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मध्यप्रदेश कांग्रेस में फिर खींचतान के आसार, आखिर क्यों, यहां पढ़ें

khaskhabar.com : शुक्रवार, 04 जून 2021 2:39 PM (IST)
मध्यप्रदेश कांग्रेस में फिर खींचतान के आसार, आखिर क्यों, यहां पढ़ें
भोपाल । मध्य प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस में खींचतान बढ़ने के आसार नजर आने लगे हैं, इसकी वजह कथित तौर पर विंध्य क्षेत्र को लेकर आया पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का बयान है। इस बयान पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने न केवल टिप्पणी की है बल्कि इसे विंध्य की जनता का अपमान भी करार दिया है।

राज्य में दमोह विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत के बाद पार्टी आगामी तीन विधानसभा और एक लोकसभा के उप-चुनाव के साथ नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव की तैयारी के लिए कदमताल कर रही है। इस दौरान पार्टी के दिग्गज नेताओं में आपसी समन्वय नहीं बन पा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दिनों पूरी कांग्रेस कमलनाथ के आस पास ही है। कमलनाथ एक तरफ जहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं तो दूसरी तरफ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, कुल मिलाकर सारी ताकत कमलनाथ के पास है।

पिछले दिनों कमलनाथ के आवास पर कुछ नेताओं की बैठक हुई, इस बैठक को लेकर जो बात सामने आई वह चर्चाओं का हिस्सा बनी हुई हैं। कहा जा रहा है कि कमलनाथ ने इस बैठक में कहा था कि अगर वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के उप-चुनाव में कांग्रेस को वर्ष 2013 के चुनाव जैसा विंध्य का जन समर्थन मिलता अर्थात कांग्रेस ज्यादा सीटें जीतकर आती तो बात कुछ और होती।

कमलनाथ के सामने आए इस कथित बयान के बाद विंध्य क्षेत्र के कद्दावर नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सहमत नहीं है, बल्कि कमलनाथ के बयान पर ही सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है की, "विंध्य को लेकर जो बयान दिया गया है, वह सरासर गलत है, यह विंध्य का अपमान है। वर्ष 2018 में जो विधानसभा चुनाव हुए थे, यह कहने की जरूरत नहीं है कि चुनाव से पहले कौन बांधवगढ़ में डेरा डाले हुए था और क्या-क्या हुआ। विंध्य क्षेत्र के लोगों के साथ बहुत बड़ा षड्यंत्र हुआ था, उसके बावजूद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। अब चल नहीं पाई इसके लिए विंध्य क्षेत्र की जनता के ऊपर ठीकरा फोड़ा जाए, यह कतई उचित नहीं है।"

अजय सिंह ने आगे कहा कि, "विंध्य क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और जनता का मनोबल ऐसी बातों से गिरता है। संयम रखें कोई भी व्यक्ति हो, चाहे कमलनाथ हों, चाहे अजय सिंह हों, चाहे जो कोई हो, कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर बोलने से तकलीफ हो जाती है और भाजपा ऐसे मौकों की तलाश में रहती है, हम क्यों मौका दें भाजपा को।"

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि बड़े नेताओं को अपने मतभेद मिल बैठकर निपटा लेने चाहिए, अगर इस तरह की बातें सार्वजनिक तौर पर सामने आती हैं तो पार्टी का ही नुकसान होता है। कार्यकर्ता का मनोबल गिरता है, इसलिए जरूरी है कि जिस नेता को दूसरे को नसीहत देनी है वह उसके साथ बैठक करके ही नसीहत दे, तो कांग्रेस का भला होगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद कई नेताओं को अपना भविष्य उजला नजर आने लगा है, यही कारण है कि कई नेता तरह-तरह से सक्रिय होते रहे हैं। कोई बयान देकर सक्रिय है तो कोई जमीनी स्तर पर सक्रिय है। कमलनाथ के पास इन दिनों कांग्रेस की सारी ताकत है और कई कद्दावर नेता किनारे हैं, उनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं है, ऐसे में असंतोष स्वाभाविक है। आने वाले दिनों में यह खींचतान और बढ़े तो अचरज नहीं होना चाहिए।

--आईएएनएस

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