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शिल्प और लोक कला से मिली कुरुक्षेत्र को अलग पहचान
कुरुक्षेत्र। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव 2016 में पर्यटकों ने इस महोत्सव को विश्वस्तरीय पहचान देने का काम किया है। इस महोत्सव की जहां हरियाणा ही नहीं। विश्व के 25 देशों में जोरदार प्रशंसा की जा रही है। वहीं इस ऐतिहासिक महोत्सव के शिल्प और सरस मेले में देश-विदेश के कोने कोने से आए शिल्पकार और 12 राज्यों से आए लोक कलाकार भी काफी खुश हैं। इस बार अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के दौरान ब्रह्म सरोवर के हर घाट शिल्पकला और लोक कलाकारों की संस्कृति के संगम से सरोबार नजर आया। यहां इस बात का उल्लेख करना भी जरूरी है कि कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के पुख्ता इंतजामों के बीच लाखों पर्यटकों को हर प्रकार की सहुलियत दी गई। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के अंतिम दिन भी सुबह से शाम तक पर्यटकों और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इस महोत्सव में 10 दिसम्बर तक करीब 14 लाख पर्यटक महोत्सव के सरस, शिल्प मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अवलोकन कर चुके है। इन पर्यटकों ने जहां जमकर खरीददारी की। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी खूब लुत्फ उठाया। पर्यटकों ने राजस्थानी व्यंजनों, अमृतसरी कुल्छे और गुड़ के हलवे के साथ ताऊ बलजीत की जलेबी का भी स्वाद चखा। इस मेले में सभी व्यवस्थाओं को लेकर उपायुक्त सुमेधा कटारिया सजग रही और पर्यटकों औैर श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं आने दी। उपायुक्त ने कहा कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव यादगार रहा। क्योंकि इस वर्ष प्रदेश का हर व्यक्ति महोत्सव की तरफ खींचा चला आया। जिसके बाद योजनाबद्ध तरीके से ही ये महोत्सव पूरी तरह सफल रहा।
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