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नेट थिएट पर दिलरुबा के स्वरों ने किया झंकृत

जयपुर । राजस्थान के एकमात्र दिलरुबा कलाकार मोहम्मद उमर ने जब अपनी उंगलियों का जादू दिलरुबा वाद्य पर दिखाया तो दर्शक वाह-वाह कर उठे ।
नेट थिएटर के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि दिलरुबा 300 साल पुराना भारतीय वाद्य है ,यह मुख्य रूप से पंजाब में पाया जाता हैl इसका उपयोग सिख और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में किया जाता है ।
कार्यक्रम में मोहम्मद उमर ने दिलरुबा पर राग देश में अपनी पहली प्रस्तुति मध्यम एक ताल में छोटे ख्याल की बंदिश से की गमक की ताने, तीनों सप्तक की ताने, आलापचारी चारी राग देस में सुंदर तरीके से प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोहा । उन्होंने द्रुत तीन ताल की गत में अनेक ताने तिहाईया व झाले को असरदार तरीके से प्रस्तुत किया ।
इनके साथ तबले पर 14 वर्षीय जेयान हुसैन ने अपनी प्रभावी संगत से माहौल को रोमांचक बना दिया।
प्रकाश संरचना मनोज स्वामी, कैमरा जितेन्द्र शर्मा, मंच सज्जा अंकित शर्मा नोनू, जीवितेश शर्मा तथा संगीत विष्णु कुमार जांगीड का रहा।
नेट थिएटर के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि दिलरुबा 300 साल पुराना भारतीय वाद्य है ,यह मुख्य रूप से पंजाब में पाया जाता हैl इसका उपयोग सिख और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में किया जाता है ।
कार्यक्रम में मोहम्मद उमर ने दिलरुबा पर राग देश में अपनी पहली प्रस्तुति मध्यम एक ताल में छोटे ख्याल की बंदिश से की गमक की ताने, तीनों सप्तक की ताने, आलापचारी चारी राग देस में सुंदर तरीके से प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोहा । उन्होंने द्रुत तीन ताल की गत में अनेक ताने तिहाईया व झाले को असरदार तरीके से प्रस्तुत किया ।
इनके साथ तबले पर 14 वर्षीय जेयान हुसैन ने अपनी प्रभावी संगत से माहौल को रोमांचक बना दिया।
प्रकाश संरचना मनोज स्वामी, कैमरा जितेन्द्र शर्मा, मंच सज्जा अंकित शर्मा नोनू, जीवितेश शर्मा तथा संगीत विष्णु कुमार जांगीड का रहा।
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