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‘EC के काम में हस्तक्षेप कांग्रेस की आदत’, दिया राजीव-राव सरकार का उदाहरण
पटना। चुनाव आयोग में हो रहे विवाद के
बीच बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने
शनिवार को कहा कि चुनाव आयोग (ईसी) सहित अन्य संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा
को गिराना और उसके कामकाज में हस्तक्षेप करना कांग्रेस की आदत रही है।
उपमुख्यमंत्री मोदी ने यहां पत्रकारों से कहा कि चुनाव आयोग में किसी
मुद्दे पर सर्वानुमति नहीं होने की स्थिति में बहुमत के आधार पर निर्णय
लेने की नियमावली कांग्रेस के कार्यकाल में ही बनाई गई थी।
अगर वर्तमान चुनाव आयोग में किसी मुद्दे पर सर्वसम्मति नहीं है तो यह आयोग का आंतरिक मामला है और इसमें वर्तमान केंद्र सरकार की कोई भूमिका व हस्तक्षेप नहीं है। एक रपट के अनुसार, निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट दिए जाने के मामले में अपनी असहमति को रिकॉर्ड नहीं किए जाने को लेकर आदर्श आचार संहिता से संबंधित आयोग की बैठकों से दूर रहने का फैसला किया है।
इस बाबत उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा को एक पत्र लिखा है। सुशील मोदी ने कहा कि वर्ष 1989 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मनोनुकूल काम नहीं करने से उत्पन्न मतभेद के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त पेरी शास्त्री के पर कतरे, तो 1993 में टीएन शेषन से मतभेद के बाद पीवी नरसिम्हा राव ने एक सदस्यीय चुनाव आयोग को तीन सदस्यीय बनाया था।
सुशील मोदी ने कहा, राजीव गांधी द्वारा चुनाव आयोग को त्रिसदस्यीय बनाने के निर्णय को वीपी सिंह की सरकार ने पलट कर फिर से एक सदस्यीय कर दिया था। परंतु वर्ष 1993 में तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन से विवाद के बाद कांग्रेस की नरसिम्हा राव की सरकार ने आयोग के कार्यकलाप में हस्तक्षेप करते हुए उसे फिर से तीन सदस्यीय बना दिया।
(IANS)
अगर वर्तमान चुनाव आयोग में किसी मुद्दे पर सर्वसम्मति नहीं है तो यह आयोग का आंतरिक मामला है और इसमें वर्तमान केंद्र सरकार की कोई भूमिका व हस्तक्षेप नहीं है। एक रपट के अनुसार, निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट दिए जाने के मामले में अपनी असहमति को रिकॉर्ड नहीं किए जाने को लेकर आदर्श आचार संहिता से संबंधित आयोग की बैठकों से दूर रहने का फैसला किया है।
इस बाबत उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा को एक पत्र लिखा है। सुशील मोदी ने कहा कि वर्ष 1989 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मनोनुकूल काम नहीं करने से उत्पन्न मतभेद के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त पेरी शास्त्री के पर कतरे, तो 1993 में टीएन शेषन से मतभेद के बाद पीवी नरसिम्हा राव ने एक सदस्यीय चुनाव आयोग को तीन सदस्यीय बनाया था।
सुशील मोदी ने कहा, राजीव गांधी द्वारा चुनाव आयोग को त्रिसदस्यीय बनाने के निर्णय को वीपी सिंह की सरकार ने पलट कर फिर से एक सदस्यीय कर दिया था। परंतु वर्ष 1993 में तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन से विवाद के बाद कांग्रेस की नरसिम्हा राव की सरकार ने आयोग के कार्यकलाप में हस्तक्षेप करते हुए उसे फिर से तीन सदस्यीय बना दिया।
(IANS)
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