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राज्यपाल को पीएच.डी की मानद उपाधि से सम्मानित किया
पीएच.डी की उपाधि दिए जाने पर उन्होने देश
के प्रथम राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद द्वारा गठित बिहार साहित्य
सम्मेलन का धन्यवाद किया और विश्व हिन्दी दिवस पर देश के सभी साहित्यकारों
को बधाई दी। इस सम्मेलन में देश और विदेश से संस्कृत व हिन्दी के प्रकाण्ड़
पंडित व साहित्यकार उपस्थित थे। उन्होनेे हिन्दी के विकास और भाषा को आगे
बढ़ाने के लिए डा राजेन्द्र प्रसाद और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के
योगदान को याद किया और कहा कि ऐसे साहित्यिक पूरोधाओं के कारण ही हिन्दी
भाषा का अस्तित्व बचा और आज हिन्दी भाषा विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है।
आर्य ने कहा कि देश में मुगलों और अंग्रेजों के शासन काल में हिन्दी भाषा ने कई उतार-चढ़ाव देखे, परन्तु हिन्दी साहित्य प्रेमियों के संघर्ष के चलते हिन्दी भाषा ने निरंतर विकास किया। उन्होने कहा कि हिन्दी के विकास के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने ‘‘सत्यार्थ-प्रकाश‘‘ को हिन्दी भाषा में प्रकाशित किया। ‘सत्यार्थ प्रकाश‘ में वेदों का सार है और आर्य समाज का आधार ग्रंथ है।
उन्होने कहा कि बाबा साहेब डा भीम राव अम्बेडकर ने जनता की आवाज को सुन कर 14 सितम्बर 1949 को संविधान की अनुछेद 343 में शामिल कर हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी 1957 में हिन्दी के लिए आंदोलन हुआ। तत्कालीन हिन्दी आंदोलन में भाग लेने वाले आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया गया और आज उन्हे मासिक पेंशन भी प्रदान की जा रही है।
आर्य ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में भाषण देकर हिन्दी प्रेमियों का मस्तक उचां किया। इसी प्रकार से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में फिर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में ही धाराप्रवाह संबोधन किया। उन्होने आमजन से अपील की कि हम सब हिन्दी के विकास के लिए आगे आए और हम सब दिन-प्रतिदिन के कार्यों में हिन्दी का प्रयोग करें।
आर्य ने कहा कि देश में मुगलों और अंग्रेजों के शासन काल में हिन्दी भाषा ने कई उतार-चढ़ाव देखे, परन्तु हिन्दी साहित्य प्रेमियों के संघर्ष के चलते हिन्दी भाषा ने निरंतर विकास किया। उन्होने कहा कि हिन्दी के विकास के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने ‘‘सत्यार्थ-प्रकाश‘‘ को हिन्दी भाषा में प्रकाशित किया। ‘सत्यार्थ प्रकाश‘ में वेदों का सार है और आर्य समाज का आधार ग्रंथ है।
उन्होने कहा कि बाबा साहेब डा भीम राव अम्बेडकर ने जनता की आवाज को सुन कर 14 सितम्बर 1949 को संविधान की अनुछेद 343 में शामिल कर हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी 1957 में हिन्दी के लिए आंदोलन हुआ। तत्कालीन हिन्दी आंदोलन में भाग लेने वाले आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया गया और आज उन्हे मासिक पेंशन भी प्रदान की जा रही है।
आर्य ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में भाषण देकर हिन्दी प्रेमियों का मस्तक उचां किया। इसी प्रकार से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में फिर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में ही धाराप्रवाह संबोधन किया। उन्होने आमजन से अपील की कि हम सब हिन्दी के विकास के लिए आगे आए और हम सब दिन-प्रतिदिन के कार्यों में हिन्दी का प्रयोग करें।
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