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बवानीखेङा तहसील पर इनेलो ने दिया धरना, सरसों की खरीद की मांग

khaskhabar.com : मंगलवार, 17 अप्रैल 2018 5:42 PM (IST)
बवानीखेङा तहसील पर इनेलो ने दिया धरना, सरसों की खरीद की मांग
भिवानी। बवानीखेङा ब्लॉक के गांवों के किसानों की सरसों की खरीद एक महिने बाद भी शुरु ना होने पर इनेलो ने तहसील कार्यालय पर धरना देकर रोष जताया और कहा कि सरकार की नीतियां किसानों को गुमराह कर रही है, जिससे किसानों को अपनी फसल औने-पौने दामों में बेचने पर मजबूर होना पङ रहा है। इनेलो ने खरीद के लिए तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है।बवानीखेङा तहसील के बाहर धरने पर ने ये इनेलो के किसान सेल के पदाधिकारी हैं जो जिला प्रधान सुनील लांबा की अगवानी में धरना दे रहे हैं। धरने पर बैठे इनेलो नेताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रदेश सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगया। इनेलो नेताओं ने तहसीलदार के माध्यम से डीसी व सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा और तीन दिन के अंदर खरीद शुरु करने की मांग की।

धरने का नेतृत्व कर रहे इनेलो के जिला प्रधान सुनील लांबा ने कहा कि कहने को सरकार ने इस बार 15 मार्च से सरसों की फसल की खरीद चार हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर पर शुरु की। लेकिन खरीद के लिए जो शर्तें लगाई उसमें सबसे बङी शर्त हर गांव की फसल खरीद के लिए दिन तय करना है। उन्होने कहा कि इस शर्त के तहत बवानीखेङा ब्लॉक के करीब 40 गांवों की सरसों की फसल पहले भिवानी मंडी में खरीदने की बात कही, लेकिन एक मई को कहा गया कि इन गांवों की फसल तोशाम मंडी में खरीदी जाएगी। लांबा ने कहा कि तोशाम में भी अब मना कर दिया है।

सुनील लांबा ने कहा कि बवानीखेङा ब्लॉक के गांव सुखे से ग्रस्त हैं और यहां अधिकतर क्षेत्र में सरसों की फसल होती है जो साल में एक बार ही होती है। उसी की खरीद ना होने से यहां के किसानों को घर चलाने तथा अगली फसल की बुआई के लिए मजबूरी में अपनी फसल 3100-3200 रुपये में यानि 800-900 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम में बेचनी पङ रही है। उन्होने कहा कि तीन दिन में खरीद शुरु नहीं हुई तो इनेलो बङा आंदोलन करेगी और इसकी जिम्मेवारी सरकार की होगी।

निश्चित तौर पर साल में एक बार होने वाली फसल की समय और सही रेट पर खरीद ना होने का दर्ज आर्थित तौर से पिछङा किसान ही जानता है। अब देखना होगा कि पहली बार सरकार की तरफ से दिया जा रहा सरसों के लाभकारी मूल्य का बवानीखेङा ब्लॉक के किसानों को भी लाभ होता है या खरीद ना होने पर यहां के किसानों को अपनी फसल हर बार की तरह इस बार भी औने-पौने दामों में ही लूटानी पङेगी।

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