Advertisement
द्रव्यवती नदी के मच्छरों को लेकर स्वास्थ्य विभाग चिंतित, आखिर क्यों, यहां पढ़ें
जयपुर । पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की द्रव्यवती नदी योजना प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के लिए परेशानी का सबब बन गई है। यह प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हो सका है और पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने वाही-वाही लूटने के लिए आनन-फानन में दो किमी वाले रिवर फ्रंट का उदघाटन कर दिया था। लेकिन अब द्रव्यवती नदी में पानी ठहरने से मच्छरों का प्रकोप अधिक होने की संभावना बढ़ गई है और तेज गर्मी पड़ने से डेंगू, मलेरिया का खतरा भी बढ़ सकता है।
इसके चलते स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा है कि मच्छर जनित विभिन्न रोगों से बचाव के लिए इन रोगों के प्रसार से पूर्व समय रहते ही रोकथाम के लिए सभी उपाय किए जाने चाहिए । उन्होंने द्रव्यवती नदी में जहां पानी एकत्र होता हो, उसके आस-पास एवं सामान्यतः अधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों के चिन्हीकरण एवं सात दिवस में कार्ययोजना बनाकर लागू करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत संचालित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि हर साल एक निश्चित समय पर मच्छर जनित रोगों का प्रकोप बढता है, ऐसे मेें अभी से इसकी रोकथाम और जनजागरूकता के लिए प्रयास प्रारम्भ कर दिए जाने चाहिए। विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर वीडियो संदेशों, बैनर, पोस्टर्स, पेम्प्लेट, सनबोर्ड के जरिए इन रोगों से बचाव एवं उपचार की जानकारी दी जानी चाहिए। इसके साथ ही स्कूली पाठ्यक्रमों में भी मौसमी बीमारियों, मेन्स्ट्रुअल हाईजीन तथा खाद्य सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां शामिल की जानी चाहिएं। उन्होंने बताया इसके लिए शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है।
विभाग के विशिष्ट शासन सचिव एवं मिशन निदेशक एनएचएम डाॅ. समित शर्मा ने कहा कि मच्छरों के लार्वा को खाने वाली गम्बूसिया मछली के प्रजनन के लिए हर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एक हैचरी विकसित की जानी चाहिए। इस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने इन हैचरी को विकसित करने के लिए अभियान चलाने के सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए।
इसके चलते स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा है कि मच्छर जनित विभिन्न रोगों से बचाव के लिए इन रोगों के प्रसार से पूर्व समय रहते ही रोकथाम के लिए सभी उपाय किए जाने चाहिए । उन्होंने द्रव्यवती नदी में जहां पानी एकत्र होता हो, उसके आस-पास एवं सामान्यतः अधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों के चिन्हीकरण एवं सात दिवस में कार्ययोजना बनाकर लागू करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत संचालित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि हर साल एक निश्चित समय पर मच्छर जनित रोगों का प्रकोप बढता है, ऐसे मेें अभी से इसकी रोकथाम और जनजागरूकता के लिए प्रयास प्रारम्भ कर दिए जाने चाहिए। विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर वीडियो संदेशों, बैनर, पोस्टर्स, पेम्प्लेट, सनबोर्ड के जरिए इन रोगों से बचाव एवं उपचार की जानकारी दी जानी चाहिए। इसके साथ ही स्कूली पाठ्यक्रमों में भी मौसमी बीमारियों, मेन्स्ट्रुअल हाईजीन तथा खाद्य सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां शामिल की जानी चाहिएं। उन्होंने बताया इसके लिए शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है।
विभाग के विशिष्ट शासन सचिव एवं मिशन निदेशक एनएचएम डाॅ. समित शर्मा ने कहा कि मच्छरों के लार्वा को खाने वाली गम्बूसिया मछली के प्रजनन के लिए हर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एक हैचरी विकसित की जानी चाहिए। इस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने इन हैचरी को विकसित करने के लिए अभियान चलाने के सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
जयपुर
राजस्थान से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement