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गुरू के जीवन चरित्र, शिक्षाओं व प्रचार प्रसार पर हुआ मंथन
ऊना। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध राष्ट्रीय सिख संगत की ऊना इकाई द्वारा रविवार को श्रीगुरू गोबिंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी ज्ञान सिंह सैणी ने की। जबकि वक्ताओं के रूप में गुरु नानक देव जी के वंशज रघुवीर सिंह बेदी, केंद्रीय विश्वविद्यालय के उप-कुलपति डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री और राष्ट्रीय सिख संगत के क्षेत्रीय संगठन मंत्री जसवीर सिंह ने शिरकत की। आयोजन समिति के सदस्य वरूण केडिया ने बताया कि इस दौरान श्रीगुरू गोबिंद सिंह के जीवन चरित्र और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा और उनके प्रचार प्रसार के लिए विचार मंथन किया गया। वक्ताओं ने खालसा पंथ की स्थापना और सभी सिख गुरूओं का मानवता की सेवा और धर्म सुरक्षा में दिए गए योगदान और बलिदानों को याद किया।
उपकुलपति डॉ. केसी अग्निहोत्री ने कहा कि गुरु नानक देव जी ने सिख पंथ की अलख जगाई थी। जिसे उनके बाद हर गुरु ने पूर्ण निष्ठा, तप और यहां तक की बलिदान से भी सींचा। उन्होंने बताया कि शहादतों का सिलसिला गुरू अर्जुन देव जी से शुरु होकर गुरू तेग बहादुर जी से होते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी तक संपूर्ण हुआ। गुरुओं द्वारा दी गई खुद की और अपने परिवारों की शहादतों को मानवता की सुरक्षा के लिए युगों तक याद किया जाता रहेगा। शहादतों से हुए नुकसान की भरपाई करना असंभव है। इन्हीं शहदतों के चलते आगे धर्म होने वाले नुकसान से बचा लिया।
उपकुलपति डॉ. केसी अग्निहोत्री ने कहा कि गुरु नानक देव जी ने सिख पंथ की अलख जगाई थी। जिसे उनके बाद हर गुरु ने पूर्ण निष्ठा, तप और यहां तक की बलिदान से भी सींचा। उन्होंने बताया कि शहादतों का सिलसिला गुरू अर्जुन देव जी से शुरु होकर गुरू तेग बहादुर जी से होते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी तक संपूर्ण हुआ। गुरुओं द्वारा दी गई खुद की और अपने परिवारों की शहादतों को मानवता की सुरक्षा के लिए युगों तक याद किया जाता रहेगा। शहादतों से हुए नुकसान की भरपाई करना असंभव है। इन्हीं शहदतों के चलते आगे धर्म होने वाले नुकसान से बचा लिया।
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