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पार्टी लाइन के खिलाफ कांग्रेस सांसद, कहा- जम्मू कश्मीर से हटे अनुच्छेद 370
बहादुरगढ़ (झज्जर)। हरियाणा के राेहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने पार्टी लाइन से अलग जाते हुए जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की जोरदार पैरवी की है। उन्होंने इसे अपना निजी स्टैैंड बताया और कहा कि यह देशहित में है कि इस पर अब पुनर्विचार किया जाए। इसके लिए सभी दलों को एक मंच पर आना चाहिए। उन्होंने इस मामले पर राजनीति करने के लिए भाजपा की जमकर आलोचना की।
कहा, इस पर पुनर्विचार करना देश हित में जरूरी, सभी सभी दल एक मंच पर आएं। यहां एक कार्यक्रम में आए दीपेंद्र हुड्डा ने साफ कहा कि आज 21वीं सदी में इस अनुच्छेद का कौई औचित्य नहीं है। इसके लिए सभी दलों को एक मंच पर आना चाहिए और इसको हटाना चाहिए। पार्टी लाइन से अलग विचार के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह उनका अपना स्टैंड है और शुरू से ही वह इस पर कायम हैं।
दीपेंद्र ने कहा कि अब समय आ गया है कि इस धारा पर पुनर्विचार होना चाहिए और यह हटनी चाहिए। ऐसा करना सिर्फ जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि पूरे देश के हित में भी होगा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की ओर से राष्ट्रवाद पर दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ तो वह फौज को खुली छूट देने की बात कहती है, दूसरी तरफ भाजपा की सरकार आने पर फौजियों पर धारा 302 और 307 के केस दर्ज कराए गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है। इससे सैनिकों का मनोबल टूटा है। वैसे भी भाजपा को फौज का नाम लेकर किसी तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए। सेना किसी पार्टी की नहीं है।
कहा, इस पर पुनर्विचार करना देश हित में जरूरी, सभी सभी दल एक मंच पर आएं। यहां एक कार्यक्रम में आए दीपेंद्र हुड्डा ने साफ कहा कि आज 21वीं सदी में इस अनुच्छेद का कौई औचित्य नहीं है। इसके लिए सभी दलों को एक मंच पर आना चाहिए और इसको हटाना चाहिए। पार्टी लाइन से अलग विचार के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह उनका अपना स्टैंड है और शुरू से ही वह इस पर कायम हैं।
दीपेंद्र ने कहा कि अब समय आ गया है कि इस धारा पर पुनर्विचार होना चाहिए और यह हटनी चाहिए। ऐसा करना सिर्फ जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि पूरे देश के हित में भी होगा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की ओर से राष्ट्रवाद पर दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ तो वह फौज को खुली छूट देने की बात कहती है, दूसरी तरफ भाजपा की सरकार आने पर फौजियों पर धारा 302 और 307 के केस दर्ज कराए गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है। इससे सैनिकों का मनोबल टूटा है। वैसे भी भाजपा को फौज का नाम लेकर किसी तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए। सेना किसी पार्टी की नहीं है।
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