्तमान कृषि पद्धति और कृषि उपकरण शामिल है। उन्होंने कहा कि किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं, जिससे फसल उत्पादन में किसी प्रकार की कमी नही आती बल्कि फसल की उत्पादन लागत लगभग शून्य हो जाती है और किसानों को उत्पादों के मूल्य भी अन्य उत्पादों से अधिक मिलते हैं।
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