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पूर्व सीएम राजे को काले झंडे दिखाने का मामला,गहलोत सरकार ने दर्ज केस वापस लिये

जयपुर। पीएम नरेंद्र मोदी की झुंझुनूं में हुई जनसभा में तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे को काले झंडे दिखाने के मामले में गहलोत सरकार ने काले झंडे दिखाने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज के वापस ले लिए है। इस मामले में इस बारे में गृह विभाग ने आदेश जारी किया है।
आपको बता दे कि वर्ष 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान के झुंझुनूं में बेटी बचाओ, बेटी पढाओ अभियान के तहत केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग की एक योजना की शुरूआत करने के लिए आए थे। इस सभा के दौरान प्रदर्शनकारियो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण तो शांतिपूर्वक सुना, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को काले झंडे दिखा कर नारेबाजी करने लगे। ये राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के संविदा कर्मचारी थे जो अपनी मांगों को लेकर लम्बे समय से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। यूं तो सभा में सुरक्षा व्यवस्था काफी कडी थी और काले रंग की कोई भी चीज सभा में नहीं ले जाने दी जा रही थी, क्योंकि इस तरह के प्रदर्शन की आशंका पहले से ही थी। इसके बावजूद इन कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और वहां टीवी स्क्रीन के नीचे लगे काले कपडों को काले झंडे के लिए इस्तेमाल कर लिया।
बाद में पुलिस इन्हें सभा स्थल से ले गई और हरीश कुमार ओला व अन्य के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 186 और 336 में उपद्रव करने, लोकसेवकों के कार्य को बाधित करने और दूसरे के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कर लिया। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट झुंझुनूं में चल रही थी। अब राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने आदेश जारी कर इस केस को जनहित में वापस ले लिया है।
आपको बता दे कि वर्ष 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान के झुंझुनूं में बेटी बचाओ, बेटी पढाओ अभियान के तहत केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग की एक योजना की शुरूआत करने के लिए आए थे। इस सभा के दौरान प्रदर्शनकारियो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण तो शांतिपूर्वक सुना, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को काले झंडे दिखा कर नारेबाजी करने लगे। ये राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के संविदा कर्मचारी थे जो अपनी मांगों को लेकर लम्बे समय से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। यूं तो सभा में सुरक्षा व्यवस्था काफी कडी थी और काले रंग की कोई भी चीज सभा में नहीं ले जाने दी जा रही थी, क्योंकि इस तरह के प्रदर्शन की आशंका पहले से ही थी। इसके बावजूद इन कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और वहां टीवी स्क्रीन के नीचे लगे काले कपडों को काले झंडे के लिए इस्तेमाल कर लिया।
बाद में पुलिस इन्हें सभा स्थल से ले गई और हरीश कुमार ओला व अन्य के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 186 और 336 में उपद्रव करने, लोकसेवकों के कार्य को बाधित करने और दूसरे के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कर लिया। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट झुंझुनूं में चल रही थी। अब राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने आदेश जारी कर इस केस को जनहित में वापस ले लिया है।
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