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सवर्णों के दबाव में तालाब होकर गुजरी शवयात्रा
जबलपुर। मध्य प्रदेश में मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक और घटना सामने तब आई, जब जबलपुर में श्मशानघाट की ओर जाने वाला मार्ग बंद होने पर शवयात्रा को स्थानीय सवर्ण जाति के एक दबंग व्यक्ति ने अपने खेत से नहीं गुजरना दिया और मजूबरन लोगों को शव के साथ पानी से भरे तालाब से होकर गुजरना पड़ा। प्रशासन वास्तविकता का पता लगाने की बात कह रहा है।
मामला जबलपुर जिले की पनागर तहसील के बमनोद ग्राम पंचायत के बेहर गांव का है। जानकारी के अनुसार, इस गांव के पटेल समाज की 70 वर्षीय कांतिबाई का गुरुवार को निधन हो गया। जब उनकी अंतिम यात्रा श्मशानघाट की ओर बढ़ी तो पता चला कि श्मशानघाट तक जाने का रास्ता जलभराव के कारण बंद हो गया है। जब शवयात्रा को एक सवर्ण दबंग के खेत से होकर ले जाने की कोशिश की गई तो उन्हें रोक दिया गया। नतीजतन लोगों को तालाब के गहरे पानी से होकर गुजरना पड़ा। शवयात्रा में शामिल कई लोगों के गले तक पानी था।
जिलाधिकारी महेश चंद्र चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है और इसकी वास्तविकता का पता लगाने के निर्देश अधीनस्थ अधिकारियों को दिए गए हैं। ज्ञात हो कि पिछले दिनों मुरैना जिले में अनुसूचित जनजाति समाज के एक व्यक्ति को अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार घर के सामने सडक़ पर इसलिए करना पड़ा था, क्योंकि गांव के प्रभावशाली लोग श्मशान भूमि पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं।
(आईएएनएस)
मामला जबलपुर जिले की पनागर तहसील के बमनोद ग्राम पंचायत के बेहर गांव का है। जानकारी के अनुसार, इस गांव के पटेल समाज की 70 वर्षीय कांतिबाई का गुरुवार को निधन हो गया। जब उनकी अंतिम यात्रा श्मशानघाट की ओर बढ़ी तो पता चला कि श्मशानघाट तक जाने का रास्ता जलभराव के कारण बंद हो गया है। जब शवयात्रा को एक सवर्ण दबंग के खेत से होकर ले जाने की कोशिश की गई तो उन्हें रोक दिया गया। नतीजतन लोगों को तालाब के गहरे पानी से होकर गुजरना पड़ा। शवयात्रा में शामिल कई लोगों के गले तक पानी था।
जिलाधिकारी महेश चंद्र चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है और इसकी वास्तविकता का पता लगाने के निर्देश अधीनस्थ अधिकारियों को दिए गए हैं। ज्ञात हो कि पिछले दिनों मुरैना जिले में अनुसूचित जनजाति समाज के एक व्यक्ति को अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार घर के सामने सडक़ पर इसलिए करना पड़ा था, क्योंकि गांव के प्रभावशाली लोग श्मशान भूमि पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं।
(आईएएनएस)
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