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तेजाब पीड़िताओं के लिए 'छपाक' बड़ा संबल : कुंती

लखनऊ। मेघना गुलजार की फिल्म 'छपाक' में दीपिका पादुकोण के साथ काम करने वालीं कुंती सोनी इस फिल्म पर हो रही राजनीति से काफी दुखी हैं। 'छपाक' से जुड़े एक सवाल के जवाब में इनका दर्द छलक कर जुबां पर आ गया।
कुंती ने डबडबाई आंखों से, साफ शब्दों में कहा, "'छपाक' पर राजनीति करने वाले अगर फिल्म देखकर राय बनाएं तो बेहतर होगा। फिल्म पर उंगली उठाने वाले एसिड अटैक पीड़िताओं के दर्द को नहीं समझ रहे हैं। यह फिल्म, तेजाब का दंश झेलने वाली साहसी बेटियों को बड़ा संबल प्रदान करने वाली है।"
कुंती ने आईएएनएस से खास बातचीत में अपनी जिंदगी की दर्द भरी दस्तां बयां की। उन्होंने इस फिल्म की निर्देशक को बड़ी हिम्मतवाली बताया और कहा, "एसिड पीड़िताओं के दर्द को कहानी के माध्यम से फिल्म में ढालना मुश्किल है। ऐसी फिल्में समाज के लिए प्रेरणादायी हैं। इस फिल्म पर हो रही राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है। जिसकी बेटी पर तेजाब डाला जाता है, वही इस दर्द को समझ सकता है। एक एसिड पीड़िता के दर्द को दीपिका ने अपने किरदार में जीवंत किया है, इसीलिए यह फिल्म एसिड पीड़िताओं को अत्यधिक हिम्मत दे रही है।"
कुंती ने रुआंसे गले से कहा कि ऐसी फिल्म पर राजनीति करने के बजाय खुले दिल से इसका स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि फिल्म में महिलाओं के खिलाफ इस घिनौने अपराध की भयावहता को सही तरीके से दिखाया गया है। इसे देखने के बाद समाज को पता चलेगा कि एसिड चेहरा तो बदल सकता, लेकिन हौसला कमजोर नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, "इस फिल्म में हमारा रोल जरूर साइड कलाकार का है, लेकिन पहली बार इतने बड़े पर्दे पर काम करना हमारे लिए गौरव की बात है।"
पांचवीं तक पढ़ी-लिखी कुंती सोनी पर 22 अक्टूबर, 2011 को महज शक की वजह से उनके पति ने एसिड से हमला किया था। इसके बाद कुंती का पूरा चेहरा खराब हो गया। डेढ़ साल तक मुकदमा लड़ने के बाद अकेली रह रहीं सोनी ने हिम्मत नहीं हारी और अब अपने परिवार के दर्जनभर लोगों का भरण पोषण कर रही हैं।
कुंती ने डबडबाई आंखों से, साफ शब्दों में कहा, "'छपाक' पर राजनीति करने वाले अगर फिल्म देखकर राय बनाएं तो बेहतर होगा। फिल्म पर उंगली उठाने वाले एसिड अटैक पीड़िताओं के दर्द को नहीं समझ रहे हैं। यह फिल्म, तेजाब का दंश झेलने वाली साहसी बेटियों को बड़ा संबल प्रदान करने वाली है।"
कुंती ने आईएएनएस से खास बातचीत में अपनी जिंदगी की दर्द भरी दस्तां बयां की। उन्होंने इस फिल्म की निर्देशक को बड़ी हिम्मतवाली बताया और कहा, "एसिड पीड़िताओं के दर्द को कहानी के माध्यम से फिल्म में ढालना मुश्किल है। ऐसी फिल्में समाज के लिए प्रेरणादायी हैं। इस फिल्म पर हो रही राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है। जिसकी बेटी पर तेजाब डाला जाता है, वही इस दर्द को समझ सकता है। एक एसिड पीड़िता के दर्द को दीपिका ने अपने किरदार में जीवंत किया है, इसीलिए यह फिल्म एसिड पीड़िताओं को अत्यधिक हिम्मत दे रही है।"
कुंती ने रुआंसे गले से कहा कि ऐसी फिल्म पर राजनीति करने के बजाय खुले दिल से इसका स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि फिल्म में महिलाओं के खिलाफ इस घिनौने अपराध की भयावहता को सही तरीके से दिखाया गया है। इसे देखने के बाद समाज को पता चलेगा कि एसिड चेहरा तो बदल सकता, लेकिन हौसला कमजोर नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, "इस फिल्म में हमारा रोल जरूर साइड कलाकार का है, लेकिन पहली बार इतने बड़े पर्दे पर काम करना हमारे लिए गौरव की बात है।"
पांचवीं तक पढ़ी-लिखी कुंती सोनी पर 22 अक्टूबर, 2011 को महज शक की वजह से उनके पति ने एसिड से हमला किया था। इसके बाद कुंती का पूरा चेहरा खराब हो गया। डेढ़ साल तक मुकदमा लड़ने के बाद अकेली रह रहीं सोनी ने हिम्मत नहीं हारी और अब अपने परिवार के दर्जनभर लोगों का भरण पोषण कर रही हैं।
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