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कपास पट्टी के किसानों की फ़सलीय ऋण सीमा 9700 रुपए से बढ़ाकर 14000 रुपए की
चंडीगढ़। सहकारिता
विभाग द्वारा कपास पट्टी के किसानों को नरमा/कपास की फ़सल के लिए ऋण देने
की सीमा में विस्तार करते हुए 9700 रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर 14000 रुपए
प्रति एकड़ करने का फ़ैसला किया गया है। यह फ़ैसला सहकारिता मंत्री
स.सुखजिन्दर सिंह रंधावा की तरफ से किया गया है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि ऋण सीमा घटाने संबंधी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों का सहकारिता मंत्री ने गंभीर नोटिस लेते हुए विभाग के अधिकारियों की टीम बठिंडा भेजी थी। टीम की रिपोर्ट के मुताबिक यह पाया गया कि किसान यह चाहते थे कि उनको ऋण की नकद अदायगी वर्ष 2018 -19 के लिए अलग-अलग फसलों के लिए निर्धारित किये वित्तीय स्केल के अनुसार की जाये। फ़सलीय ऋण का नकद हिस्सा, जोकि बिजवाई और कटाई बाद में होने वाले खर्चों संबंधी होता है, 9700 रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर 14000 रुपए प्रति एकड़ कपास की फ़सल के लिए कर दिया गया है। किसान चाहते थे कि उनको सारी रकम एक ही बार जारी की जाये जबकि फ़सल की कटाई के बाद किसानों को खर्चों की ज़रूरत अगस्त और सितम्बर में पड़ती है। इसके अलावा वर्ष 2018 -19 के लिए नाबार्ड की री-फाईनांस सीमा, जिसके द्वारा किसानों को फ़सलीय ऋण दिया जाता है, अभी नाबार्ड द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया है।
किसानों को राशि अब जि़ला केंद्रीय सहकारी बैंकों के साधनों से दी जा रही है। इन साधनों को देखते हुए हरेक किसान को ज़रुरी तुरंत खर्च करने में मदद करने हेतु जि़ला केंद्रीय सहकारी बैंक बठिंडा ने हरेक किसान को 10,000 रुपए प्रति किसान अदा करने का फ़ैसला किया जिससे अपनी तत्काल ज़रूरतें पूरी कर सकें। इसके अलावा खाद, कीटनाशक और बीज संबंधी समूची माँगों पर अलग से विचार किया जा रहा है।
सरकार द्वारा भेजी गई टीम जिसका नेतृत्व पंजाब राज्य सहकारी बैंक के प्रशासनिक निदेशक डा.एस.के.बातिश ने की, ने किसान यूनियनों, विभागीय अधिकारियों, बैंक अधिकारियों और विभिन्न प्राथमिक कृषि सहकारी सोसाईटियों के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंगों की। प्रत्येक द्वारा इस बात पर सहमति जताई गई कि प्रति एकड़ 12000 रुपए की रकम एडवांस अदा की जाये परन्तु सहकारिता मंत्री ने इस रकम की सीमा को 13000 रुपए प्रति एकड़ तक बढ़ाने के आदेश दिए। किसान यूनियन के प्रतिनिधियों ने इस बात के लिए सहकारिता मंत्री का विशेष तौर पर धन्यवाद किया।
सहकारिता मंत्री ने सहकारी सोसाईटियों के साथ जुड़े किसानों को विश्वास दिलाया कि फ़सलीय ऋण संबंधी उनकी ज़रूरतें पूरी करने के लिए विभाग पूरी तरह तत्पर है और नाबार्ड से आवश्यक ऋण सीमा की मंज़ूरी दिलाने के लिए सरकार द्वारा पूरे तनमन से प्रयास किये जाएंगे।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि ऋण सीमा घटाने संबंधी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों का सहकारिता मंत्री ने गंभीर नोटिस लेते हुए विभाग के अधिकारियों की टीम बठिंडा भेजी थी। टीम की रिपोर्ट के मुताबिक यह पाया गया कि किसान यह चाहते थे कि उनको ऋण की नकद अदायगी वर्ष 2018 -19 के लिए अलग-अलग फसलों के लिए निर्धारित किये वित्तीय स्केल के अनुसार की जाये। फ़सलीय ऋण का नकद हिस्सा, जोकि बिजवाई और कटाई बाद में होने वाले खर्चों संबंधी होता है, 9700 रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर 14000 रुपए प्रति एकड़ कपास की फ़सल के लिए कर दिया गया है। किसान चाहते थे कि उनको सारी रकम एक ही बार जारी की जाये जबकि फ़सल की कटाई के बाद किसानों को खर्चों की ज़रूरत अगस्त और सितम्बर में पड़ती है। इसके अलावा वर्ष 2018 -19 के लिए नाबार्ड की री-फाईनांस सीमा, जिसके द्वारा किसानों को फ़सलीय ऋण दिया जाता है, अभी नाबार्ड द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया है।
किसानों को राशि अब जि़ला केंद्रीय सहकारी बैंकों के साधनों से दी जा रही है। इन साधनों को देखते हुए हरेक किसान को ज़रुरी तुरंत खर्च करने में मदद करने हेतु जि़ला केंद्रीय सहकारी बैंक बठिंडा ने हरेक किसान को 10,000 रुपए प्रति किसान अदा करने का फ़ैसला किया जिससे अपनी तत्काल ज़रूरतें पूरी कर सकें। इसके अलावा खाद, कीटनाशक और बीज संबंधी समूची माँगों पर अलग से विचार किया जा रहा है।
सरकार द्वारा भेजी गई टीम जिसका नेतृत्व पंजाब राज्य सहकारी बैंक के प्रशासनिक निदेशक डा.एस.के.बातिश ने की, ने किसान यूनियनों, विभागीय अधिकारियों, बैंक अधिकारियों और विभिन्न प्राथमिक कृषि सहकारी सोसाईटियों के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंगों की। प्रत्येक द्वारा इस बात पर सहमति जताई गई कि प्रति एकड़ 12000 रुपए की रकम एडवांस अदा की जाये परन्तु सहकारिता मंत्री ने इस रकम की सीमा को 13000 रुपए प्रति एकड़ तक बढ़ाने के आदेश दिए। किसान यूनियन के प्रतिनिधियों ने इस बात के लिए सहकारिता मंत्री का विशेष तौर पर धन्यवाद किया।
सहकारिता मंत्री ने सहकारी सोसाईटियों के साथ जुड़े किसानों को विश्वास दिलाया कि फ़सलीय ऋण संबंधी उनकी ज़रूरतें पूरी करने के लिए विभाग पूरी तरह तत्पर है और नाबार्ड से आवश्यक ऋण सीमा की मंज़ूरी दिलाने के लिए सरकार द्वारा पूरे तनमन से प्रयास किये जाएंगे।
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