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अजब गजबः यहां शिवलिंग पर हर साल गिरती है बिजली
कुल्लू घाटी में एक ऐसा अद्बुत मंदिर है जहां हर वर्ष
शिवलिंग पर आसमानी बिजली गिरती है और शिवलिंग खंड- खंड हो जाता है। इसके बाद मंदिर
के पुजारी शिवलिंग को मक्खन के साथ जोड़ कर पहले वाली स्थिति में लाते हैं। शायद
इसी कारण मंदिर का नाम बिजली महादेव पड़ा है।
कुल्लू घाटी के लोग बताते हैं कि बहुत पहले यहां कुलान्त नामक दैत्य रहता था। दैत्य कुल्लू के पास की नागणधार से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया। दैत्य रूपी अजगर कुण्डली मार कर ब्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था ताकि यहां रहने वाले सभी जीवजंतु पानी में डूब कर मर जाए। भगवान शिव कुलान्त के इस विचार से चिंतित हो गए।
भगवान शिव ने बड़े जतन के बाद भगवान शिव ने उस राक्षस रूपी अजगर को अपने विश्वास में लिया। शिव ने उसके कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है। इतना सुनते ही जैसे ही कुलान्त पीछे मुड़ा, शिव ने उसके सिर पर त्रिशूल वार कर दिया। त्रिशूल के प्रहार से कुलान्त मारा गया और उसके मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया।
कहते हैं कि कुलान्त दैत्य के मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वे हर साल एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें। आकाशीय बिजली बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन को इससे नुकसान पहुंचे। भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है।
नोटबंदी के कारण मंदिर में करनी पड़ी शादी, SEE PHOTOS
कुल्लू घाटी के लोग बताते हैं कि बहुत पहले यहां कुलान्त नामक दैत्य रहता था। दैत्य कुल्लू के पास की नागणधार से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया। दैत्य रूपी अजगर कुण्डली मार कर ब्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था ताकि यहां रहने वाले सभी जीवजंतु पानी में डूब कर मर जाए। भगवान शिव कुलान्त के इस विचार से चिंतित हो गए।
भगवान शिव ने बड़े जतन के बाद भगवान शिव ने उस राक्षस रूपी अजगर को अपने विश्वास में लिया। शिव ने उसके कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है। इतना सुनते ही जैसे ही कुलान्त पीछे मुड़ा, शिव ने उसके सिर पर त्रिशूल वार कर दिया। त्रिशूल के प्रहार से कुलान्त मारा गया और उसके मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया।
कहते हैं कि कुलान्त दैत्य के मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वे हर साल एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें। आकाशीय बिजली बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन को इससे नुकसान पहुंचे। भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है।
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