Advertisement
वरिष्ठ पत्रकार बलवंत तक्षक छत्रपति अवॉर्ड-2018 से सम्मानित
चंडीगढ़। साध्वी यौन शोषण मामले को उजागर करने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की याद में शुरू किया गया ‘छत्रपति अवॉर्ड-2018' रविवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार बलवंत तक्षक को दिया गया। चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित समारोह में तक्षक को सम्मान के तौर पर एक प्रशस्ति पत्र और शॉल भेंट किया गया। इस मौके पर छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति भी मौजूद थे।
गौरतलब है कि साध्वी यौन शोषण मामला सबसे पहले छत्रपति ने सिरसा से छपने वाले अपने दैनिक अखबार ‘पूरा सच' में प्रकाशित किया था। सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा की तरफ से इस तरह की खबरें छापे जाने पर छत्रपति को जान से मारने की धमकियां मिलीं, लेकिन उन्होंने धमकियां मिलने के बावजूद खबरें छापना बंद नहीं किया। कलम को धार देने की कीमत छत्रपति को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। वर्ष 2002 में उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई।
साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा प्रमुख बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम को पंचकूला सीबीआई कोर्ट से 10-10 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। इस समय बाबा रोहतक की सुनारियां जेल में सजा काट रहा है। छत्रपति की हत्या का मामला भी सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन है।
छत्रपति सम्मान समारोह में उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने उम्मीद जताई कि उन्हें अदालत से इंसाफ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इंसाफ के लिए लड़ी जा इस लड़ाई में उन्हें बहुत-सी बाधाओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन मेरा मानना है कि जीत आखिर इंसाफ की ही होती है। उन्होंने कहा कि छत्रपति के हत्यारों को उनके किए की सजा मिल कर रहेगी। इस लड़ाई में साथ देने के लिए उन्होंने चंडीगढ़ की मीडिया का आभार जताया।
सम्मान समारोह में तक्षक ने कहा कि छत्रपति ने साध्वी यौन शोषण मामला उजागर कर ईमानदारी से अपने पत्रकारिता धर्म का पालन किया था। धमकियों के बावजूद न उनकी कलम झुकी और न रुकी, भले ही उन्हें अन्याय के खिलाफ कलम चलाने के लिए शहादत देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि छत्रपति में बड़ा जज्बा था। यह जज्बा पत्रकारिता के पेशे में कायम रहना चाहिए, ताकि हम समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निभा सकें।
गौरतलब है कि साध्वी यौन शोषण मामला सबसे पहले छत्रपति ने सिरसा से छपने वाले अपने दैनिक अखबार ‘पूरा सच' में प्रकाशित किया था। सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा की तरफ से इस तरह की खबरें छापे जाने पर छत्रपति को जान से मारने की धमकियां मिलीं, लेकिन उन्होंने धमकियां मिलने के बावजूद खबरें छापना बंद नहीं किया। कलम को धार देने की कीमत छत्रपति को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। वर्ष 2002 में उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई।
साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा प्रमुख बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम को पंचकूला सीबीआई कोर्ट से 10-10 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। इस समय बाबा रोहतक की सुनारियां जेल में सजा काट रहा है। छत्रपति की हत्या का मामला भी सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन है।
छत्रपति सम्मान समारोह में उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने उम्मीद जताई कि उन्हें अदालत से इंसाफ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इंसाफ के लिए लड़ी जा इस लड़ाई में उन्हें बहुत-सी बाधाओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन मेरा मानना है कि जीत आखिर इंसाफ की ही होती है। उन्होंने कहा कि छत्रपति के हत्यारों को उनके किए की सजा मिल कर रहेगी। इस लड़ाई में साथ देने के लिए उन्होंने चंडीगढ़ की मीडिया का आभार जताया।
सम्मान समारोह में तक्षक ने कहा कि छत्रपति ने साध्वी यौन शोषण मामला उजागर कर ईमानदारी से अपने पत्रकारिता धर्म का पालन किया था। धमकियों के बावजूद न उनकी कलम झुकी और न रुकी, भले ही उन्हें अन्याय के खिलाफ कलम चलाने के लिए शहादत देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि छत्रपति में बड़ा जज्बा था। यह जज्बा पत्रकारिता के पेशे में कायम रहना चाहिए, ताकि हम समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निभा सकें।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
चंडीगढ़
हरियाणा से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement