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दो साल से बंद फर्म को नागरिक बैंक ने दिया 2 करोड़ का लोन
बारां । बैंकों में हो रहे करोड़ों अरबों के घोटालों के बाद एक नाम बारां के नागरिक सहकारी बैंक का भी जुड़ गया है। इस बैंक ने दो करोड़ का लोन एक एेसी फर्म को दे दिया जो दो साल से बंद पड़ी है। साथ ही इस फर्म के कर्ताधर्ताओं पर बाजार के 6 करोड़ रुपए की देनदारी है। अब मामला खुलने के बाद बैंक अधिकारी यह कह कर बचने की कोशिश कर रहे हैं कि लोन नियमानुसार दिया गया है।
बारां नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मण्डल द्वारा शहर की एक ख्यातनाम मंडी फर्म जो लगभग दो वर्ष पूर्व करीब 6 करोड रूपए से अधिक की देनदारी के बाद पूरी तरह बंद हो गई। जिसमें शहर के हुण्डी कारोबारियों तथा मंडी व्यापारियों का आज भी करोडों रूपया अटका हुआ है। दो साल से बंद फर्म को बारां नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मण्डल ने कारोबारी टर्न ओवर मानते हुए लगभग एक करोड की राशि का ऋण उपलब्ध करवा दिया गया।
गौरतलब है कि इस फर्म के मालिक द्वारा आर्थिक अभाव में अपने प्रतिष्ठान को बंद कर किसी दूसरी फर्म के साथ कार्य करने के बावजूद नागरिक सहकारी बैंक प्रबन्धकों ने लगातार दो साल तक कारोबारी टर्न ओवर मानते हुए उसे इतनी बडी राशि ऋण के रूप में उपलब्ध करवा दी। हालांकि बैंक अधिकारी श्यामसुंदर शर्मा से इस बारे में बात हुई तो उन्होनें बताया कि ऋण नियमानुसार उपलब्ध करवाया गया है। पार्टी का बाजार में लेनदेन कैसा है इसकी उन्हें जानकारी न ही है। उसके भवन को गिरवी रखकर फर्म के दो साला टर्न ओवर के आधार पर ऋण दिया गया है। जमानत के रूप में उसकी फर्म बैंक के पास गिरवी है।
इस बारे में नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मण्डल अध्यक्ष जयनारायण हल्दिया ने अपनी ओर से कोई जानकारी होने से मना करते हुए बताया कि ऋण जरूर उपलब्ध करवाया गया है लेकिन किन दस्तावेजों के आधार पर दिया गया है वह इसकी अधिक जानकारी पत्रावली देखकर ही बता सकते है। गौरतलब है कि नागरिक बैंक द्वारा जिस फर्म को भारी देनदारी के बावजूद ऋण उपलब्ध कराया गया है उसमें कहीं न कहीं भाई-भतीजावाद की बू जरूर आती है। उक्त फर्म के प्रोपराईटर व महिला मालिक के ऊपर लगभग डेढ करोड से अधिक के चैक अनाधिकृत होने के प्रकरण सक्षम न्यायालय में चल रहे है। वहीं इससे अधिक राशि की हुण्डियां बिना ब्याज के बाजार में अटकी पडी हुई है। यह भी उल्लेखनीय है कि इसी प्रकार के एक मामले में शहर के प्रताप चैक पर स्थित एक बडी प्रतिष्ठित फर्म द्वारा अपना कारोबार टर्न ओवर देकर अपने भवन पर ऋण चाहा था लेकिन नागरिक बैंक द्वारा यह कहते हुए ऋण देने से मना कर दिया गया था कि आशंका है यह फर्म लेनदेन के मामले में काफी कमजोर है।
कमजोर स्थिति को देखते हुए बैंक उक्त फर्म को ऋण नही दे सकता तो फिर आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि नागरिक बैंक द्वारा दो वर्ष से बंद फर्म को टर्नओवर के आधार पर इतनी बडी राशि का ऋण उपलब्ध करवा दिया गया।
बारां नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मण्डल द्वारा शहर की एक ख्यातनाम मंडी फर्म जो लगभग दो वर्ष पूर्व करीब 6 करोड रूपए से अधिक की देनदारी के बाद पूरी तरह बंद हो गई। जिसमें शहर के हुण्डी कारोबारियों तथा मंडी व्यापारियों का आज भी करोडों रूपया अटका हुआ है। दो साल से बंद फर्म को बारां नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मण्डल ने कारोबारी टर्न ओवर मानते हुए लगभग एक करोड की राशि का ऋण उपलब्ध करवा दिया गया।
गौरतलब है कि इस फर्म के मालिक द्वारा आर्थिक अभाव में अपने प्रतिष्ठान को बंद कर किसी दूसरी फर्म के साथ कार्य करने के बावजूद नागरिक सहकारी बैंक प्रबन्धकों ने लगातार दो साल तक कारोबारी टर्न ओवर मानते हुए उसे इतनी बडी राशि ऋण के रूप में उपलब्ध करवा दी। हालांकि बैंक अधिकारी श्यामसुंदर शर्मा से इस बारे में बात हुई तो उन्होनें बताया कि ऋण नियमानुसार उपलब्ध करवाया गया है। पार्टी का बाजार में लेनदेन कैसा है इसकी उन्हें जानकारी न ही है। उसके भवन को गिरवी रखकर फर्म के दो साला टर्न ओवर के आधार पर ऋण दिया गया है। जमानत के रूप में उसकी फर्म बैंक के पास गिरवी है।
इस बारे में नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मण्डल अध्यक्ष जयनारायण हल्दिया ने अपनी ओर से कोई जानकारी होने से मना करते हुए बताया कि ऋण जरूर उपलब्ध करवाया गया है लेकिन किन दस्तावेजों के आधार पर दिया गया है वह इसकी अधिक जानकारी पत्रावली देखकर ही बता सकते है। गौरतलब है कि नागरिक बैंक द्वारा जिस फर्म को भारी देनदारी के बावजूद ऋण उपलब्ध कराया गया है उसमें कहीं न कहीं भाई-भतीजावाद की बू जरूर आती है। उक्त फर्म के प्रोपराईटर व महिला मालिक के ऊपर लगभग डेढ करोड से अधिक के चैक अनाधिकृत होने के प्रकरण सक्षम न्यायालय में चल रहे है। वहीं इससे अधिक राशि की हुण्डियां बिना ब्याज के बाजार में अटकी पडी हुई है। यह भी उल्लेखनीय है कि इसी प्रकार के एक मामले में शहर के प्रताप चैक पर स्थित एक बडी प्रतिष्ठित फर्म द्वारा अपना कारोबार टर्न ओवर देकर अपने भवन पर ऋण चाहा था लेकिन नागरिक बैंक द्वारा यह कहते हुए ऋण देने से मना कर दिया गया था कि आशंका है यह फर्म लेनदेन के मामले में काफी कमजोर है।
कमजोर स्थिति को देखते हुए बैंक उक्त फर्म को ऋण नही दे सकता तो फिर आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि नागरिक बैंक द्वारा दो वर्ष से बंद फर्म को टर्नओवर के आधार पर इतनी बडी राशि का ऋण उपलब्ध करवा दिया गया।
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