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हरियाणा में भाजपा के 'राम राज्य' का लिटमस टेस्ट
चंडीगढ़। हरियाणा में इसी महीने होने वाला विधानसभा चुनाव इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के लिए लिटमस टेस्ट है, जो राज्य को चलाने के लिए 'राम राज्य' के सिद्धांतों पर विश्वास करते हैं।
राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव जीतकर दूसरे कार्यकाल की बाट जोह रहे खट्टर की 'यथार्थवादी' दृष्टिकोण और पिछले लोकलुभावन पहलों के साथ सत्ता में वापसी के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे कांग्रेस के दो बार के मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से सीधी टक्कर है।
पहली बार विधायक बने खट्टर करनाल से फिर जीतने की जुगत में हैं और उनका मानना है कि यह चुनाव उनकी सरकार के विकास कार्यो और पिछली कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के बीच है।
मैदान में अन्य जो विपक्षी पार्टियां हैं, उनमें दो प्रमुख क्षेत्रीय राजनीतिक दल इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और इनेलो से टूटकर बनी जननायक जनता पार्टी है। साथ ही बसपा, स्वराज इंडिया और आप भी चुनावी मैदान ताल ठोक रहे हैं।
विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी, लचर कानून-व्यवस्था और विकास का अभाव जैसे मुद्दे उठाते रहे हैं। उनका मुख्य ध्यान कृषि समुदाय, न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कर्जमाफी, महिलाओं और युवाओं पर है और मुफ्त बिजली का वादा किया है।
खट्टर, जिन्होंने 1.8 करोड़ मतदाताओं वाले राज्यभर में ताबड़तोड़ दौरा किया है, चुनाव प्रचार के दौरान राज्य के समग्र विकास, राष्ट्रवाद की बात कर रहे हैं और अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी हुड्डा पर दो कार्यकाल के दौरान जबरदस्त भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साध रहे हैं।
उन्होंने यहां आईएएनएस से बातचीत में कहा, "यह अगले पांच वर्षो के लिए हमारा संकल्पपत्र (घोषणापत्र) है। अब हमारी परीक्षा का समय है। लोग इसका परिणाम देंगे। पांच साल के बाद, हम केवल इस संकल्पपत्र के अनुसार किए काम के आधार पर फिर से परीक्षा में शामिल होंगे।"
भगवा पार्टी के घोषणापत्र (संकल्पपत्र) में 15 अध्याय और 248 बिंदु हैं। यह किसानों और अनुसूचित जातियों के लिए ब्याज मुक्त ऋण, गरीब परिवारों की लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा और 25 लाख युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण पर केंद्रित है।
सत्ता-समर्थक लहर पर सवार खट्टर कहते हैं कि पूरा विपक्ष मुफ्त में कई सुविधाएं देने के वादे का इस्तेमाल सिर्फ मतदाताओं को लुभाने के लिए कर रहा है, क्योंकि वे जानते हैं कि सत्ता में नहीं आ रहे हैं।
खट्टर ने दावा किया कि कांग्रेस के घोषणापत्र में किसानों के लिए कर्जमाफी और महिलाओं को नौकरी में आरक्षण देने का दावा खोखला है, क्योंकि उनके (कांग्रेस) लिए बजटीय प्रावधान के बिना इन वादों को पूरा करने के लिए 1,26,000 करोड़ रुपये की जरूरत है।
उन्होंने कहा, "हमारे घोषणापत्र में किए वादे को पूरा करने के लिए 32,000 करोड़ रुपये के बजट आवंटन की आवश्यकता है, जिसे राज्य के संसाधनों के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है।"
खट्टर का मानना है कि घोषणापत्र राम राज्य बनाने के सिद्धांतों के अनुरूप है, जिसका अर्थ है भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने वाली ईमानदार सरकार।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने आईएएनएस को बताया कि राज्य की राजनीतिक संस्कृति पांच वर्षों में काफी बदल गई है।
नड्डा ने कहा, "यह अब भ्रष्टाचार मुक्त, विकासोन्मुख और पारदर्शी सरकार है।"
अपनी पीठ थपथपाने के विपरीत, गैर-जाट खट्टर की चुनौतियां तीन मुस्लिम बहुल सीटों और कम से कम 40 जाट बहुल सीटों मुख्य रूप से रोहतक, सोनीपत, भिवानी और हिसार में हैं, जहां फरवरी 2016 में जाटों के लिए आरक्षण को लेकर सप्ताह भर हुई हिंसा में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समुदाय वाला जाट, जिसकी राज्य में 28 प्रतिशत आबादी है, ने नौकरियों में 10 प्रतिशत कोटे की उनकी मांग का सुप्रीम कोर्ट में बचाव नहीं करने के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बेरोजगारी, बिगड़ती कानून-व्यवस्था, बढ़ते कर्ज और फसलों की कम कीमतें मिलने जैसी बातें खट्टर के दूसरे कार्यकाल के लिए बड़ी बाधाएं हैं।
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि 2013-14 में राज्य की कुल देनदारियां 76,263 करोड़ रुपये थीं। उस समय भाजपा सरकार ने राज्य को इस कर्ज से मुक्त करने का वादा किया था।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "अब देनदारियां 179,744 करोड़ रुपये हो गई हैं।"
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मई से अगस्त के लिए एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, यादव ने कहा कि राज्य में बेरोजगारों की संख्या 20 लाख को पार कर गई है, इन 4.5 लाख में से या तो स्नातक हैं या उनके पास उच्च डिग्री है।
हुड्डा ने खट्टर शासन को 'घोटालों की सरकार', समाज को बांटने वाली राजनीति को बढ़ावा देने वाला बताया और कहा कि बेरोजगारी देश में सबसे ज्यादा लगभग 28 प्रतिशत है।
उनके अनुसार, वह मुख्यमंत्री के रूप में अपने 10 साल के कार्यकाल (2004 से 2014) के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने स्वयंभू धर्मगुरुओं - रामपाल और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह और जाट आंदोलन से संबंधित घटनाओं के दौरान हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा शासन में यह राज्य तीन बार जला है।
उन्होंने कहा कि अपराध दर 36 प्रतिशत है और दुष्कर्म के मामलों में काफी वृद्धि हुई है।
अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावों में मतदान में हिस्सेदारी के अनुसार, राज्य की सभी 10 सीटें जीतने वाली भाजपा को 79 विधानसभा सीटों पर, 10 पर कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को एक सीट पर बढ़त मिली।
भाजपा, जिसने 90 सदस्यीय विधानसभा में पिछले चुनावों में 47 सीटें जीती थीं और पहली बार राज्य में सरकार बनाई थी, वह 21 अक्टूबर को होने वाले चुनावों में 75 से अधिक सीटों को जीतने का लक्ष्य बनाकर चल रही है।
24 अक्टूबर को होने वाली मतगणना खट्टर के भाग्य का फैसला करेगी, जिन्होंने कृषि राज्य में गैर-जाट उम्मीदवारों पर ज्यादा दांव लगाया है।
--आईएएनएस
राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव जीतकर दूसरे कार्यकाल की बाट जोह रहे खट्टर की 'यथार्थवादी' दृष्टिकोण और पिछले लोकलुभावन पहलों के साथ सत्ता में वापसी के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे कांग्रेस के दो बार के मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से सीधी टक्कर है।
पहली बार विधायक बने खट्टर करनाल से फिर जीतने की जुगत में हैं और उनका मानना है कि यह चुनाव उनकी सरकार के विकास कार्यो और पिछली कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के बीच है।
मैदान में अन्य जो विपक्षी पार्टियां हैं, उनमें दो प्रमुख क्षेत्रीय राजनीतिक दल इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और इनेलो से टूटकर बनी जननायक जनता पार्टी है। साथ ही बसपा, स्वराज इंडिया और आप भी चुनावी मैदान ताल ठोक रहे हैं।
विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी, लचर कानून-व्यवस्था और विकास का अभाव जैसे मुद्दे उठाते रहे हैं। उनका मुख्य ध्यान कृषि समुदाय, न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कर्जमाफी, महिलाओं और युवाओं पर है और मुफ्त बिजली का वादा किया है।
खट्टर, जिन्होंने 1.8 करोड़ मतदाताओं वाले राज्यभर में ताबड़तोड़ दौरा किया है, चुनाव प्रचार के दौरान राज्य के समग्र विकास, राष्ट्रवाद की बात कर रहे हैं और अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी हुड्डा पर दो कार्यकाल के दौरान जबरदस्त भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साध रहे हैं।
उन्होंने यहां आईएएनएस से बातचीत में कहा, "यह अगले पांच वर्षो के लिए हमारा संकल्पपत्र (घोषणापत्र) है। अब हमारी परीक्षा का समय है। लोग इसका परिणाम देंगे। पांच साल के बाद, हम केवल इस संकल्पपत्र के अनुसार किए काम के आधार पर फिर से परीक्षा में शामिल होंगे।"
भगवा पार्टी के घोषणापत्र (संकल्पपत्र) में 15 अध्याय और 248 बिंदु हैं। यह किसानों और अनुसूचित जातियों के लिए ब्याज मुक्त ऋण, गरीब परिवारों की लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा और 25 लाख युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण पर केंद्रित है।
सत्ता-समर्थक लहर पर सवार खट्टर कहते हैं कि पूरा विपक्ष मुफ्त में कई सुविधाएं देने के वादे का इस्तेमाल सिर्फ मतदाताओं को लुभाने के लिए कर रहा है, क्योंकि वे जानते हैं कि सत्ता में नहीं आ रहे हैं।
खट्टर ने दावा किया कि कांग्रेस के घोषणापत्र में किसानों के लिए कर्जमाफी और महिलाओं को नौकरी में आरक्षण देने का दावा खोखला है, क्योंकि उनके (कांग्रेस) लिए बजटीय प्रावधान के बिना इन वादों को पूरा करने के लिए 1,26,000 करोड़ रुपये की जरूरत है।
उन्होंने कहा, "हमारे घोषणापत्र में किए वादे को पूरा करने के लिए 32,000 करोड़ रुपये के बजट आवंटन की आवश्यकता है, जिसे राज्य के संसाधनों के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है।"
खट्टर का मानना है कि घोषणापत्र राम राज्य बनाने के सिद्धांतों के अनुरूप है, जिसका अर्थ है भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने वाली ईमानदार सरकार।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने आईएएनएस को बताया कि राज्य की राजनीतिक संस्कृति पांच वर्षों में काफी बदल गई है।
नड्डा ने कहा, "यह अब भ्रष्टाचार मुक्त, विकासोन्मुख और पारदर्शी सरकार है।"
अपनी पीठ थपथपाने के विपरीत, गैर-जाट खट्टर की चुनौतियां तीन मुस्लिम बहुल सीटों और कम से कम 40 जाट बहुल सीटों मुख्य रूप से रोहतक, सोनीपत, भिवानी और हिसार में हैं, जहां फरवरी 2016 में जाटों के लिए आरक्षण को लेकर सप्ताह भर हुई हिंसा में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समुदाय वाला जाट, जिसकी राज्य में 28 प्रतिशत आबादी है, ने नौकरियों में 10 प्रतिशत कोटे की उनकी मांग का सुप्रीम कोर्ट में बचाव नहीं करने के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बेरोजगारी, बिगड़ती कानून-व्यवस्था, बढ़ते कर्ज और फसलों की कम कीमतें मिलने जैसी बातें खट्टर के दूसरे कार्यकाल के लिए बड़ी बाधाएं हैं।
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि 2013-14 में राज्य की कुल देनदारियां 76,263 करोड़ रुपये थीं। उस समय भाजपा सरकार ने राज्य को इस कर्ज से मुक्त करने का वादा किया था।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "अब देनदारियां 179,744 करोड़ रुपये हो गई हैं।"
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मई से अगस्त के लिए एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, यादव ने कहा कि राज्य में बेरोजगारों की संख्या 20 लाख को पार कर गई है, इन 4.5 लाख में से या तो स्नातक हैं या उनके पास उच्च डिग्री है।
हुड्डा ने खट्टर शासन को 'घोटालों की सरकार', समाज को बांटने वाली राजनीति को बढ़ावा देने वाला बताया और कहा कि बेरोजगारी देश में सबसे ज्यादा लगभग 28 प्रतिशत है।
उनके अनुसार, वह मुख्यमंत्री के रूप में अपने 10 साल के कार्यकाल (2004 से 2014) के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने स्वयंभू धर्मगुरुओं - रामपाल और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह और जाट आंदोलन से संबंधित घटनाओं के दौरान हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा शासन में यह राज्य तीन बार जला है।
उन्होंने कहा कि अपराध दर 36 प्रतिशत है और दुष्कर्म के मामलों में काफी वृद्धि हुई है।
अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावों में मतदान में हिस्सेदारी के अनुसार, राज्य की सभी 10 सीटें जीतने वाली भाजपा को 79 विधानसभा सीटों पर, 10 पर कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को एक सीट पर बढ़त मिली।
भाजपा, जिसने 90 सदस्यीय विधानसभा में पिछले चुनावों में 47 सीटें जीती थीं और पहली बार राज्य में सरकार बनाई थी, वह 21 अक्टूबर को होने वाले चुनावों में 75 से अधिक सीटों को जीतने का लक्ष्य बनाकर चल रही है।
24 अक्टूबर को होने वाली मतगणना खट्टर के भाग्य का फैसला करेगी, जिन्होंने कृषि राज्य में गैर-जाट उम्मीदवारों पर ज्यादा दांव लगाया है।
--आईएएनएस
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