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आंखों में जलन, घुटती सांसें
हनुमानगढ़। धुआं रूपी धुंध की चादर मंगलवार अल सुबह को भी आसमान में छाई रही। धुंध के कारण सबसे ज्यादा दो पहिया वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषण का हाल यह है कि जिला अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों में 20 फीसद मरीज मानवजनित इसी प्रकोप से पीडि़त हैं। पंजाब-हरियाणा में धान की फसल के भूसे को जलाने से उठ रहे धुएं के गुबार से पिछले कई दिनों से जिले के स्थानीय लोग परेशान हैं। हालांकि मंगलवार को धुएं का प्रकोप सुबह-सुबह रहा। बाद में धूप निकलने पर लोगों ने राहत की सांस ली। इस धुंए के कारण सुबह-सुबह विजिबिलिटी भी कम रही। इस कारण दिन में भी लाइट जलाकर चालकों को वाहन चलाने पड़े। इस धुंए में दीपावली पर चलाए गए पटाखों के धुएं ने भी पूरा साथ दिया है। इस वजह से धुंआ अब की बार ज्यादा है। इसका असर यह हो रहा है कि लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। धुआं रूपी धुंध का प्रकोप इतना बढ़ गया है, कि घर से बाहर निकलते ही लोगों को आंखों में जलन होने के साथ पानी निकलने लगता है। वृद्धों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं के साथ ही अस्थमा पीडि़त व्यक्तियों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछले साल अक्टूबर में धान उत्पादक राज्य पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और राजस्थान सरकार को चावल की फसल के बचे हुए भूसे को आग लगाकर खेत में जलाने पर रोक लगाई थी। पर्यावरण प्रदूषण को लेकर पिछले साल भी यही स्थिति बन गई थी। हालांकि पिछली बार दीपावली नवंबर में होने के कारण पटाखों के धुएं का असर इस धुएं में नहीं पड़ा था। लेकिन इस बार दीपावली भी अक्टूबर के आखिर में होने के कारण धुआं बढ़ गया है और दीपावली के बाद से वातावरण में धुएं की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। आसमान में छाए प्रदूषण रूपी आवरण में धूल के कण नमी होने के कारण कोहरा दिखाई दे रहा है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बरसात होने या तेज हवाएं चलने से यह आवरण हट सकता है।
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