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बिहार : बाढ़ पीड़ितों की 'शरणस्थली' बना सड़क का किनारा, देखें तस्वीरें
सड़कों पर दिन और रात गुजार रहे कई लोग तो ऐसे हैं, जो बाढ़ की
आशंका के बाद अपने घर से कुछ राशन जमा कर ली थी और बाढ़ आने के बाद उन
राशनों को लेकर यहां अपना अशियाना बना लिया। लेकिन, कई लोग ऐसे भी हैं जो
बाढ़ का पानी गांव में घुसते ही अपनी जान बचाकर भाग आए। ऐसे लोगों की
परेशानी तो और बढ़ गई है। इन्हें पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है। आने-जाने
वाले वाहनों से कुछ मांगकर ये अपना काम चला रहे हैं।
औराई, मीनापुर प्रखंड के लोग एनएच-77 पर तो कई गांवों के लोग एनएच-57 पर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। इनके बच्चे भी इनके साथ उन दिनों के इंतजार में हैं, जब उनके गांव से पानी निकल जाएगा। औराई प्रखंड के बेनीपुर गांव के रहने वाले शंकर सिंह अपने पूरे परिवार के साथ अपनी झोपड़ी में पड़े हुए हैं। बाढ़ के पानी ने इनके जिंदगीभर की कमाई को तहस-नहस कर दिया। इनके पास तो अब बर्तन भी नहीं है, जिसमें वे खाना बना सकें।
उन्होंने बताया कि आसपास के लोगों से वे बर्तन मांगकर खाना बनाते हैं। बाढ़ में कुछ बचा ही नहीं, सबकुछ डूब चुका है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि सामुदायिक रसोई खुलने के बाद राहत मिली है। लोग वहां जाकर खाना खा ले रहे हैं।
औराई, मीनापुर प्रखंड के लोग एनएच-77 पर तो कई गांवों के लोग एनएच-57 पर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। इनके बच्चे भी इनके साथ उन दिनों के इंतजार में हैं, जब उनके गांव से पानी निकल जाएगा। औराई प्रखंड के बेनीपुर गांव के रहने वाले शंकर सिंह अपने पूरे परिवार के साथ अपनी झोपड़ी में पड़े हुए हैं। बाढ़ के पानी ने इनके जिंदगीभर की कमाई को तहस-नहस कर दिया। इनके पास तो अब बर्तन भी नहीं है, जिसमें वे खाना बना सकें।
उन्होंने बताया कि आसपास के लोगों से वे बर्तन मांगकर खाना बनाते हैं। बाढ़ में कुछ बचा ही नहीं, सबकुछ डूब चुका है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि सामुदायिक रसोई खुलने के बाद राहत मिली है। लोग वहां जाकर खाना खा ले रहे हैं।
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