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फर्जी संस्थानों की आयोग से करें शिकायत :सुनील दत्त
धर्मशाला (कांगड़ा) । हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के सदस्य
सुनील दत्त शर्मा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शिक्षण संस्थानों में मान्यता प्राप्त
शिक्षण संस्थानों की सूची सूचनापट्ट पर प्रदर्शित करने का सुझाव दिया है ताकि बच्चों
को मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों की सही जानकारी प्राप्त हो और वे फर्जी संस्थानों
के झांसे में आने से बच सके। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी, अभिभावक अथवा कोई भी व्यक्ति
बिना अपनी पहचान उजागर किए किसी निजी संस्थान की मान्यता को लेकर अपनी शिकायत आयोग
के पास कर सकता है। ऐसी किसी भी शिकायत पर आयोग तुरंत कार्रवाई करता है। शर्मा बुधवार
को कांगड़ा एवं चम्बा जिले के निजी शिक्षण संस्थानों से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई के
उपरांत पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
सुनील दत्त शर्मा ने कहा
कि पहले शिकायतकर्ताओं को शिमला में आकर केस लड़ना पड़ता था लेकिन अब यह प्रयास किए जा
रहे हैं कि उनके निकटतम स्थानों पर ही आयोग उनकी शिकायतों को सुने। इसी क्रम में आज
धर्मशाला में जिला कांगड़ा और चम्बा से प्राप्त शिकायतों की सुनवाई हुई। जिला प्रशासन
और पुलिस के सहयोग से प्रदेश में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है । सुनील दत्त शर्मा
ने कहा कि यूजीसी के आदेशानुसार कोई भी निजी शिक्षण संस्थान दूरस्थ शिक्षा प्रदान नहीं
कर सकता। यदि कोई निजी शिक्षण संस्थान दूरस्थ शिक्षा देने की बात कहता है तो यह पूरी
तरह से गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान को राज्य सरकार से अनापत्ति
प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त संस्थान का राज्य या केन्द्र सरकार से
मान्यता प्राप्त होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी भी निजी शिक्षण संस्थान को अपने
पास बच्चों के मूल प्रमाण.पत्र रखने का अधिकार नहीं है तथा ऐसा करना गैर कानूनी है।
शर्मा ने बताया कि हिमाचल
प्रदेश शिक्षा नियामक आयोग पूरे देश में अपनी तरह का एकमात्र ऐसा आयोग है जिसने प्रदेश
में गैर कानूनी तौर पर चलाए जा रहे शिक्षण संस्थानों की पहचान करने के साथ- साथ शिक्षा
के व्यापारीकरण को रोकने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग के पास
ज्यादातर शिकायतें गरीब परिवारों के लोगों की आती है, जो बड़ी मुश्किल से अपने बच्चों
को शिक्षा मुहैया करवा रहे हैं।
सुनील दत्त शर्मा ने कहा
कि विभाग की वेबसाईट पर प्रदेश भर के मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि जिस राज्य से विश्वविद्यालय को चलाने के लिए मान्यता मिली है, उसी
राज्य में वह शिक्षा गतिविधियां चला सकता है। उन्होंने कहा कि कॉलेज के साथ स्कूल का
समानतर संचालन नहीं किया जा सकता है। कॉलेज व स्कूल के लिए अलग.अलग मान्यता व भवन होना
आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यदि किसी शिक्षण संस्थान को पूर्व में किन्हीं कारणवश एनओसी
दे दी गई है तो उन संस्थानों को भी तुरंत अलग कैंपस बनाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
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