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झारखंड हारने के बाद BJP को याद आए बाबूलाल मरांडी! दोनों पक्षों में शुरू हुई बातचीत
रांची। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) को आशातीत सफलता नहीं मिलने के बाद झारखंड में नए सियासी परिदृश्य की संभावना जताई जा रही है। बदले सियासी समीकरण में झाविमो का भाजपा में विलय हो सकता है। झारखंड के सियासी फिजाओं में यह बात हवा में तैर रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री और झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कमल थाम सकते हैं।
झाविमो के उम्मीदवार हालिया विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर विजयी हुए थे। झाविमो सूत्रों का दावा है कि बदले सियासी समीकरण में झाविमो का भाजपा में विलय हो सकता है। इसे लेकर दोनों पक्षों में बातचीत भी शुरू हो गई है। झाविमो के तीन विधायक हैं, जो फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की अगुवाई वाली सरकार को समर्थन दे रहे हैं।
सूत्र तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि भाजपा ने इसी कारण विधायक दल के नेता और विधासभा में विपक्ष के नेता का चुनाव टाल दिया है और खरमास के बाद इसकी घोषणा करने की बात कही है। माना जा रहा है कि भाजपा बाबूलाल मरांडी को आदिवासी चेहरे के रूप में सामने लाकर यह पद उन्हें दे सकता है।
इस बीच मरांडी ने भी झाविमो की कार्यकारी समिति को भी भंग कर दिया है, जिससे इस बात को और हवा मिल रही है। मरांडी ने भी खरमास के बाद समिति के नामों को तय करने की बात की है। झाविमो के विधायक प्रदीप यादव हालांकि ऐसी किसी संभावना से इनकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं जहां था, वहीं आज भी हूं और आगे भी रहूंगा। मरांडीजी किधर जा रहे हैं यह तो उनसे ही पूछना होगा।
झाविमो के उम्मीदवार हालिया विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर विजयी हुए थे। झाविमो सूत्रों का दावा है कि बदले सियासी समीकरण में झाविमो का भाजपा में विलय हो सकता है। इसे लेकर दोनों पक्षों में बातचीत भी शुरू हो गई है। झाविमो के तीन विधायक हैं, जो फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की अगुवाई वाली सरकार को समर्थन दे रहे हैं।
सूत्र तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि भाजपा ने इसी कारण विधायक दल के नेता और विधासभा में विपक्ष के नेता का चुनाव टाल दिया है और खरमास के बाद इसकी घोषणा करने की बात कही है। माना जा रहा है कि भाजपा बाबूलाल मरांडी को आदिवासी चेहरे के रूप में सामने लाकर यह पद उन्हें दे सकता है।
इस बीच मरांडी ने भी झाविमो की कार्यकारी समिति को भी भंग कर दिया है, जिससे इस बात को और हवा मिल रही है। मरांडी ने भी खरमास के बाद समिति के नामों को तय करने की बात की है। झाविमो के विधायक प्रदीप यादव हालांकि ऐसी किसी संभावना से इनकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं जहां था, वहीं आज भी हूं और आगे भी रहूंगा। मरांडीजी किधर जा रहे हैं यह तो उनसे ही पूछना होगा।
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