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7 दिन में सूचना नहीं दी तो होगी 7 साल की जेल... आखिर क्यों? यहां पढ़ें
चंडीगढ़। राज्य में भ्रष्टाचार के कोढ़ को जड़ से मिटाने के उद्देश्य से पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने बुधवार को अपने अधिकारियों को भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधित) कानून संबंधी जानकारी देने के लिए जागरूकता वर्कशॉप की। इसमें विजिलेंस के अधिकारियों ने रिश्वत लेने पर भ्रष्टाचार संबंधित कानून में नए संशोधनों के संबंध में चर्चा की।
विजिलेंस के मुख्य डायरेक्टर-कम -एडीजीपी बी.के. उप्पल ने बताया कि अब रिश्वत देना भी एक दंडनीय अपराध बन गया है। यदि रिश्वत देने वाले ने 7 दिन में जांच एजेंसियों को सूचना नहीं दी तो उसको 7 साल की सजा भुगतनी पड़ेगी।
उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार रोकथाम कानून में नए संशोधनों के मुताबिक अब किसी भी सरकारी अधिकारी/कर्मचारी द्वारा रिश्वत लेने या भ्रष्टाचार के मामले की जांच संबंधी पहले संबंधित अथॉरटी या सरकार से मंजूरी लेनी मी होगी। उन्होंने कहा कि किसी मुलाजिम को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ने के लिए ऐसी मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि रिश्वत देने वाली व्यापारिक संस्थाओं को भी बख्शा नहीं जाएगा और उन संस्थाओं को भी ऐसी स्थिति में जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। अगर व्यापारिक संस्था से संबंधित कोई व्यक्ति ऐसे दोषों के अंतर्गत पकड़ा जाता है तो वह तीन साल की सजा जो सात साल तक बढ़ सकती है और जुर्माना देने का पाबंद होगा।
विजिलेंस के मुख्य डायरेक्टर-कम -एडीजीपी बी.के. उप्पल ने बताया कि अब रिश्वत देना भी एक दंडनीय अपराध बन गया है। यदि रिश्वत देने वाले ने 7 दिन में जांच एजेंसियों को सूचना नहीं दी तो उसको 7 साल की सजा भुगतनी पड़ेगी।
उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार रोकथाम कानून में नए संशोधनों के मुताबिक अब किसी भी सरकारी अधिकारी/कर्मचारी द्वारा रिश्वत लेने या भ्रष्टाचार के मामले की जांच संबंधी पहले संबंधित अथॉरटी या सरकार से मंजूरी लेनी मी होगी। उन्होंने कहा कि किसी मुलाजिम को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ने के लिए ऐसी मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि रिश्वत देने वाली व्यापारिक संस्थाओं को भी बख्शा नहीं जाएगा और उन संस्थाओं को भी ऐसी स्थिति में जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। अगर व्यापारिक संस्था से संबंधित कोई व्यक्ति ऐसे दोषों के अंतर्गत पकड़ा जाता है तो वह तीन साल की सजा जो सात साल तक बढ़ सकती है और जुर्माना देने का पाबंद होगा।
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