Advertisement
हर स्कूल का छात्र सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में सक्षम
चंडीगढ़। हरियाणा के स्कूल प्रवेश फार्म में यह सुनिश्चित किया गया है
कि हरियाणा के प्रत्येक स्कूल में हर छात्र भारत सरकार और हरियाणा सरकार की
प्रत्येक योजना का पूरा लाभ प्राप्त करने के लिए सक्षम है। यदि ऐसा लाभ
मौद्रिक है तो उसके सीधे अपने खाते में जाए।
एक राजनीतिज्ञ द्वारा टवीट के आधार पर एक समाचार आइटम और गुरुग्राम की एक सिविल सोसायटी ग्रुप के उद्घरण के जवाब में स्कूल शिक्षा विभाग के एक सरकारी प्रवक्ता ने स्पष्ट करते हुए कहा कि वर्तमान हरियाणा सरकार के प्रवेश फार्म में कोई भी नया शब्द गढ़ा नहीं गया है। फार्म में माता-पिता के पेशे के साथ एक विशेष विशेषण के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा कि यह विशेषण है और यह भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति की एक योजना का हिस्सा रहा है, यह पहले 21 जनवरी 2009 को संशोधित किया गया और अंत में 1.7.2011 को संशोधित हुआ।
उन लोगों से पूछते हुए कि ‘‘वे एक छात्र के बैंक खाते के साथ क्या करेंगे’’ पर, प्रवक्ता ने कहा कि विभाग जाहिर तौर पर इस बैंक खाते में सभी तरह की नकद अनुदान और छात्रवृत्ति भेज देगा। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि माता-पिता जो ‘‘समय पर हमारे कर का भुगतान करते हैं’’ और उनके पैन नंबर को सांझा करने के लिए नहीं कहा जा रहा है, वे अपनी वार्षिक आय का खुलासा करने के लिए कह सकते हैं जब व्यावहारिक रूप से सभी छात्रवृत्ति योजनाओं में आय की अधिकतम सीमा होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रवेश पाने वाले छात्र की आधार संख्या अनिवार्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा की वर्तमान सरकार ने न सिर्फ प्रदेश को भारत का एक कैरोसीन मुक्त राज्य बनाया है, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में राज्य को खुले में शौच मुक्त बनाया है। हरियाणा में मैला ढोने वाला कोई भी (स्केवेनजिंग)परिवार नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि एक जनवरी, 1997 तक हाथ से मैला ढोने के कार्य में लगे माता-पिता या ‘‘वर्तमान में टेनिंग (चमड़ा बनाना) और / या फ्लेईंग (चमड़ा उतारना)में लगे हैं’’ माता-पिता के बच्चों के लिए वार्षिक अनुदान और मासिक छात्रवृत्ति के लाभ उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, अस्वच्छता के कार्य में लगे व्यक्तियों के बच्चों को प्री-मैट्रिक छात्रवृति की केन्द्रीय प्रायोजित योजना के तहत शासित किया गया है।
एक राजनीतिज्ञ द्वारा टवीट के आधार पर एक समाचार आइटम और गुरुग्राम की एक सिविल सोसायटी ग्रुप के उद्घरण के जवाब में स्कूल शिक्षा विभाग के एक सरकारी प्रवक्ता ने स्पष्ट करते हुए कहा कि वर्तमान हरियाणा सरकार के प्रवेश फार्म में कोई भी नया शब्द गढ़ा नहीं गया है। फार्म में माता-पिता के पेशे के साथ एक विशेष विशेषण के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा कि यह विशेषण है और यह भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति की एक योजना का हिस्सा रहा है, यह पहले 21 जनवरी 2009 को संशोधित किया गया और अंत में 1.7.2011 को संशोधित हुआ।
उन लोगों से पूछते हुए कि ‘‘वे एक छात्र के बैंक खाते के साथ क्या करेंगे’’ पर, प्रवक्ता ने कहा कि विभाग जाहिर तौर पर इस बैंक खाते में सभी तरह की नकद अनुदान और छात्रवृत्ति भेज देगा। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि माता-पिता जो ‘‘समय पर हमारे कर का भुगतान करते हैं’’ और उनके पैन नंबर को सांझा करने के लिए नहीं कहा जा रहा है, वे अपनी वार्षिक आय का खुलासा करने के लिए कह सकते हैं जब व्यावहारिक रूप से सभी छात्रवृत्ति योजनाओं में आय की अधिकतम सीमा होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रवेश पाने वाले छात्र की आधार संख्या अनिवार्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा की वर्तमान सरकार ने न सिर्फ प्रदेश को भारत का एक कैरोसीन मुक्त राज्य बनाया है, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में राज्य को खुले में शौच मुक्त बनाया है। हरियाणा में मैला ढोने वाला कोई भी (स्केवेनजिंग)परिवार नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि एक जनवरी, 1997 तक हाथ से मैला ढोने के कार्य में लगे माता-पिता या ‘‘वर्तमान में टेनिंग (चमड़ा बनाना) और / या फ्लेईंग (चमड़ा उतारना)में लगे हैं’’ माता-पिता के बच्चों के लिए वार्षिक अनुदान और मासिक छात्रवृत्ति के लाभ उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, अस्वच्छता के कार्य में लगे व्यक्तियों के बच्चों को प्री-मैट्रिक छात्रवृति की केन्द्रीय प्रायोजित योजना के तहत शासित किया गया है।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
गुरूग्राम
हरियाणा से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement