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सीएम अशोक गहलोत ने प्रदेश के ग्वार उत्पादक किसानों के हित में केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री को लिखा पत्र
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के ग्वार उत्पादक किसानों के हित में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने गोयल से राज्य से ग्वार गम के निर्यात में आ रही बाधाओं को दूर करने का अनुरोध करते हुए ग्वार गम के अनुसंधान, जांच एवं प्रमाणीकरण के लिए राज्य में राष्ट्रीय स्तर की संस्था का केन्द्र खोलने का अनुरोध किया है।
गहलोत ने अवगत कराया कि राजस्थान ग्वार गम का प्रमुख उत्पादक राज्य है। वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र में ग्वार गम के नए विकल्पों के कारण इसकी अन्तरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें तेजी से गिरी हैं। इससे राज्य के ग्वार उत्पादक किसानों की आय घट रही है और उनका रूझान इस फसल के प्रति कम हो रहा है। इसे देखते हुए ग्वार उत्पादक किसानों की आय में बढ़ोतरी तथा ग्वार गम के अन्य उपयोगों के बारे में पर्याप्त शोध एवं अनुसंधान की आवश्यकता है। उन्होंने गोयल से अनुरोध किया कि ग्वार गम के अनुसंधान एवं विकास के लिए केन्द्र सरकार योजना बनाए। राज्य सरकार ने इस उद्देश्य से जोधपुर में भूमि भी आवंटित कर दी है।
गहलोत ने कहा कि ग्वार गम की ट्रेडिंग एनसीडीईएक्स से लिंक होने के कारण इसके व्यापार में अनिश्चितता बनी रहती है। इस कारण ग्वार का उत्पादन करने वाले किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में ग्वार गम रिफाइंड स्पिलट को एनसीडीईएक्स से बाहर निकालना उचित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फूड ग्रेड ग्वार के लिए सर्टिफिकेशन करवाने की प्रक्रिया के लंबी होने के कारण इसमें काफी समय लगता है। ऐसे में, प्रसंस्करण इकाइयों के पास ही रीजनल लेबोरेट्रीज एवं सर्टिफिकेशन एजेंसीज की इकाइयां भी स्थापित कर दी जाएं। मुख्यमंत्री ने ग्वार गम स्पिलट तथा अनप्रोसेस्ड ग्वार गम कोरमा के निर्यात की बजाय ग्वार गम पाउडर तथा रोस्टेड कोरमा को प्रोत्साहित करने के लिए इन पर 5 प्रतिशत एमईआईएस स्कीम का लाभ दिए जाने का भी केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया है।
गहलोत ने अवगत कराया कि राजस्थान ग्वार गम का प्रमुख उत्पादक राज्य है। वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र में ग्वार गम के नए विकल्पों के कारण इसकी अन्तरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें तेजी से गिरी हैं। इससे राज्य के ग्वार उत्पादक किसानों की आय घट रही है और उनका रूझान इस फसल के प्रति कम हो रहा है। इसे देखते हुए ग्वार उत्पादक किसानों की आय में बढ़ोतरी तथा ग्वार गम के अन्य उपयोगों के बारे में पर्याप्त शोध एवं अनुसंधान की आवश्यकता है। उन्होंने गोयल से अनुरोध किया कि ग्वार गम के अनुसंधान एवं विकास के लिए केन्द्र सरकार योजना बनाए। राज्य सरकार ने इस उद्देश्य से जोधपुर में भूमि भी आवंटित कर दी है।
गहलोत ने कहा कि ग्वार गम की ट्रेडिंग एनसीडीईएक्स से लिंक होने के कारण इसके व्यापार में अनिश्चितता बनी रहती है। इस कारण ग्वार का उत्पादन करने वाले किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में ग्वार गम रिफाइंड स्पिलट को एनसीडीईएक्स से बाहर निकालना उचित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फूड ग्रेड ग्वार के लिए सर्टिफिकेशन करवाने की प्रक्रिया के लंबी होने के कारण इसमें काफी समय लगता है। ऐसे में, प्रसंस्करण इकाइयों के पास ही रीजनल लेबोरेट्रीज एवं सर्टिफिकेशन एजेंसीज की इकाइयां भी स्थापित कर दी जाएं। मुख्यमंत्री ने ग्वार गम स्पिलट तथा अनप्रोसेस्ड ग्वार गम कोरमा के निर्यात की बजाय ग्वार गम पाउडर तथा रोस्टेड कोरमा को प्रोत्साहित करने के लिए इन पर 5 प्रतिशत एमईआईएस स्कीम का लाभ दिए जाने का भी केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया है।
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