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महापुरुषों की जयंतियां मनाने से मिलती है प्रेरणा- ग्रोवर

khaskhabar.com : गुरुवार, 12 अप्रैल 2018 3:29 PM (IST)
महापुरुषों की जयंतियां मनाने से मिलती है प्रेरणा- ग्रोवर
पंचकूला। हरियाणा के सहकारिता राज्य मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर ने कहा है कि महापुरुषों की जयंतियां मनाने से हमें व हमारी युवा पीढ़ी को उनके जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को जानने व समझने का मौका मिलने के साथ-साथ महापुरुषों के आदर्शों और सिद्धांतों पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

ग्रोवर आज जिला प्रशासन द्वारा संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की 127वीं जयंती के उपलक्ष्य में सेक्टर-14 स्थित राजकीय कन्या महाविद्यालय के सभागार में आयोजित समारोह में मुख्यातिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पहली बार महर्षि वाल्मीकी, संत कबीर दास, गुरु रविदास तथा बाबा साहेब भीमराव अबेडकर जैसे महापुरुषों की जयंतियां हर साल सरकारी तौर पर मनाने का निर्णय लिया है। सरकार ने यह निर्णय लेकर सही मायनों में इन महान पुरूषों को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया है। इससे समाज के लोगों में प्रेम और भाईचारे की भावना मजबूत होगी।

उन्होंने डॉ० भीम राव अंबेडकर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ० भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। वे हमारे देश के ऐसे महान सपूत थे, जिन्होंने जात-पात और छूआ-छूत की भावना को जड़ से मिटाने का काम किया। उन्होंने पिछड़े लोगों के कल्याण और उत्थान के लिए हमारे सामने जो आदर्श रखे, वे सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। वे महान शिक्षाविद, प्रभावशाली वक्ता, योग्य प्रशासक और कुशल राजनेता थे। उनके व्यक्तित्व में मानवता के प्रति प्रेम तथा अन्याय, असमानता और शोषण के विरूद्ध संघर्ष करने की अदभुत क्षमता थी। उन्होंने आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया और देश के करोड़ों दीन-दुखियों तथा पिछड़ों के कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। बाबा साहेब का व्यक्तित्व सत्य और अहिंसा से ओत-प्रोत था। एक गरीब परिवार में जन्म होने पर भी उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि दृढ़संकल्प, मेहनत और साहस से मनुष्य कठिन से कठिन लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकता है। उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अपने उच्च मनोबल से अंबेडकर जी सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक आजादी के प्रबल समर्थक थे। इसलिए वे सिफ कमजोर, पिछड़े और वंचित वर्गों के ही नहीं बल्कि मेहनतकश लोगों के मसीहा थे, जो उनके लिए जीवनभर संघर्ष करते रहे।

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