Advertisement
नहीं बढ़ने दिए मतभेद, पिछले 5 साल में बढ़ी चीन के साथ भागीदारी : मुरलीधरण
उन्होंने कहा, हम चीन के साथ अपने संबंधों को काफी अहम मानते हैं। चीन के साथ संबंध हमारी विदेश नीति का अहम पहलू है। चीन
के साथ भारत की सहभागिता को बहुमुखी बताते हुए मंत्री ने कहा कि भारत-चीन
संबंध द्विपक्षीय आयामों से बढ़कर है और क्षेत्रीय व वैश्विक शांति,
स्थिरता और समृद्धि के लिए इसका महत्व है।
उन्होंने कहा, "जिन मुद्दों को लेकर हमारा मतभेद है उनको एक दूसरे के हितों, चिंताओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ समझदारी से हल करने के लिए हमारी सहमति बनी है ताकि ये मतभेद विवाद न बनें। इस प्रकार पिछले पांच साल के दौरान चीन के साथ सभी स्तरों पर हमारी भागीदारी और आदान-प्रदान में तेजी आई है।"
द्विपक्षीय संबंधों को नए स्तर पर ले जाने में एक दूसरे देशों के लोगों के बीच संपर्क को महत्वपूर्ण कारक बताते हुए मुरलीधरण ने भारत-चीन संबंध के लिए कार्य करने वाले संस्थानों और केंद्रों से चीन की बेहतर समझ बनाने में मदद करने की अपील की।
कार्यक्रम के आरंभ में जेजीयू के कुलपति सी. राजकुमार ने कहा, यह तर्क देना आसान है कि शासन के चीनी पहलू लोकतंत्र की हमारी समझ का पूर्व संकेतक नहीं है, लेकिन चीन में जो हो रहा है उसका गंभीर विश्लेषण करने से हम यह सोचने में समर्थ होंगे कि समाज की बात आती है तो चीन की सरकार अपने लोगों की आकांक्षाओं को किस प्रकार से लेती है। इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में देशभर के 24 संस्थानों ने हिस्सा लिया।
--आईएएनएस
उन्होंने कहा, "जिन मुद्दों को लेकर हमारा मतभेद है उनको एक दूसरे के हितों, चिंताओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ समझदारी से हल करने के लिए हमारी सहमति बनी है ताकि ये मतभेद विवाद न बनें। इस प्रकार पिछले पांच साल के दौरान चीन के साथ सभी स्तरों पर हमारी भागीदारी और आदान-प्रदान में तेजी आई है।"
द्विपक्षीय संबंधों को नए स्तर पर ले जाने में एक दूसरे देशों के लोगों के बीच संपर्क को महत्वपूर्ण कारक बताते हुए मुरलीधरण ने भारत-चीन संबंध के लिए कार्य करने वाले संस्थानों और केंद्रों से चीन की बेहतर समझ बनाने में मदद करने की अपील की।
कार्यक्रम के आरंभ में जेजीयू के कुलपति सी. राजकुमार ने कहा, यह तर्क देना आसान है कि शासन के चीनी पहलू लोकतंत्र की हमारी समझ का पूर्व संकेतक नहीं है, लेकिन चीन में जो हो रहा है उसका गंभीर विश्लेषण करने से हम यह सोचने में समर्थ होंगे कि समाज की बात आती है तो चीन की सरकार अपने लोगों की आकांक्षाओं को किस प्रकार से लेती है। इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में देशभर के 24 संस्थानों ने हिस्सा लिया।
--आईएएनएस
Advertisement
Advertisement
लखनऊ
उत्तर प्रदेश से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement