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उप्र में नदियों का जलस्तर घटा, अब कटान ने बढ़ाई मुसीबत
उप्र के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा, "नेपाल से पानी आ रहा
है, इसलिए किसी भी बांध की सुरक्षा को लेकर कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।
पूरी जानकारी लेकर इस बांध की सुरक्षा के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए
हैं। लोगों को परेशानी ना हो इस पर हमारा पूरा ध्यान है।"
अब शारदा नदी भी शांत नजर आने लगी है। इसलिए गांवों में बाढ़ का खतरा टल गया है। हालांकि नदी अब भी खतरे के निशान के आसपास ही बह रही है। माना जा रहा है कि बारिश नहीं होती है तो स्थिति सामान्य हो जाएगी।
बीते दो दिनों से शारदा नदी का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। जलस्तर इस समय खतरे के निशान के आसपास ही है। नदी का बहाव भीरा की तरफ तेज है, जबकि श्रीनगर गांव की तरफ नदी धीमी गति से बह रही है। ढखिया, दौलतापुर, कचनारा, आजादनगर, बर्बादनगर आदि गांवों में नदी का रुख शांत है। ग्रामीणों ने बताया कि हल्की सी बारिश में ही नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, अगर तेज बारिश हुई तो नदी तबाही मचा सकती है।
बलरामपुर में कटान के कारण पचवेड़ा क्षेत्र के माधवा नगर खादर व परसौना गांव में बांध की कटान रोकने के लिए बोरियां डाली गई थीं, लेकिन वह बह गईं। पचवेड़ा के प्रधान गुड्डू ने बताया कि राप्ती की कटान से हर वर्ष लगभग 25 गांव प्रभावित होते हैं। बीते दिनों कटे हुए बांध पर ट्रैक्टर ट्राली से मिट्टी डालकर बोरियां रखी गई थीं, जो बांध में कटान के कारण बह गई हैं।
सिंचाई एवं जल संसाधान विभाग के मुख्य अभियंता ए़ के. सिंह ने बताया कि शारदा नदी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसका जलस्तर 153: 910 क्यूसेक है। इसमें 0:290 की बढ़ोतरी हुई है। इसका खतरे का निशान 153: 620 है। वहीं राप्ती शनिवार को स्थिर है। यह 126: 7 गेज मीटर से बह रही है। जबकि इसका खतरे का निशान 127: 7 होता है। घाघरा भी आज स्थिर दिखाई दे रही है। इसका जलस्तर 63: 30 है। जबकि इसका खतरे का निशान 64: 01 क्यूसेक पर है।
बाढ़ राहत आपदा प्रबंधन विभाग कार्यालय के पदाधिकारियों ने बताया कि अब कुछ नदियों का जलस्तर घटने लगा है। कुछ जगहों पर कटान शुरू हो गई है। ऐसे में सारी चौकियों को अलर्ट कर दिया है। एनडीआरएफ की टीम भी चौकन्ना है। जहां पर बाढ़ का खतरा देखा जा रहा है, वहां से लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया जा रहा है। उन तक खाने-पीने का समान भी पहुंचाया जा रहा है।
--आईएएनएस
अब शारदा नदी भी शांत नजर आने लगी है। इसलिए गांवों में बाढ़ का खतरा टल गया है। हालांकि नदी अब भी खतरे के निशान के आसपास ही बह रही है। माना जा रहा है कि बारिश नहीं होती है तो स्थिति सामान्य हो जाएगी।
बीते दो दिनों से शारदा नदी का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। जलस्तर इस समय खतरे के निशान के आसपास ही है। नदी का बहाव भीरा की तरफ तेज है, जबकि श्रीनगर गांव की तरफ नदी धीमी गति से बह रही है। ढखिया, दौलतापुर, कचनारा, आजादनगर, बर्बादनगर आदि गांवों में नदी का रुख शांत है। ग्रामीणों ने बताया कि हल्की सी बारिश में ही नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, अगर तेज बारिश हुई तो नदी तबाही मचा सकती है।
बलरामपुर में कटान के कारण पचवेड़ा क्षेत्र के माधवा नगर खादर व परसौना गांव में बांध की कटान रोकने के लिए बोरियां डाली गई थीं, लेकिन वह बह गईं। पचवेड़ा के प्रधान गुड्डू ने बताया कि राप्ती की कटान से हर वर्ष लगभग 25 गांव प्रभावित होते हैं। बीते दिनों कटे हुए बांध पर ट्रैक्टर ट्राली से मिट्टी डालकर बोरियां रखी गई थीं, जो बांध में कटान के कारण बह गई हैं।
सिंचाई एवं जल संसाधान विभाग के मुख्य अभियंता ए़ के. सिंह ने बताया कि शारदा नदी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसका जलस्तर 153: 910 क्यूसेक है। इसमें 0:290 की बढ़ोतरी हुई है। इसका खतरे का निशान 153: 620 है। वहीं राप्ती शनिवार को स्थिर है। यह 126: 7 गेज मीटर से बह रही है। जबकि इसका खतरे का निशान 127: 7 होता है। घाघरा भी आज स्थिर दिखाई दे रही है। इसका जलस्तर 63: 30 है। जबकि इसका खतरे का निशान 64: 01 क्यूसेक पर है।
बाढ़ राहत आपदा प्रबंधन विभाग कार्यालय के पदाधिकारियों ने बताया कि अब कुछ नदियों का जलस्तर घटने लगा है। कुछ जगहों पर कटान शुरू हो गई है। ऐसे में सारी चौकियों को अलर्ट कर दिया है। एनडीआरएफ की टीम भी चौकन्ना है। जहां पर बाढ़ का खतरा देखा जा रहा है, वहां से लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया जा रहा है। उन तक खाने-पीने का समान भी पहुंचाया जा रहा है।
--आईएएनएस
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