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बीएसपी नेता ने आत्महत्या करने से पहले अधिकारियों को ठहराया जिम्मेदार
बदायूं । बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के एक नेता और स्थानीय किसान ने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कथित रूप से आत्महत्या कर ली है। 35 वर्षीय हरवीर ने अपने सुसाइड नोट में सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और रेवेन्यू ऑफिसर (कानूनगो) के खिलाफ उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
5 बच्चों के पिता हरवीर दलित समुदाय से थे और अक्सर सहसवान तहसील जाते रहते थे। शनिवार को जहर खाने से पहले भी वे 2 बार तहसील गए थे। जहर खाने के बाद घर आकर अपने परिवार को उन्होंने इसकी जानकारी दी। तत्काल उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी।
अपने सुसाइड नोट में उन्होंने आरोप लगाया कि कानूनगो अधिकारी ओमकार ने उन्हें आवंटित किए गए खेत के भूखंड के विस्तार के लिए 50,000 रुपये की मांग की थी और एसडीएम किशोर गुप्ता ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें धमकाया था।
घटना पर संज्ञान लेते हुए बदायूं के जिला मजिस्ट्रेट कुमार प्रशांत ने कानुनगो को निलंबित कर दिया है और एडीएम को जांच करने के निर्देश दिए हैं। एसडीएम के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में हरवीर को बसपा का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया था। उनके भाई जयवीर सिंह ने संवाददाताओं को बताया, "हरवीर को 2006 में खेती के लिए जमीन का टुकड़ा आवंटित हुआ। इसके नवीनीकरण को लेकर अधिकारी परेशान कर रहे थे। हरवीर को इस काम के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे और फिर इसी दौरान एसडीएम और कानूनगो ने 50,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। हमने पुलिस को एक लिखित शिकायत भी दी थी।"
मामले में एसएसपी संकल्प शर्मा ने कहा है, "कानून के अनुसार ऐसे मामले में सीधे सरकारी अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है। कानुनगो को दोषी पाए जाने पर जिला मजिस्ट्रेट ने निलंबित कर दिया है। एडीएम जांच कर रहे हैं। परिवार को सरकारी की एक योजना के तहत मुआवजा देने का वादा किया गया है।"
--आईएएनएस
5 बच्चों के पिता हरवीर दलित समुदाय से थे और अक्सर सहसवान तहसील जाते रहते थे। शनिवार को जहर खाने से पहले भी वे 2 बार तहसील गए थे। जहर खाने के बाद घर आकर अपने परिवार को उन्होंने इसकी जानकारी दी। तत्काल उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी।
अपने सुसाइड नोट में उन्होंने आरोप लगाया कि कानूनगो अधिकारी ओमकार ने उन्हें आवंटित किए गए खेत के भूखंड के विस्तार के लिए 50,000 रुपये की मांग की थी और एसडीएम किशोर गुप्ता ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें धमकाया था।
घटना पर संज्ञान लेते हुए बदायूं के जिला मजिस्ट्रेट कुमार प्रशांत ने कानुनगो को निलंबित कर दिया है और एडीएम को जांच करने के निर्देश दिए हैं। एसडीएम के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में हरवीर को बसपा का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया था। उनके भाई जयवीर सिंह ने संवाददाताओं को बताया, "हरवीर को 2006 में खेती के लिए जमीन का टुकड़ा आवंटित हुआ। इसके नवीनीकरण को लेकर अधिकारी परेशान कर रहे थे। हरवीर को इस काम के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे और फिर इसी दौरान एसडीएम और कानूनगो ने 50,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। हमने पुलिस को एक लिखित शिकायत भी दी थी।"
मामले में एसएसपी संकल्प शर्मा ने कहा है, "कानून के अनुसार ऐसे मामले में सीधे सरकारी अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है। कानुनगो को दोषी पाए जाने पर जिला मजिस्ट्रेट ने निलंबित कर दिया है। एडीएम जांच कर रहे हैं। परिवार को सरकारी की एक योजना के तहत मुआवजा देने का वादा किया गया है।"
--आईएएनएस
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