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जेलों मेंं मां के साथ सलाखों में बंद बेकसूर बच्चों के दिन जल्द फिरेंगे
चंडीगढ़। हरियाणा की जेलों में सजा काट रही महिलाओं के साथ सलाखों के
पीछे जीवन बिताने पर मजबूर उनके बेकसूर बच्चों के दिन जल्द बदलेंगे।
हरियाणा राज्य बाल संरक्षण आयोग द्वारा प्रदेश के सभी जेल अधीक्षकों को इन
बच्चों को प्रतिमाह 2 हजार रुपये की आर्थिक सहायता व अन्य निर्धारित
सुविधाएं मुहैया करवाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही आयोग द्वारा इन बच्चों
की पढ़ाई-लिखाई, भरण-पोषण की योजना का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा।
हरियाणा बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ज्योति बैंदा ने बताया कि जेल में अपनी माताओं के साथ बंद नौनिहाल जेल में जीवन बिताने को मजबूर हैं। ये मासूम बच्चे जेल के माहौल में रहते-रहते नाकारात्मक विचारधारा का शिकार हो जाते हैं जिससे ये बाद में समाज को अपना साकारात्मक योगदान नहीं दे पाते हैं। ये बच्चे न तो अपनी माताओं के अपराध के बारे में जानते हैं और न ही अपने परिवार वालों को पहचानते हैं। इनके अलावा ऐसे भी कई नाबालिक बच्चे हैं, जिनकी मां जेलों में बंद हैं और वे घर या अन्य जगह पर पल रहे हैं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इनके पालन-पोषण, पढाई और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का बीड़ा उठाया है।
उन्होंने कहा कि इन बच्चों में से अधिकतर को स्कूल जाने का मौका ही नहीं मिलता। जब आयोग के सामने यह मामला आया तो हमने जेल विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा है। इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। चिल्ड्रन इन नीड ऑफ केयर एंड प्रोटेक्शन (देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चे) एक्ट के तहत आने वाले इन बच्चों की आयोग आर्थिक मदद करेगा। इसके तहत ऐसे बच्चों की मदद के लिए हर महीने 2 हजार रुपये देने का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा इस योजना को अंतिम रूप देने के लिए जेल विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। इसमें तय होगा कि इन बच्चों को कैसे समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। उन्होंने बताया कि आयोग उन बच्चों की सूची तैयार कर रहा है, जिनकी मां जेल में बंद हैं। ऐसे बच्चों को आश्रम और हॉस्टल में भेजने का प्रबंध किया जाएगा तथा इनका स्कूलों में दाखिला कराया जाएगा। इसके साथ ही ऐसे बच्चों से भी संपर्क किया जाएगा, जो पिता, दादा-दादी या रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई, भरन-पोषण की योजना भी सरकार को भेजी जाएगी।
बैंदा ने बताया कि सभी जेल अधीक्षकों को दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। जेल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अपनी मां के साथ जेल में रह रहे बच्चों को जेल में न रखा जाए। जेलों की क्रैच में बच्चों के लिए निर्धारित सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने को कहा गया है। इन बच्चों के आधार कार्ड व जन्म प्रमाण पत्र बनवाने जिम्मेवारी जेल प्रशासन की होगी। जेलों में बंद बच्चों को वीकली आउटिंग पर भेजा जाएगा तथा बच्चों की हर महीने काउंसलिंग भी करवाई जाएगी।
हरियाणा बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ज्योति बैंदा ने बताया कि जेल में अपनी माताओं के साथ बंद नौनिहाल जेल में जीवन बिताने को मजबूर हैं। ये मासूम बच्चे जेल के माहौल में रहते-रहते नाकारात्मक विचारधारा का शिकार हो जाते हैं जिससे ये बाद में समाज को अपना साकारात्मक योगदान नहीं दे पाते हैं। ये बच्चे न तो अपनी माताओं के अपराध के बारे में जानते हैं और न ही अपने परिवार वालों को पहचानते हैं। इनके अलावा ऐसे भी कई नाबालिक बच्चे हैं, जिनकी मां जेलों में बंद हैं और वे घर या अन्य जगह पर पल रहे हैं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इनके पालन-पोषण, पढाई और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का बीड़ा उठाया है।
उन्होंने कहा कि इन बच्चों में से अधिकतर को स्कूल जाने का मौका ही नहीं मिलता। जब आयोग के सामने यह मामला आया तो हमने जेल विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा है। इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। चिल्ड्रन इन नीड ऑफ केयर एंड प्रोटेक्शन (देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चे) एक्ट के तहत आने वाले इन बच्चों की आयोग आर्थिक मदद करेगा। इसके तहत ऐसे बच्चों की मदद के लिए हर महीने 2 हजार रुपये देने का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा इस योजना को अंतिम रूप देने के लिए जेल विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। इसमें तय होगा कि इन बच्चों को कैसे समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। उन्होंने बताया कि आयोग उन बच्चों की सूची तैयार कर रहा है, जिनकी मां जेल में बंद हैं। ऐसे बच्चों को आश्रम और हॉस्टल में भेजने का प्रबंध किया जाएगा तथा इनका स्कूलों में दाखिला कराया जाएगा। इसके साथ ही ऐसे बच्चों से भी संपर्क किया जाएगा, जो पिता, दादा-दादी या रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई, भरन-पोषण की योजना भी सरकार को भेजी जाएगी।
बैंदा ने बताया कि सभी जेल अधीक्षकों को दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। जेल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अपनी मां के साथ जेल में रह रहे बच्चों को जेल में न रखा जाए। जेलों की क्रैच में बच्चों के लिए निर्धारित सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने को कहा गया है। इन बच्चों के आधार कार्ड व जन्म प्रमाण पत्र बनवाने जिम्मेवारी जेल प्रशासन की होगी। जेलों में बंद बच्चों को वीकली आउटिंग पर भेजा जाएगा तथा बच्चों की हर महीने काउंसलिंग भी करवाई जाएगी।
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