Challenge of controlling dissent in front of BJP in MP-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
Apr 20, 2024 1:36 pm
Location
Advertisement

मप्र में भाजपा के सामने असंतोष को काबू में रखने की चुनौती

khaskhabar.com : मंगलवार, 05 जनवरी 2021 2:16 PM (IST)
मप्र में भाजपा के सामने असंतोष को काबू में रखने की चुनौती
भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी को हुए लगभग 10 माह का वक्त होने को आ गया है और इस अवधि में भाजपा ने पूर्ण बहुमत तो हासिल कर लिया है मगर उसके सामने अब असंतोष को काबू में रखने की बड़ी चुनौती नई मुसीबत बनने लगी है।

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था, मगर कांग्रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद भाजपा को मार्च 2019 में फिर सत्ता मिल गई थी। उसके बाद 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए उनमें से 19 पर भाजपा ने और नौ पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। उप चुनाव के बाद भाजपा को राज्य में पूर्ण बहुमत मिल गया।

राज्य में दिसंबर में हुए उपचुनाव के नतीजों से प्रदेश सरकार को पूर्ण बहुमत हासिल हो गया। उसके बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार और पार्टी संगठन के विस्तार के साथ ही निगम-मंडलों की नियुक्ति की तमाम नेता आस लगाए हुए हैं। पिछले दिनों मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, मगर दो उन विधायकों को मंत्री बनाया गया जो अभी हाल ही में उप चुनाव जीते थे और उन्हें बगैर विधायक रहते हुए छह माह का वक्त हो जाने पर पद त्याग करना पड़ा था। शिवराज सरकार के चौथे मंत्रिमंडल विस्तार में जगह न मिलने से कई नेता नाराज और संतुष्ट हैं। इसे खुले तौर पर अजय विश्नोई ने जाहिर भी किया है। विश्नोई ने तो विंध्य और महाकौशल की उपेक्षा का भी सीधे तौर पर आरोप लगा डाला।

वहीं दूसरी ओर पार्टी के प्रदेश संगठन के विस्तार की कवायद तो लंबे अरसे से चल रही है और कई बार यहां तक कहा गया कि जल्दी ही कार्यकारिणी की घोषणा कर दी जाएगी, मगर उसमें विलंब होता जा रहा है. इसके साथ ही निगम-मंडलों में भी नियुक्ति का सभी को इंतजार है।

भाजपा के भीतर पनप रहे असंतोष पर पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का कहना है कि यह व्यक्तिगत पीड़ा हो सकती है, मगर संगठन अपने हिसाब से सोचता है, विचार करता है, निर्णय करता है और उसके हिसाब से काम करता है। अजय विश्नोई बहुत वरिष्ठ नेता हैं, उनके मन की पीड़ा स्वाभाविक हो सकती है, लेकिन संगठन को सारी बातें सोचकर निर्णय करना पड़ता है और उसी के हिसाब से निर्णय होंगे।

भाजपा में असंतोष पनपने पर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने तो इशारों ही इशारों में 35 विधायकों के कांग्रेस के संपर्क में होने की बात तक कह डाली। उनका कहना है कि जिन्हें सत्ता में बैठना है, वे संगठन से संतुष्ट नहीं होंगे। 35 ऐसे विधायक हैं जो छह और सात बार निर्वाचित हुए है, वरिष्ठता के मामले मे बहुत आगे हैं, उन्हें संगठन का लालच देकर रोक नहीं पाओगे क्योंकि उन्हें सत्ता में बैठाने का वादा किया था, अब वे रुकने वाले नहीं है।

राजनीतिक विश्लेशक साजी थामस का कहना है कि राजनीति में जो लोग हैं वे सत्ता में हिस्सेदारी के साथ संगठन में भागीदारी चाहते हैं। भाजपा सत्ता में है इसलिए अधिकांश नेताओं की कोशिश यही है कि उनकी सत्ता में हिस्सेदारी हो, इसमें देरी हो रही है इससे ऐसे लोगों का असंतुष्ट होना या यूं कहें असंतोष स्वभाविक है। सत्ता और संगठन के सामने यह चुनौती भी है, लेकिन भाजपा में बगावत की संभावनाएं बहुत कम रहती हैं इसीलिए सत्ता और संगठन दोनों निश्चिंत भी रहता है।

--आईएएनएस

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

Advertisement
Khaskhabar.com Facebook Page:
Advertisement
Advertisement