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देवरिया सीट : त्रिपाठी, जायसवाल और अहमद के त्रिकोणीय भंवर में फंसी

देवरिया। देवराहा बाबा की धरती के नाम से मशहूर देवरिया लोकसभा सीट इस बार त्रिकोणीय भंवर में फंसी है। यहां भाजपा के सांसद कलराज मिश्र ने भले ही विकास कार्य किया हो, लेकिन सपा-बसपा ने गठबंधन के जरिए और कांग्रेस ने जातीय समीकरण सेट कर भाजपा की राह में रोड़ा अटकाने का काम किया है।
हालांकि, भाजपा ने इस बार अपना प्रत्याशी बदलकर जूता कांड में प्रसिद्धि पाने वाले सांसद शरद त्रिपाठी के पिता और वरिष्ठ भाजपाई रामरमापति त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार बनाया है। सपा-बसपा ने विनोद जायसवाल पर अपना दांव लगाया है तो कांग्रेस ने नियाज अहमद पर भरोसा जताया है। नियाज पिछले चुनाव में बसपा से प्रत्याशी थे। इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
मोदी लहर में ढाई लाख वोटों से चुनाव जीतने वाले कलराज मिश्र ने यहां पर बाहरी उम्मीदवार होने के बाद भी इतनी बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन इस चुनाव में भाजपा को बाहरी प्रत्याशी भारी पड़ सकता है। कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों में भी रोष है। ऊपर से बसपा ने जायसवाल को उतारकर भाजपा के वोटों में सेंधमारी करने का प्रयास भी किया है। भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष राय के बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा को कुछ वोटों के नुकसान की भी चर्चा हो रही है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव दत्त पांडेय की मानें तो लड़ाई भाजपा और गठबंधन के बीच है। लेकिन कांग्रेस अपने परंपरागत वोटों की लड़ाई लड़ रही है। यहां पर बाहरी होना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। लोग विकास को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। लोगों को लगता है कि अभी तीन साल योगी की सरकार रहनी है। उन्होंने कहा कि योगी ने यहां पर विकास किया है। कई बंद चीनी मिलें चलवाई हैं, जिससे लोगों में उनके प्रति एक आस जगी है। ऐसे में अगर केंद्र में फिर मोदी की सरकार बनती है तो काम में आसानी रहेगी। क्षेत्र का विकास हो सकेगा। लेकिन सातवें चरण में पूर्वाचल में धर्म-जाति का मुद्दा तेजी से उभार मार रहा है।
मोदी लहर में ढाई लाख वोटों से चुनाव जीतने वाले कलराज मिश्र ने यहां पर बाहरी उम्मीदवार होने के बाद भी इतनी बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन इस चुनाव में भाजपा को बाहरी प्रत्याशी भारी पड़ सकता है। कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों में भी रोष है। ऊपर से बसपा ने जायसवाल को उतारकर भाजपा के वोटों में सेंधमारी करने का प्रयास भी किया है। भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष राय के बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा को कुछ वोटों के नुकसान की भी चर्चा हो रही है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव दत्त पांडेय की मानें तो लड़ाई भाजपा और गठबंधन के बीच है। लेकिन कांग्रेस अपने परंपरागत वोटों की लड़ाई लड़ रही है। यहां पर बाहरी होना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। लोग विकास को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। लोगों को लगता है कि अभी तीन साल योगी की सरकार रहनी है। उन्होंने कहा कि योगी ने यहां पर विकास किया है। कई बंद चीनी मिलें चलवाई हैं, जिससे लोगों में उनके प्रति एक आस जगी है। ऐसे में अगर केंद्र में फिर मोदी की सरकार बनती है तो काम में आसानी रहेगी। क्षेत्र का विकास हो सकेगा। लेकिन सातवें चरण में पूर्वाचल में धर्म-जाति का मुद्दा तेजी से उभार मार रहा है।
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