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पेट्रोल-डीजल के दामों पर राज्यों को दोष देना बहुत ही बकवास बात - अशोक गहलोत
जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी को लेकर केंद्र सरकार पर ही ठीकरा फोड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की अर्थव्यवस्था जिस रूप में वो बताना नहीं चाहते हैं कि क्या स्थिति है।
गहलोत ने आरोप लगाया कि आरबीआई कभी-कभी अपना मुंह खोलता है, कोई बोल नहीं रहा है। पेट्रोल के दाम जब 60-65 रुपए हो गए थे यूपीए गवर्नमेंट के वक्त में 140 डॉलर प्रति बैरल रेट्स थीं उस वक्त में, अब वो 40 पर आ गई हैं, 35 पर आ गई हैं, तब भी भाव कम करने की बजाय बढ़ाए क्यों जा रहे हैं? राज्यों को दोष देना बहुत ही बकवास बात है, राज्य कुछ एक्साइज वसूल करती हैं, मुख्य रूप से जो एक्साइज और एडिशनल एक्साइज और आपको जानकर दुःख होगा कि जो एक्साइज मिलती है तीन तरह की एक्साइज है वहां पर जो लगती है पेट्रोल-डीजल पर। एक एक्साइज जिसमें राज्यों का हिस्सा होता है सब राज्यों का, उसको तो घटा रहे हैं वहां पर और जो हिस्सा राज्यों का नहीं होता है उसको बढ़ा रहे हैं अपनी इनकम करने के लिए, तो इनका वित्तीय प्रबंधन है कहां पर। आर्थिक संकट से देश गुज़र रहा है, भयंकर आर्थिक संकट है, जीडीपी आपकी माइनस में जाने लग गई है, हालात बड़े गंभीर हैं, बेकारी-बेरोजगारी की समस्या इतनी बड़ी बढ़ गई है जिससे आज नौजवान चिंतित है अपने भविष्य को लेकर।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के अंदर जो नौकरी चली गई लाखों-करोड़ों लोगों की, उसके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है कि हम क्या स्कीमें बनाएं जिससे कि वापस ले लोगों को रोजगार मिल सके, ये चिंता देश के अंदर सरकार को नहीं है।
गहलोत ने आरोप लगाया कि आरबीआई कभी-कभी अपना मुंह खोलता है, कोई बोल नहीं रहा है। पेट्रोल के दाम जब 60-65 रुपए हो गए थे यूपीए गवर्नमेंट के वक्त में 140 डॉलर प्रति बैरल रेट्स थीं उस वक्त में, अब वो 40 पर आ गई हैं, 35 पर आ गई हैं, तब भी भाव कम करने की बजाय बढ़ाए क्यों जा रहे हैं? राज्यों को दोष देना बहुत ही बकवास बात है, राज्य कुछ एक्साइज वसूल करती हैं, मुख्य रूप से जो एक्साइज और एडिशनल एक्साइज और आपको जानकर दुःख होगा कि जो एक्साइज मिलती है तीन तरह की एक्साइज है वहां पर जो लगती है पेट्रोल-डीजल पर। एक एक्साइज जिसमें राज्यों का हिस्सा होता है सब राज्यों का, उसको तो घटा रहे हैं वहां पर और जो हिस्सा राज्यों का नहीं होता है उसको बढ़ा रहे हैं अपनी इनकम करने के लिए, तो इनका वित्तीय प्रबंधन है कहां पर। आर्थिक संकट से देश गुज़र रहा है, भयंकर आर्थिक संकट है, जीडीपी आपकी माइनस में जाने लग गई है, हालात बड़े गंभीर हैं, बेकारी-बेरोजगारी की समस्या इतनी बड़ी बढ़ गई है जिससे आज नौजवान चिंतित है अपने भविष्य को लेकर।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के अंदर जो नौकरी चली गई लाखों-करोड़ों लोगों की, उसके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है कि हम क्या स्कीमें बनाएं जिससे कि वापस ले लोगों को रोजगार मिल सके, ये चिंता देश के अंदर सरकार को नहीं है।
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