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वन विभाग ने हासिल किए 100 दिनों के लक्ष्य

khaskhabar.com : शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018 3:50 PM (IST)
वन विभाग ने हासिल किए 100 दिनों के लक्ष्य
शिमला। वन, परिवहन, युवा सेवाएं एवं खेल मन्त्री श्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि वन विभाग ने सरकार के 100 दिनों में अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल कर लिया है। विभाग ने सर्दियों के मौसम में 2000 हैक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया है, जिसमें चौड़ी पत्ती के पौधों को प्राथमिकता दी गई है। यह लक्ष्य पौधरोपण अभियान को गति देने हेतु रखा गया था, जिससे प्रदेश में वन आवरण बढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण लोगों को ईंधन, चारा, पत्ती, फल इत्यादि उपलब्ध हो सके।

उन्होंने कहा कि पौधों की गुणवता बनाने एवं पौधरोपण उपरान्त उनकी जीवित प्रतिशत्ता को बढ़ाने के लिए अच्छी पौधशालाऐं बहुत ही आवश्यक होती है। इसके लिए विभाग ने विस्तृत वैज्ञानिक व तकनीकी दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं। राज्य सरकार ने विभिन्न विकासात्मक कार्यों के प्रभावी अनुश्रवण व मुल्यांकन पर विशेष बल दिया है तथा वन विभाग ने नई अनुश्रवण एवं मुल्यांकन को प्रभावी बनाने के लिए प्रोटोकोल तैयार किया गया है। विभाग के विभिन्न स्तर के अधिकारियों को वानिकी कार्यां की समीक्षा हेतु लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इसमें निरीक्षण की रिपोर्टिगं ऑन-लाइन प्रक्रिया द्वारा की जाएगी तथा मोबाईल ऐप का उपयोग किया जाएगा।

वन मंत्री ने कहा कि सुन्दरनगर स्थित वन प्रशिक्षण संस्थान के आधारभूत ढ़ांचे के विस्तार के कार्य को 100 दिनों के भीतर पूर्ण किया है। प्रशासनिक एवं वन राजिक प्रशिक्षण ब्लाक का निर्माण 236.80 लाख रुपये की लागत से पूरा किया गया। वन रक्षकों के छात्रावास का निर्माण 458.98 लाख रुपये की लागत से किया गया है।

उन्होंने कहा कि विगत 29 मार्च को प्रदेश सरकार के प्रयासों से जापान की अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी जे.आई.सी.ए. द्वारा भारत सरकार के साथ 640 करोड़ के ऋण समझोते पर हस्ताक्षर किए गए। इस परियोजना के अर्न्तगत किन्नौर, शिमला, बिलासपुर, मण्डी, कुल्लू व लाहौल स्पिति जिलों में 2018 से 2027 तक 10 वर्षों की अवधि में कार्य किए जाएंगे, जिसमें 400 वार्ड़ां में पारिस्थितिकी तन्त्र का गहन प्रबन्धन किया जाएगा, जिससे वनों से प्राप्त होने वाली सेवाओं व जैव-विविधता के संरक्षण को सुदृढ़ता मिलेगी।

वन मंत्री कहा कि वन विभाग के कर्मचारियों का हौंसला बढ़ाने के लिए पुरस्कार योजना को मंज़ूरी प्रदान की गई है। योजना के तहत 10 श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
उन्होंने कि राज्य में प्राकृतिक सुंदरता का भण्डार है तथा यहां वन विहार, ईको पार्क इत्यादि बनाने की अपार क्षमता है। विभाग ने 12 ईको पार्कों की कार्य योजना तैयार कर ली है। इस योजना में जलपान गृह, शौचालयों की सुविधा, भ्रमण के लिए रास्ते, साहसिक खेल व कैपिंग की सुविधाएं, लेजर लाईट शो, कृत्रिम जलाशय आदि विकसित करने का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने कहा कि शिमला के क्रैगनेनों, पालमपुर के सौरभ वन विहार तथा मनाली के ब्यास बिहाल पार्कों में लेज़र शो लगाने की कार्य योजना तैयार की गई है।

वन मंत्री ने कहा कि हिमाचल में गर्मियों के मौसम में वनों में आगजनी की काफी घटनाएं होती हैं जिससे वन सम्पदा का भारी नुकसान होता है, इनसे निपटने के लिए विभाग ने विस्तृत मार्गदर्शिका बनाई है जिसमें 10 वर्षों में आग की घटनाओं से हुई क्षति, राज्य के वन क्षे़त्र व वन अग्नि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य के चार चिड़ियाघरोंः हिमालयन नेचर पार्क कुफरी, रेणुकाजी मिनी चिडियाघर, रिवालसर मिनी चिड़ियाघर व धौलाधार नेचर पार्क गोपालपुर के व्यापक सुधार हेतु कार्य योजना तैयार की गई है, जिसमें नए बुनियादी ढ़ांचे का विकास, मौजूदा बुनियादी ढ़ांचे का सुधार, आगंतुक सुविधाओं को स्तरोन्नत करना, नए बाडे जैसे एक्वेरियम, सर्प पार्क इत्यादि की स्थापना, व्याख्यात्मक सुविधाओं का विस्तार, बैटरी चलित वाहन सुविधा, भू-विन्यास तथा थ्री-डी थियेटरों का निर्माण शामिल है।
श्री ठाकुर ने कहा कि राज्य में स्थानीय लोग जंगल से जड़ी-बूटियां व गैर काष्ठ वन उत्पादों को इक्कठा करते हैं जो उन्हें आय के अतिरिक्त साधन उपलब्ध करवाते हैं। उन्होंने कहा कि लघु वन उत्पादों का असंगठित एकत्रीकरण न केवल इन उत्पादों के अति दोहन के रुप में सामने आता है, बल्कि इससे जुड़े समुदायों को प्राप्त होने वाली आय को भी प्रभावित करता है। इन कठिनाईयों को दूर करने के लिए नई कार्य योजना बनाने का लक्ष्य रखा था।

उन्होंने कहा कि वानरों की समस्या से निपटने के लिए राज्य में शल्यचिकित्सा पद्धति द्वारा वानरों की सामुहिक नसबन्दी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। हिमाचल सरकार द्वारा इस तकनीक से बन्दरों की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाने का विश्व में यह पहला प्रयास है। उन्होंने कहा कि गत तीन माह के दौरान 10 हजार बंदरों की नसबंदी की गई और अभी तक कुल 1,40,643 वानरों की नसबन्दी की जा चुकी है।

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