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अब सीमा शुल्क विभाग भी चाहता है प्रक्रियाओं का सरलीकरण
जयपुर। अब सीमा शुल्क विभाग भी निर्यात एवं व्यापारिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रक्रियाओं को आसान बनाना चाहते हैं। यह कहना था कस्टम्स, जयपुर के कमिश्नर एस. सी. अग्रवाल का। वे ‘एटीए कार्नेट‘ सिस्टम पर जयपुर के एसएमएस कन्वेंशन सेंटर में आयोजित की जा रही इंटरनेशनल वर्कशॉप में मुख्य भाषण दे रहे थे।
अग्रवाल ने कस्टम्स प्लेटफॉर्म के साथ कार्नेट सिस्टम जोड़ने के लिए फिक्की की सराहना की। उन्होंने कहा कि बहुत कम डेटा भरने की आवश्यकता होने से यह कदम व्यापार को बहुत ही सुविधाजनक बनाएगा। उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की कि वर्ष 2017 से राजस्थान में एटीए कार्नेट सिस्टम होने के बावजूद बहुत ही कम व्यवसायियों द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है। इस सुविधा को उपयोग करने के लिए लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने में यह वर्कशॉप महत्वपूर्ण साबित होगी।
फिक्की के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल निरंकार सक्सेना ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि एटीए कार्नेट देश में व्यापार को सुविधाजनक बनाने की पहल के लिए सही अर्थो में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप है। अधिक से अधिक स्थानीय संगठनों को इसमें साझेदार बनाने के लिए शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
आईसीसी, पेरिस की वर्ल्ड एटीए कार्नेट काउंसिल के अध्यक्ष रुएडी बोलीजेर ने कहा कि एटीए कार्नेट को डिजिटल डॉक्यूमेंट में बदलने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे इसे ऐप के रूप में स्मार्टफोन पर भी उपयोग में लिया जा सके।
एटीए कार्नेट धारकों को मिलने वाले लाभ की जानकारी देते हुए आईसीसी, पेरिस की वर्ल्ड एटीए कार्नेट काउंसिल के डिप्टी चेयर, हेंक विट ने कहा कि एटीए कार्नेट गुड्स के लिए पासपोर्ट है, जो भरने में आसान है, यह प्रत्येक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर सीमा शुल्क घोषणाओं का स्थान पर उपयोग में आता है। यह सिस्टम सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को तीव्र व आसान बनाता है और इसके धारक की लागत को कम करता है।
सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजन की पृष्ठभूमि की जानकारी देते हुए आईसीसी डब्ल्यूसीएफ इंटरनेशनल सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजन काउंसिल के अध्यक्ष पीटर बिशप ने कहा कि पहला सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजन 19 वीं सदी में जारी किया गया था। यह एक व्यापारिक दस्तावेज है जिसका किसी विशेष निर्यात में गुड्स के देश विशेष में उत्पादित, निर्मित या संसाधित किए जाने हेतु प्रमाणीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है।
फिक्की के वरिष्ठ सलाहकार, श्री पr एस. प्रूथी ने कहा कि वैश्विक व्यापार में बढ़ोतरी होने से गुड्स के अस्थायी प्रवेश की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम्स के क्रूज को बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की भी आवश्यकता है। गुड्स के अस्थायी प्रवेश के लिए एटीए कार्नेट सबसे आसान और सर्वोत्तम प्रणाली है। यह सिस्टम प्रोफेशनल्स व ब्रॉडकास्ट इक्विपमेंट यूजर्स के लिए वरदान साबित हुआ है।
राजस्थान चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मानद महासचिव, डॉ. के. एल. जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्वास है कि छोटे व मध्यम उद्यमों से भारत में व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में वृद्धि होगी।
अग्रवाल ने कस्टम्स प्लेटफॉर्म के साथ कार्नेट सिस्टम जोड़ने के लिए फिक्की की सराहना की। उन्होंने कहा कि बहुत कम डेटा भरने की आवश्यकता होने से यह कदम व्यापार को बहुत ही सुविधाजनक बनाएगा। उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की कि वर्ष 2017 से राजस्थान में एटीए कार्नेट सिस्टम होने के बावजूद बहुत ही कम व्यवसायियों द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है। इस सुविधा को उपयोग करने के लिए लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने में यह वर्कशॉप महत्वपूर्ण साबित होगी।
फिक्की के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल निरंकार सक्सेना ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि एटीए कार्नेट देश में व्यापार को सुविधाजनक बनाने की पहल के लिए सही अर्थो में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप है। अधिक से अधिक स्थानीय संगठनों को इसमें साझेदार बनाने के लिए शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
आईसीसी, पेरिस की वर्ल्ड एटीए कार्नेट काउंसिल के अध्यक्ष रुएडी बोलीजेर ने कहा कि एटीए कार्नेट को डिजिटल डॉक्यूमेंट में बदलने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे इसे ऐप के रूप में स्मार्टफोन पर भी उपयोग में लिया जा सके।
एटीए कार्नेट धारकों को मिलने वाले लाभ की जानकारी देते हुए आईसीसी, पेरिस की वर्ल्ड एटीए कार्नेट काउंसिल के डिप्टी चेयर, हेंक विट ने कहा कि एटीए कार्नेट गुड्स के लिए पासपोर्ट है, जो भरने में आसान है, यह प्रत्येक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर सीमा शुल्क घोषणाओं का स्थान पर उपयोग में आता है। यह सिस्टम सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को तीव्र व आसान बनाता है और इसके धारक की लागत को कम करता है।
सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजन की पृष्ठभूमि की जानकारी देते हुए आईसीसी डब्ल्यूसीएफ इंटरनेशनल सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजन काउंसिल के अध्यक्ष पीटर बिशप ने कहा कि पहला सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजन 19 वीं सदी में जारी किया गया था। यह एक व्यापारिक दस्तावेज है जिसका किसी विशेष निर्यात में गुड्स के देश विशेष में उत्पादित, निर्मित या संसाधित किए जाने हेतु प्रमाणीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है।
फिक्की के वरिष्ठ सलाहकार, श्री पr एस. प्रूथी ने कहा कि वैश्विक व्यापार में बढ़ोतरी होने से गुड्स के अस्थायी प्रवेश की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम्स के क्रूज को बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की भी आवश्यकता है। गुड्स के अस्थायी प्रवेश के लिए एटीए कार्नेट सबसे आसान और सर्वोत्तम प्रणाली है। यह सिस्टम प्रोफेशनल्स व ब्रॉडकास्ट इक्विपमेंट यूजर्स के लिए वरदान साबित हुआ है।
राजस्थान चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मानद महासचिव, डॉ. के. एल. जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्वास है कि छोटे व मध्यम उद्यमों से भारत में व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में वृद्धि होगी।
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