Filmmaker Divya Unni discusses her life, career, filmmaking journey and social taboo-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
Apr 20, 2024 10:03 pm
Location
Advertisement

फिल्ममेकर दिव्या उन्नी ने अपनी जिंदगी, करियर, फिल्ममेकिंग जर्नी और सोसाइटल टैबूस पर की चर्चा

khaskhabar.com : रविवार, 17 जनवरी 2021 5:55 PM (IST)
फिल्ममेकर दिव्या उन्नी ने अपनी जिंदगी, करियर, फिल्ममेकिंग जर्नी और सोसाइटल टैबूस पर की चर्चा
जयपुर। आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान के फेसबुक पेज पर शनिवार को पत्रकार से फिल्म निर्माता बनी दिव्या उन्नी के साथ 'फिल्मी बातें' सेशन का आयोजन किया गया। यह सेशन फिल्मकार के जीवन, पत्रकार के रूप में उनका करियर, अभिनय और फिल्म निर्माण के अतिरिक्त देश में फैली विभिन्न सामाजिक कुरीतियों पर केंद्रित था। आईएएस साहित्य सचिव, आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान मुग्धा सिन्हा ने उनके साथ चर्चा की। चर्चा के बाद उन्नी द्वारा निर्देशित शॉर्ट फिल्म 'हर फर्स्ट टाइम' की स्क्रीनिंग भी हुई।

अपनी फिल्ममेकिंग जर्नी साझा करते हुए, उन्नी ने बताया कि पत्रकार के रूप में उनमें स्टोरीटेलिंग आर्ट के प्रति हमेशा पैशन था। अपनी माँ के निधन के बाद, उन्होंने थिएटर में प्रवेश किया और कई वर्कशॉपस की। इससे उनके मस्तिष्क और शरीर को अनेक संभावनाएं तलाशने में मदद मिली। यह कला के साथ उनका प्रथम परिचय भी था। इसके बाद उन्होंने दुनिया भर में यात्रा कर अनेक हिंदी एवं अंग्रेजी नाटक किए। वें एक्टिंग फिल्ड में भी उतरीं लेकिन उन्होंने पाया कि उन्हें दूसरों की कहानियां प्रस्तुत करने से कहीं अधिक की तलाश है। वे इसे बंधिश और सीमित मानती थीं। तब उन्होंने एक फिल्म निर्माता के रूप में अपनी पसंदीदा कहानियों को लोगों तक पहुंचाने का फैसला किया।

उन्होंने आगे कहा कि फिल्म निर्माता के पास विभिन्न कहानियां प्रस्तुत करने के कई विकल्प होते हैं। यह व्यक्तिवादी दृष्टिकोण होता है जो वास्तव में किसी कहानी को सब से भिन्न और अनोखा बनाता है। "मुझे हमेशा नाटक शैली ने आकर्षित किया है। अपनी संस्कृति और मुंबई के जीवन की कहानियां प्रस्तुत करने में सदैव मेरी दिलचस्पी रही है। किसी व्यक्ति को अपने सपने पूरा करने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन पीछे छोड़कर और मुंबई में स्थापित होने के उसके आत्मविश्वास ने मुझे हमेशा चकित किया है। मेरी कहानियां मां-बेटी के मजबूत संबंधों पर आधारित है जो कि मुझे अपनी मां के साथ गहरे संबंधों के कारण मिला है।"

मासिक धर्म से जुड़ी मौजूदा टैबू के बारे में बात करते हुए, उन्नी ने कहा कि महिलाओं में बच्चे पैदा करने की अनूठी शक्ति है, जो कि नया जीवन उत्पन्न करने के लिए आवश्यक है। इसलिए इसे अशुद्ध नहीं माना जा सकता। प्राचीन समय में, महिलाओं को सामाजिक सभाओं में बातचीत न करने और मंदिर अथवा रसोई में नहीं जाने के लिए कहा जाता था ताकि उन्हें आराम मिल सके। वर्तमान में यह विचार उन्हें प्रतिबंधित करता है। समाज में आर्थिक और शैक्षिक विषमताओं को दूर करने की आवश्यकता है। कम्यूनिकेशन के माध्यम से हम जान सकते हैं कि एक व्यक्ति के रूप में और समाज के एक सदस्य के रूप में हम किस ओर बढ़ रहे हैं। महिलाओं को शर्मिंदा करने या उन्हें नीचा दिखाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्हें वह सम्मान और गरिमा दी जानी चाहिए, जिसकी वें हकदार हैं।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

Advertisement
Khaskhabar Rajasthan Facebook Page:
Advertisement
Advertisement