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भूतपूर्व सैनिकों और विशेषज्ञों ने स्वतंत्रता से पूर्व के विभिन्न ऐतिहासिक युद्धों के रोचक पहलुओं को किया उजागर
चंडीगढ़। एम.एल.एफ. 2018 में पैनलिस्टों ने रविवार को सुरक्षा बल, विशेष रूप से सेना को कवर करते हुए अधिक निडर, संतुलित और गंभीर दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया ताकि लोगों तक पहुंचने वाली सूचनाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को यकीनी बनाया जा सके। यहां लेक क्लब में फेस्टिवल के तीसरे और अंतिम दिन के दौरान रिपोर्टिंग फरोम द वॉर ज़ोन के विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने प्रत्युत्तर विद्रोह अभियान के दौरान सीमावर्ती युद्धों और सैनिकों के पराक्रम को कवर करने वाले पत्रकारों के लिए एक उचित प्रशिक्षण मॉड्यूल का भी सुझाव दिया है।
प्रतिभागियों के प्रतिष्ठित समूह में पूर्व यूके चीफ ऑफ स्टाफ 3 डिवीजन ब्रिगेडियर जस्टिन मासीजेवेस्की और उनकी पत्नी रेबेका मासीजेवेस्की, मीडिया प्रड्यूसर अराती सिंह, कारगिल को कवर करने वाले चंडीगढ़ के संवाददाता विक्रमजीत सिंह के अलावा मेजर जेम्स सुथरलैंड और यूके सेना के कैप्टन जय सिंह सोहल शामिल थे। गैलेन्ट्री अवॉड्र्स की घोषणा से संबंधित फैसलों के लिए एक पारदर्शी प्रणाली के लिए मांग करते हुए पैनलिस्टों ने कहा कि इन अवार्डों के संबंध में वरिष्ठ कमांडरों के बीच कुछ गलतफहमी हुई थी। रेबेका मासीजेवेस्की ने कहा कि सरकारों को ऐसे निर्णयों के लिए जानकारी साझा करते समय पत्रकारों को शामिल करने में और अधिक स्पष्टवादी होने की आवश्यकता है।
इस विचार का समर्थन करते हुए विक्रमजीत सिंह जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में दो बार सीमावर्ती अभियानों को कवर किया है, ने कहा कि कई बार पीवीसी जैसे बहादुरी पुरस्कार देने में रेजिमेंट संबंध पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे पहले, युद्ध में सैनिकों द्वारा सामना किए जाने वाले मनोवैज्ञानिक आघात पर प्रकाश डालते हुए विक्रमजीत ने भारतीय सैनिकों की दिल छूने वाली कहानी जिंदा की जिन्होंने अपने करगिल विजय के दौरान मारे गए पाकिस्तानी घुसपैठियों का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने कहा, सबसे पहले, हमारे सैनिक क्रोध से उस समय भर गए जब उनको अपने साथियों को मारने वाले पाकिस्तानी सैनिकों के शरीरों को वहीं पड़े रहने के लिए कहा गया, लेकिन बाद में वरिष्ठ कमांडरों ने उन्हें यह कहकर सांत्वना दी कि आखिर वह भी सैनिक ही हैं।
युवा पत्रकारों को सीमावर्ती रिपोर्टेज के लिए आवश्यक संवेदनशीलता से परिचित कराने के लिए प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए आरती सिंह ने इस महत्वपूर्ण पहलू में अधिक व्यवस्थित निवेश की मांग की। उन्होंने कहा कि बहादुरी और वीरता की असली युद्ध कहानियों को वर्णित करने की इस कठिन भूमिका को निभाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को शिक्षित करने की जरूरत है। युद्ध कवरेज की बारीकियों पर अपने विचार साझा करते हुए ब्रिगेडियर जस्टिन मासीजेवेस्की और यूके सेना के कैप्टन जय सिंह सोहल ने विशेष खबर की लालच के विरूद्ध चेताया। कैप्टन जय सिंह सोहल ने कहा कि असली युद्ध में असली लोग होते हैं और उनके परिवार और दोस्तों का जीवन युद्ध के निर्णय के साथ जुड़ा होता है। उन्होंने जिहादियों द्वारा ब्रिटेन के एक सैनिक के लंदन में सिर कलम कर दिए जाने का जिक्र भी किया जिसका वीडियो दुर्भाग्यपूर्वक कई चैनलों द्वारा प्रसारित किया गया था। उन्होंने कहा, हमें शामिल सभी लोगों के जीवन के प्रति और अधिक संवेदनशील होना है। उन्होंने आगे कहा कि गैर-जिम्मेदारी से सामग्री प्रकाशित करके हम केवल अपराधियों के घिनौने मंसूबों को बढ़ावा देते हैं।
प्रतिभागियों के प्रतिष्ठित समूह में पूर्व यूके चीफ ऑफ स्टाफ 3 डिवीजन ब्रिगेडियर जस्टिन मासीजेवेस्की और उनकी पत्नी रेबेका मासीजेवेस्की, मीडिया प्रड्यूसर अराती सिंह, कारगिल को कवर करने वाले चंडीगढ़ के संवाददाता विक्रमजीत सिंह के अलावा मेजर जेम्स सुथरलैंड और यूके सेना के कैप्टन जय सिंह सोहल शामिल थे। गैलेन्ट्री अवॉड्र्स की घोषणा से संबंधित फैसलों के लिए एक पारदर्शी प्रणाली के लिए मांग करते हुए पैनलिस्टों ने कहा कि इन अवार्डों के संबंध में वरिष्ठ कमांडरों के बीच कुछ गलतफहमी हुई थी। रेबेका मासीजेवेस्की ने कहा कि सरकारों को ऐसे निर्णयों के लिए जानकारी साझा करते समय पत्रकारों को शामिल करने में और अधिक स्पष्टवादी होने की आवश्यकता है।
इस विचार का समर्थन करते हुए विक्रमजीत सिंह जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में दो बार सीमावर्ती अभियानों को कवर किया है, ने कहा कि कई बार पीवीसी जैसे बहादुरी पुरस्कार देने में रेजिमेंट संबंध पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे पहले, युद्ध में सैनिकों द्वारा सामना किए जाने वाले मनोवैज्ञानिक आघात पर प्रकाश डालते हुए विक्रमजीत ने भारतीय सैनिकों की दिल छूने वाली कहानी जिंदा की जिन्होंने अपने करगिल विजय के दौरान मारे गए पाकिस्तानी घुसपैठियों का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने कहा, सबसे पहले, हमारे सैनिक क्रोध से उस समय भर गए जब उनको अपने साथियों को मारने वाले पाकिस्तानी सैनिकों के शरीरों को वहीं पड़े रहने के लिए कहा गया, लेकिन बाद में वरिष्ठ कमांडरों ने उन्हें यह कहकर सांत्वना दी कि आखिर वह भी सैनिक ही हैं।
युवा पत्रकारों को सीमावर्ती रिपोर्टेज के लिए आवश्यक संवेदनशीलता से परिचित कराने के लिए प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए आरती सिंह ने इस महत्वपूर्ण पहलू में अधिक व्यवस्थित निवेश की मांग की। उन्होंने कहा कि बहादुरी और वीरता की असली युद्ध कहानियों को वर्णित करने की इस कठिन भूमिका को निभाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को शिक्षित करने की जरूरत है। युद्ध कवरेज की बारीकियों पर अपने विचार साझा करते हुए ब्रिगेडियर जस्टिन मासीजेवेस्की और यूके सेना के कैप्टन जय सिंह सोहल ने विशेष खबर की लालच के विरूद्ध चेताया। कैप्टन जय सिंह सोहल ने कहा कि असली युद्ध में असली लोग होते हैं और उनके परिवार और दोस्तों का जीवन युद्ध के निर्णय के साथ जुड़ा होता है। उन्होंने जिहादियों द्वारा ब्रिटेन के एक सैनिक के लंदन में सिर कलम कर दिए जाने का जिक्र भी किया जिसका वीडियो दुर्भाग्यपूर्वक कई चैनलों द्वारा प्रसारित किया गया था। उन्होंने कहा, हमें शामिल सभी लोगों के जीवन के प्रति और अधिक संवेदनशील होना है। उन्होंने आगे कहा कि गैर-जिम्मेदारी से सामग्री प्रकाशित करके हम केवल अपराधियों के घिनौने मंसूबों को बढ़ावा देते हैं।
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