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ऐन मौके पर बदली किताब, बच्चे और अध्यापक दोनों परेशान
नागौर। सोचिए आप पर क्या गुजरेगी जब आपको किसी अन्य किताब से पढ़ाई कराकर परीक्षा किसी और किताब से कराई जाए। ऐसा ही एक मामला जिला समान परीक्षा योजना (माध्यमिक शिक्षा) द्वारा आयोजित की जा रही अद्र्धवार्षिक परीक्षा में सामने आया है। कक्षा नौ के विद्यार्थियों को आधा सत्र तक राजस्थान अध्ययन नाम की किताब से अध्ययन कराया गया। अब विद्यार्थियों को प्रश्न पत्र समाजोपयोगी नाम की पुस्तक का दिया जाएगा। ऐसा भी नहीं कि किताब बदलने के बाद विद्यार्थियों को नई किताब उपलब्ध करा दी गई हो। विद्यार्थी तो दूर खुद संस्था प्रधानों को उस वक्त पता लगा जब उन्होंने नोडल केन्द्र से प्रश्न पत्र उठाए। इसे लेकर विद्यार्थी, अभिभावक व संस्थाप्रधानों में असमंजस की स्थिति है। विभागीय अधिकारियों से इसको लेकर जानकारी मांगी तो उन्होंने भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार करने को लेकर राजस्थान अध्ययन नाम की पुस्तक को बदल कर समाजोपयोगी के नाम से जारी किया है। लेकिन राज्य सरकार ने विद्यार्थियों के बारे में एक बार भी यह नहीं सोचा कि ऐनवक्त पर किताब बदलने से उनको कितनी परेशानी हो सकती है। जानकारी अनुसार कक्षा नौ से बारह तक एक पुस्तक बदल दी गई है। हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि इसके अंक श्रेणी निर्धारण में तो नहीं जुड़ेंगे, लेकिन इस विषय को पास करना जरूरी है। ऐसे में विद्यार्थियों के साथ-साथ संस्था प्रधान भी परेशान हैं। पास नहीं होने की स्थिति में विद्यार्थियों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा। इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक द्वितीय वेणी गोपाल व्यास ने कहा कि हां किताब बदली गई है लेकिन, ऐसा नहीं है कि बच्चों को परेशानी हो। नई किताब में समाजोपयोगी जानकारी दी गई है। जिसके बारे में विद्यार्थियों को स्कूलों में पै्रक्टिल रूप से पढ़ाया गया है। इसके अलावा समाजोपयोगी किताब का सिलेबस विभागीय साइट पर अपलोड किया गया है।
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