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केरल में बारिश थमने से बाढ़ का पानी घटा, राहत कार्य जोरों पर, पुनर्वास बनी बड़ी चुनौती
तिरुवनंतपुरम। बारिश थमने के बाद केरल में सोमवार को आखिरकार बाढ़ की विभीषिका से लोगों को थोड़ी राहत मिली और उफनती नदियों के जलस्तर में कमी आई। बाढ़ के कारण बेघर हुए लोगों की तादाद काफी ज्यादा हो गई। राहत शिविरों में 10 लाख से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं।
बाढ़ प्रभावित जिलों में बनाए गए 3,274 राहत शिविरों में 10,28,000 लोग ठहरे हुए हैं। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देशभर से कई टनों में राहत सहायता मिल रही है।
आधिकारियों ने मानसून सीजन के दौरान हुई भारी बारिश के कहर में अब तक 370 लोगों की मौत होने की पुष्टि की है।
कोझीकोड, वायानाड, मालापुरम और पटनामतिट्टा स्थित राहत शिविरों से सोमवार को कुछ लोगों को घर वापस लौटते देखा गया। राहतकर्मियों ने निस्वार्थ रूप से कड़ी मेहनत करते हुए उनके घरों को कीचड़ निकालकर साफ किया।
अधिकारियों और राहतकर्मियों ने बताया कि सांप काटने के पचास मामले सामने आए हैं क्योंकि बाढ़ के पानी में आए तालाबों से निकलकर आए सांप लोगों के घरों में घुस गए थे।
इडुक्की जिले के प्रमुख बांधों का जलभराव क्षेत्र जलमग्न हो गया था। मुल्लापेरियार और इडुक्की दोनों बांधों के ऊपर से बह रहे पानी के स्तर में कमी आई है।
एर्नाकुलम और त्रिसूर से होकर बहने वाली पेरियार और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर में भी कमी आई है।
सोमवार को कुल मिलाकर आसमान साफ था और हेलीकॉप्टर को राहत कार्य में लगाए गए थे। पटनमतिट्टा ओर अलापुझा जिले के कुछ हिस्सों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टर से निकाला जा रहा था। चेंगनूर और पंडलम के भीतरी इलाके में छोटी नौकाओं से लोग आवागमन कर रहे थे।
प्रभावित इलाकों में हेलीकॉप्टर से खाद्य पदार्थ और राहत सामग्री पहुंचाई जा रही थी।
वित्तमंत्री थॉमस इसाक अलापुझा जिले के कुट्टनाडु इलाके में राहत कार्य की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिले में 1.25 लाख लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है।
पलक्कड का नेलीयामपटी का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है क्योंकि सडक़ बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। वहां आवश्यक वस्तुएं आकाश मार्ग से पहंचाई जा रही है।
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को कम से कम जीप के जाने के लिए सडक़ ठीक हो जाएगी।
इस बीच 15 अगस्त से बंद कोचीन हवाई अड्डे से पानी उतर गया था। छोटे हवाई जहाजों का संचालन कोचीन के नौसेना अड्डे से शुरू हो गया है।
बाढ़ प्रभावित जिलों में बनाए गए 3,274 राहत शिविरों में 10,28,000 लोग ठहरे हुए हैं। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देशभर से कई टनों में राहत सहायता मिल रही है।
आधिकारियों ने मानसून सीजन के दौरान हुई भारी बारिश के कहर में अब तक 370 लोगों की मौत होने की पुष्टि की है।
कोझीकोड, वायानाड, मालापुरम और पटनामतिट्टा स्थित राहत शिविरों से सोमवार को कुछ लोगों को घर वापस लौटते देखा गया। राहतकर्मियों ने निस्वार्थ रूप से कड़ी मेहनत करते हुए उनके घरों को कीचड़ निकालकर साफ किया।
अधिकारियों और राहतकर्मियों ने बताया कि सांप काटने के पचास मामले सामने आए हैं क्योंकि बाढ़ के पानी में आए तालाबों से निकलकर आए सांप लोगों के घरों में घुस गए थे।
इडुक्की जिले के प्रमुख बांधों का जलभराव क्षेत्र जलमग्न हो गया था। मुल्लापेरियार और इडुक्की दोनों बांधों के ऊपर से बह रहे पानी के स्तर में कमी आई है।
एर्नाकुलम और त्रिसूर से होकर बहने वाली पेरियार और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर में भी कमी आई है।
सोमवार को कुल मिलाकर आसमान साफ था और हेलीकॉप्टर को राहत कार्य में लगाए गए थे। पटनमतिट्टा ओर अलापुझा जिले के कुछ हिस्सों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टर से निकाला जा रहा था। चेंगनूर और पंडलम के भीतरी इलाके में छोटी नौकाओं से लोग आवागमन कर रहे थे।
प्रभावित इलाकों में हेलीकॉप्टर से खाद्य पदार्थ और राहत सामग्री पहुंचाई जा रही थी।
वित्तमंत्री थॉमस इसाक अलापुझा जिले के कुट्टनाडु इलाके में राहत कार्य की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिले में 1.25 लाख लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है।
पलक्कड का नेलीयामपटी का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है क्योंकि सडक़ बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। वहां आवश्यक वस्तुएं आकाश मार्ग से पहंचाई जा रही है।
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को कम से कम जीप के जाने के लिए सडक़ ठीक हो जाएगी।
इस बीच 15 अगस्त से बंद कोचीन हवाई अड्डे से पानी उतर गया था। छोटे हवाई जहाजों का संचालन कोचीन के नौसेना अड्डे से शुरू हो गया है।
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